तीन नए कानून हमारे लोकतंत्र को पुलिस राज की तरफ धकेल देगा- कामरेड विजेंद्र सोनी

 तीन नए कानून हमारे लोकतंत्र को पुलिस राज की तरफ धकेल देगा- कामरेड विजेंद्र सोनी

*मोदी सरकार किसी भी किस्म का प्रतिरोध की राजनीति बर्दाश्त नहीं करती*


अनूपपुर

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मध्य प्रदेश राज्य कार्यकारिणी के सदस्य एडवोकेट विजेन्द्र सोनी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया आगामी 1 जुलाई से पिछले संसद में बिना बहस के पारित किए गए तीन कानून जो भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता ,एवं साक्ष्य अधिनियम के जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ,भारतीय न्याय दंड प्रक्रिया संहिता ,और साक्ष्य अधिनियम पारित किया गया वह लागू हो जाएगा ,नए कानून की आवश्यकता क्यों थी जबकि संसद को कानून में संशोधन करने की संवैधानिक अधिकार प्राप्त है और लगातार दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय दंड संहिता और साक्ष्य अधिनियम में संशोधन होते रहे हैं उल्लेखनीय की सिविल प्रक्रिया संहिता में वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी जब कानून मंत्री थे तब व्यापक संशोधन किए गए थे भारतीय संसद को कानून बनाने उसे संशोधित करने का अधिकार प्राप्त है ।

लेकिन मोदी सरकार ने आनन-फानन में तीन नए कानून बिना सिलेक्शन कमिटी को भेजें बिना राज्य सरकारों से चर्चा किये संसद में बिना बहस किया विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति में इस कानून को पारित क्यों करना चाहती थी मंसा साफ है मोदी सरकार किसी भी किस्म का प्रतिरोध की राजनीति बर्दाश्त नहीं करती वह जांच एजेंसियों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार देकर के हमारे देश में जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत नागरिक अधिकार प्राप्त है जिसमें आंदोलन, प्रतिरोध और सत्ता के खिलाफ संघर्ष शामिल है उस पर अंकुश लगाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता के नए प्रावधानों के तहत पुलिसिया राज कायम करने की कोशिश की गई है। 

कामरेड विजेन्द्र सोनी ने कहा कि पहले दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत पुलिस हिरासत में किसी आरोपी को रखने के लिए 15 दिन की रिमांड स्टेज हो सकती थी जिसे बढ़ाकर 60 से 90 दिन कर दिया गया है यह सिर्फ जनता के बीच में डर का वातावरण बना रहे उसके लिए पुलिस को अधिकार दिए जा रहे हैं इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस ग्राह करने संबंधी प्रावधान साक्ष्यअधिनियम में है।

 जबकि अभी तक इंफ्रास्ट्रक्चर इस तरीके से क्रिएट नहीं हुआ है कि तमाम इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस की फोरेंसिक जांच लैब में किया जा सके ना तो लैब की संख्या बड़ी है और ना ही उसमें कार्यरत तकनीकी ज्ञान रखने वाले कर्मचारी इसके साथ ही साथ किसी भी कानून का भूतलक्षी प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात 1 जुलाई के पहले सारे लंबित मामलों में पुराने कानून ही लागू होंगे,अब एक ही अदालत में एक ही वकील और एक ही जज को दो तरीके की दंड प्रक्रिया संहिता का पालन करना पड़ेगा दो तरह के भारतीय दंड संहिता का पालन करना पड़ेगा दो तरह के साक्ष्य अधिनियम  के प्रावधान लागू होंगे जो व्यावहारिक रूप से बिल्कुल उचित नहीं है, ऐसी स्थिति में लंबित मामले और लंबित होते जाएंगे और कोर्ट के अंदर मुकदमों की बाढ़ सी लग जाएगी कामरेड सोनी ने आरोप लगाया कि सिर्फ अपने राजनीतिक एजेंडा को पूरा करने के लिए आनन-फानन में बनाए गए ये तीनों कानून देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को कुचलने के लिए काफी है।

पूर्व के दंड प्रक्रिया संहिता में पुलिस के समक्ष आरोपी के द्वारा किसी भी किस्म की स्वीकृति न्यायालय में मान्य नहीं है लेकिन वर्तमान व्यवस्था में पुलिस के सामने आरोपी की स्वीकारोक्ति से अगर कोई अन्य तथ्य स्थापित होते हैं तो वह स्वीकारोक्ति रुकते न्यायालय में मान्य होगी उदाहरण के तौर पर यदि कोई आरोपी पुलिस के समक्ष यह स्वीकार करता है कि हां उसने ₹10000 लिए थे और उसके घर से ₹10000 पुलिस बरामद कर लेती है तो यह न्यायालय में स्वीकारोक्ति की श्रेणी में आएगा इन प्रक्रियाओं से नागरिकों के संवैधानिक अधिकार और पुलिस अभिरक्षा में जोर जबरदस्ती के साथ स्वीकारोक्ति  लिए विवश किया जाना शामिल है जो पूर्णतया मानव अधिकारों के विरुद्ध है।

इस कानून में दंड संहिता की 511 धाराओं की जगह 358 धाराएं दंड प्रक्रिया संहिता की 484 धाराओं को बढ़ाकर 521 धाराएं और साक्ष्य अधिनियम के 167 धाराओं को बढ़ाकर 170 धाराएं रखी गई अगर पूर्ववर्ती कानून में कुछ खामियां थी तो उसे संशोधित किया जा सकता था कुछ नई धाराएं जोड़ी जा सकती थी लेकिन पूरे कानून को उसके मूल स्वरूप को बदलकर एक नई किस्म का नाम देकर के सिर्फ अपने राजनीतिक मकसद को पूरा किया जा रहा है जो पूरी तरीके से अलोकतांत्रिक है कामरेड सोनी ने उम्मीद जाहिर की है कि आगामी 24 जून से होने वाले संसद सत्र में नीट की परीक्षा अग्नि वीर, और तीन कानून के संबंध में विपक्षी दलों द्वारा जोरदार सवाल उठाए जाएंगे और सरकार को इस कानून को वापस लेने के लिए विवश होना पड़ेगा। क्योंकि मौजूदा समय में यह तीनों कानून अव्यावहारिक अप्रासंगिक और गैर जरूरी है।

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