न्यूनतम वेतन में एकतरफा कटौती के खिलाफ सीटू ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
*न्यायोचित समाधान नहीं किया गया तो हम आंदोलन को व्यापक व तेज करने को बाध्य होंगे*
अनूपपुर
मध्य प्रदेश के 25 लाख से अधिक श्रमिकों, कर्मचारियों से 1 अप्रैल 2024 से लागू न्यूनतम वेतन की वृद्धि छीन कर मई 2024 में बढ़ी हुई दर से मिली राशि के जबरिया वसूली के विरोध में आज अनूपपुर में सीटू ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपा।
सीटू नेता ने बताया कि मध्य प्रदेश में कानूनी रूप से न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के लिये निर्धारित 5 वर्ष के अंतराल के बाद होने वाले पुनरीक्षण को 9 वर्ष बाद तमाम कांट-छाँट कर लागू किया गया। उन्होंने बताया कि अप्रैल माह का बढ़ी हुई वेतन मई 2024 के वेतन में मिला ।उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ द्वारा जारी स्थगन आदेश के बहाने 24 मई 2024 को श्रमायुक्त मध्य प्रदेश द्वारा जारी नये आदेश से इसे वापस ले लिया । इससे न सिर्फ यह वृद्धि छीनी गयी बल्कि मई 2024 में भुगतान किए गए न्यूनतम वेतन में हुई वृद्धि को भी जबरन वसूली करने का अधिकार कारखाना मालिकों को मिल गया। इस कारगुजारी से न्यूनतम वेतन कानून के दायरे में आने वाले मध्य प्रदेश के 25 लाख से ज्यादा श्रमिकों कर्मचारियों में अकुशल ,अर्ध कुशल , कुशल ,. तथा उच्च कुशल को 2225 रु. मासिक की कटौती झेलनी पड रही है। सीटू नेताओं ने कहा कि एक तरफ मजदूर, कर्मचारी आसमान छूती महंगाई के शिकार होकर उसके परिवार तबाह हो रहा है वहीं मध्यप्रदेश के मोहन सिंह सरकार अपने कार्पोरेट मित्रों, कारखाना मालिकों की तिजौरी व राज्य सरकार के कोष भरने को आमादा है।
अनूपपुर जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रस्तुत कर सीटू ने मांग की है कि सरकार उच्च न्यायालय मे जारी कानूनी लडाई में मुस्तैदी से न्यूनतम वेतन वृद्धि पर स्थगन को समाप्त करने के लिए मजबूती से अपना पक्ष रखे , न्यूनतम वेतन मे हुई वृद्धि का एरियर्स सहित भुगतान कराये, न्यूनतम वेतन कानून 1948 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2024 में देय नये न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शीघ्र प्रारम्भ करे। आंगनवाड़ी को पुनः अधिसूचित नियोजनों में शामिल कर कार्यकर्ता को उच्च कुशल तथा सहायिका को कुशल श्रेणी में शामिल करे। प्रतिनिधि मंडल में सीटू जिला समिति अनूपपुर के महासचिव इंद्रपती सिंह , कार्यवाहक अध्यक्ष जुगुल किशोर राठौर ने सरकार को चेतावनी देते कहा कि यदि हमारी उपरोक्त मांगों का न्यायोचित समाधान नहीं किया गया तो हम आंदोलन को व्यापक व तेज करने को बाध्य होंगे।