क्या बनगवां की पीआईसी भी होगी भंग? क्या भाजपा कस पाएगी परिषद पर नकेल?

क्या बनगवां की पीआईसी भी होगी भंग? क्या भाजपा कस पाएगी परिषद पर नकेल?

*पीआईसी रजिस्टर में सदस्यों को बिना जानकारी दिए हस्ताक्षर करवा लिया जाता हैं*


अनूपपुर

राजनगर- ताजा जानकारी है कि मंत्री दिलीप जयसवाल के दिशा निर्देश पर नगर पालिका कोतमा में कांग्रेस द्वारा पूर्व मे गठित की गई पीआईसी को भंग कर दिया गया। पीआईसी भंग होते ही मोहम्मद मुफीद ते तत्काल दलबदल करते हुए अपना समर्थन भाजपा को देते हुए पार्टी का दामन थाम लिया। विदित हो कि नगर परिषद बनगवां में भी अध्यक्ष यशवंत सिंह ने निर्दलीय चुनाव जीतकर परिषद की कमान सम्हाली थी। तदोपरांत एक निर्दल पीआईसी का गठन किया था जिसमे लगभग सदस्य निर्दलीय निर्वाचित पार्षद रहे। 

*बनगवां पीआईसी के धांधली की शिकायतें*

नगर परिषद बनगवां का अध्यक्ष निर्वाचित होते ही यशवंत सिंह शुरुआत से ही विवादों में घिरे रहें। यह जन शिकायतें काफी सारी मिलती रही कि बनगवां के पीआईसी रजिस्टर में सदस्यों से बिना जानकारी दिए हस्ताक्षर करवा लिया जाता था। खबर तो यह भी था कि कई बार पीआईसी सदस्यों के भी बागी तेवर इस पीआईसी की कमेटी को लेकर देखी गयी जो पूरी तरह से बनगवां पीआईसी में होने वाली धांधली की तरफ इशारा करती है।

*निर्दलीयो ने बनाई थी भाजपा से दूरी*

आपको बता दे की अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्वाचन होने के बाद प्रदेश एवं संभाग के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नागेन्द्रनाथ सिंह ने जिले भर में यह संदेश दिया कि उनके कठिन मेहनत से ही इस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव में निर्दलीय अध्यक्ष एवं इकलौते कांग्रेस के पार्षद को उपाध्यक्ष बनने में उनकी अहम भूमिका रही। मगर निर्वाचन के कुछ ही महीने बाद अध्यक्ष के साथ दो निर्दलीय पार्षदों एवं पी आई सी सदस्य ने भाजपा का दामन थाम लिया मगर तीन पी आई सी सदस्यों ने भाजपा का माल ना पहनते हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील सराफ का ताबड़तोड़ प्रचार किया जिससे कि कई बूथों में कांग्रेस की बढ़त भी नजर आई। अब सवाल यह है कि बाकी पार्षदों द्वारा क्या अपनी पीआईसी को बचाने के लिए भाजपा का दामन थामा जाएगा या अध्यक्ष के समर्थन मात्र से पीआईसी यथावत रहेगी?

*क्या परिषद पर कसेगी भाजपा संगठन की नकेल?*

जिस तरह से भाजपा संगठन की तरफ से निर्वाचित हुए कोतमा विधायक एवं मंत्री दिलीप जैसवाल ने कोतमा नगर पालिका के पीआईसी कमेटी को भंग करवाकर संगठन की नकेल कसी है तो क्या बनगवां पीआईसी में भी भाजपा संगठन द्वारा ऐसी ही कार्यवाही देखने को मिलेगी? जैसे कि सभी जानते है कि पीआईसी बनगवां में मनोनीत सदस्य अभी भी निर्दलीय ही है तो क्या भाजपा सरकार के मंत्री दिलीप जैसवाल के हस्तक्षेप से संगठन की तरफ से यशवंत सिंह की पीआईसी को भंग कर उन पर संगठन की नकेल कसने का काम करेगा? यहां देखना यह भी रोचक होगा कि कोतमा की नगर पालिका की सरगर्मियां कोयलांचल पर क्या प्रभाव डालती है। क्या बनगवां की पीआईसी का गठन भी दोबारा होने की संभावना है?

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