भारत विकास परिषद की स्थापना दिवस पर पीआरटी कालेज कैम्पस में लगाये गये 200 पौधें
*परिषद द्वारा दस वर्षों से लगाए गए पौधे आज भी है सुरक्षित*
अनूपपुर
संपर्क ,सहयोग , संस्कार, सेवा और समर्पण के सूत्र पर कार्य करने वाली पूर्ण राष्ट्रीय सामाजिक संगठन भारत विकास परिषद पर्यावरण के क्षेत्र में भी कार्य करती हैं ।भारत विकास परिषद की स्थापना 10 जुलाई 1963 को हुई थी इस स्थापना दिवस की उपलक्ष में आज पीआरटी महाविद्यालय परिसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्रीमती मोनिका आध्या की उपस्थिति में 200 पौधें लगाए गए । यह परिसर पूर्णता सुरक्षित हैं। जिसमें सभी पौधें सुरक्षित रहेंगे।
*दस वर्षों में लगाए गये सभी पौधें सुरक्षित*
पर्यावरण को संरक्षित रखने और ग्लोबल वार्मिंग के असर को कम करने के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव न्यायाधीश मोनिका आध्या, भारत विकास परिषद के विंध्य प्रांत के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र तिवारी, विंध्य प्रांत के मीडिया प्रभारी बीरेंद्र सिंह ,जिला संघ चालक राजेन्द्र तिवारी, जिला प्रचारक आर एस एस नितेश, शा .तुलसी महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ एस के संत, संरक्षक हरिशंकर वर्मा, संरक्षक विवेक बियानी, संरक्षक मनोज द्विवेदी, सलाहकार सुदामा राम पाण्डेय, अध्यक्ष राजकिशोर तिवारी,उपाध्यक्ष अरविंद पाठक, कोषाध्यक्ष राकेश गौतम, पर्यावरण प्रमुख पुष्पेन्द्र पाण्डेय, जयंती एवं त्योहार रामसुरेश मिश्रा, एडवोकेट साबिर अली, एडवोकेट संतदास नापित, अवधेश प्रताप सिंह तिवारी, द्वारा परिसर में छायादार पौधें रोपित किए । रोपे गए पौधों को जन - अभियान के रूप अपनाने के लिये लोगों को अधिक से अधिक पौधरोपण के लिए प्रेरित करने का कार्य किया गया।
भारत विकास परिषद, द्वारा शीशम के 20, आंवला के 25, आम के 20, जामुन के 5, नीम के 5, पीपल के 5, सागौन के 30, बेल के 5, काजू के 5, अर्जुन के 50, अमरूद के 5, अशोक के 15 अन्य 20 कुल लगभग दो सौ पौधे लगाए गये हैं । परिषद द्वारा किये गये सामूहिक पौधारोपण की विशेषता यह है कि पिछले दस वर्ष में अलग - अलग स्थानों पर किये गये पौधारोपण के अधिकांश पौधे आज भी सुरक्षित हैं और बड़े हो गये हैं। परिषद के सदस्यों द्वारा विगत कुछ वर्षों में पीआरटी कालेज के अतिरिक्त संघ कार्यालय, सामतपुर छात्रावास, तालाब,आरटीओ कार्यालय परिसर, तुलसी महाविद्यालय परिसर सहित अन्य स्थानों पर जो पौधे रोपे गये थे,उनमें से लगभग सभी सुरक्षित और छायादार हो गये हैं। अंत मे ए डी जे मोनिका आध्या को परिषद द्वारा एक दुर्लभ प्रजाति पौधा ब्रम्हवट भेंट किया गया।