वशिष्ठ पीठाधीश्वर महर्षि डॉ.रामविलास वेदांती के मुख से भागवत कथा ज्ञान भक्ति गंगा हुई प्रवाहित

वशिष्ठ पीठाधीश्वर महर्षि डॉ.रामविलास वेदांती के मुख से भागवत कथा ज्ञान भक्ति गंगा हुई प्रवाहित

*श्रीमद्भागवत सप्ताहज्ञान महायज्ञ , हवन और भंडारा बाद हुआ समापन*


 अनूपपुर

मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक के काटजूग्राम वार्ड क्रं.02 बाराती सुरेंद्र पांडेय के निज निवास पर अपने पूर्वजों और परिवार के निमित्त मां नर्मदा की असीम अनुकम्पा तथा गुरुदेव युवराज स्वामी बद्री प्रपन्नाचार्य महाराज चित्रकूट धाम के आशीर्वाद से श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ तेईस से उन्तीस मई दो हजार चौबीस तक अयोध्या नगरी से पधारे कथा व्यास सदगुरुदेव परमपूज्य वशिष्ठ पीठाधीश्वर महर्षि डॉ.राम बिलास वेदांती महाराज के विद्वतवरेण्य संत के श्रीमुख से निःश्रत श्रीमद्भागवत कथा श्रद्धा और शुभता का नया सोपान अमरकंटक नगर वासियों हेतु प्रवाहित किए । श्रीमद्भागवत कथा के संयोजक रहे डॉ.वेदांती के शिष्य डॉ.राघवेश दास वेदांती अयोध्या रहे। कथा के मुख्य यजमान के रूप में श्रोता अमरकंटक बाराती निवासी ममता पांडेय / सुरेंद्र पांडेय तथा उनकी बहू श्रीमती रेशमा पांडेय / शैलेंद्र पांडेय  सहित परिवार के अन्य सदस्यगण स्वागत की बागडोर पूरे सप्ताह भर सम्हाले रखे । 

प्रथम दिवस मां नर्मदा उद्गम स्थल कुंड में पूजन कर कलशों में जल भरकर भव्य रथ में कथा वाचक संत को विराजमान कर माथे में भागवत , कलश रख पैदल परिवार , नगरवासियों की टोली साथ ढोल नगाड़ों , अतीसबाजी मध्य शोभा यात्रा नर्मदा मंदिर से प्रारंभ होकर वार्ड 02 बाराती निज निवास कथा स्थल पहुंच कलश स्थापना , बेदी पूजन , भागवत पुराण पूजन उपरांत रोजाना दोपहर 03 बजे से शाम 06 बजे तक मंत्रमुग्ध कर देने वाली कथा का वाचन तथा भजन गीत वाद्ययंत्र के साथ 29 मई तक चलती रही। दिन गुरुवार 30 मई 2024 को यज्ञ हवन पूर्णाहुति पश्चात विशाल भंडारा प्रसाद ग्रहण करावाया गया । 

अयोध्या से पधारे भागवत कथा वाचक संत हिंदूधाम संस्थापक वशिष्ठ पीठाधीश्वर महर्षि डॉ. रामविलास दास वेदांती महाराज ने बताया की मानस मराल वैष्णव कुलभूषण संत शिरोमणि रामभूषण दास महाराज जैसे संत का सानिध्य (हमारे गुरुदेव) व संरक्षण मिला तथा दीक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य भी मिला । 

रामविलास वेदांती ने 1968 में घरबार छोड़कर अयोध्या राम की नगरी पहुंच योग्यतम् आचार्य संत अभिरामदास का संरक्षण मिला । इन्ही के मार्गदर्शन में आपने संस्कृत का अध्ययन करते हुए वेदांताचार्य एवं विद्यावारिधि(पीएचडी)की उपाधि प्राप्त की। आपने 1976 में श्री रामनगरी की प्रमुख पीठ वशिष्ठ भवन के महंत पद पर सुशोभित हुए। श्री रामजन्मभूमि आंदोलन नेतृत्व की जब भी जरूरत पड़ी तो आपने अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर हिंदू समाज का नेतृत्व किया और पच्चीस बार जेल भी गए । वेदांती जी ने लोकसभा सदस्य के रूप में दो बार धर्म संस्कृति और सनातनता की पताका फहराई। आपने वर्ष 2000 में न्यूयार्क के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म दर्शन के संवाहक बने। गत तीन दशक से कथा , प्रवचन के फलक पर छाए हुए है। अपने लगभग एक हजार मंचो से भक्ति की गंगा को प्रवाहित किया है। पूज्य वेदांती महाराज वेद, वेदांत , गीता , उपनिषद , श्रीमद्बाबाल्मिकी - रामायण , श्रीमद्भागवत महापुराण , श्री रामचरित मानस और अन्यान्य पुराणों के मर्मज्ञ विश्वविख्यात संत  शिरोमणि है। ऐसे संत का आगमन अयोध्या से पधार कर मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली अमरकंटक की पावन भूमि में अपके श्री मुख से श्रीमद्भागवत कथा का ज्ञान गंगा भक्ति रस खूब बहाया । सप्ताह भर श्रोतागण खूब भक्ति में झूमते नजर आए।

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