मोहन के राज में दौड़ रही मामा की सरपट घोड़ी, युवा वर्ग हो रहे हैं बर्बाद, मामा की पांचों उंगलियां घी में
*.मामा का हाईटेक हुआ अवैध कारोबार, कानून के लंबे हाथ नही पहुँच पा रहे हैं घोड़ी तक*
शाहडोल/अनूपपुर
अनूपपुर व शहड़ोल जिले के बॉर्डर में इस समय अपराधियों के हौसले बुलंद देखे जा रहे हैं चारों ओर आसामाजिक तत्वों का बोलबाला है अपराध समूचे क्षेत्र में सर चढ़कर बोल रही है जुआ, सट्टा का कारोबार दिन दहाड़े चल रहा है मगर पुलिस इस मामले में हाथ पर हाथ रखकर बैठी है। इस तरह से मूकदर्शक बने रहना नागरिकों के बीच प्रश्न चिन्ह खड़ा करने वाला विषय उत्पन्न हो रहा है कि कहीं ना कहीं पुलिस और प्रशासन इन अवैध कारोबारी को संरक्षित करने का काम तो नहीं कर रही है। आज के इस बदलते आधुनिक प्रतिस्पर्धा के परिवेश में अन्य व्यवसाय की तरह जुआ सट्टा भी हाईटेक हो चला है खासकर यदि हम बात करें कोयलांचल क्षेत्र की तो यहां नए-नए तरीके से जुआ सट्टे का संचालन किया जाता रहा है कभी अंक गणित के माध्यम से तो कभी 52 परी तो कभी आईपीएल या फिर अब घोड़ी जुआ के धंधे की भाषा में यदि कहे तो खिलाड़ी जी हां खिलाड़ी इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं अमलाई विवेक नगर संजय नगर यहां तक की शहडोल जिले की सीमा से लगे हुए क्षेत्र धनपुरी अमराडांडी चीप हाउस मे मामा और उनके साथियों की हुकूमत बरकरार है सूत्रों की माने तो इस समय अमलाई क्षेत्र में मामा की घोड़ी दौड़ रही है लेकिन मजे की बात तो यह है कि घोड़ी ढाई घर चलती है और पुलिस सिर्फ दो ही घर अब ऐसे में खाकी असमंजस में है की लक्ष्मी पकड़े या घोड़ी देखने की बात तो यह है कि आखिरकार मामा की घोडी में लगाम कौन लगाएगा मोहन सरकार की पुलिस या क्षेत्र के जनप्रतिनिधि या फिर इस जुआ सट्टा से तबाह बर्बाद हो चुके हैं उन घर की मातृशक्तियां इनके खिलाफ क्या मोर्चा खोल पाएगी या फिर घोड़ी ऐसे ही अमलाई नगर में सरपट दौड़ती रहेंगी।
क्षेत्र में जुआँ अवैध बड़ा कारोबार संचालित हो रहा है बताया जा रहा है कि मामा क्षेत्र में जुआँ के अवैध कारोबार को कोढ की तरह फैलाने में हावी हो चुके हैं और इस बीमारी की लत क्षेत्र के युवा बूढ़े बेरोजगार मजदूर ग्रामीण गरीब किसान सभी को लग चुकी है जो इनके चंगुल में फंसकर अपनी समस्त गाढ़ी कमाई लूटाने को मजबूर साबित हो रहे हैं। मामा धनपुरी, चीप हाउस तीन नम्बर, अमलाई व चचाई क्षेत्र सहित आसपास के गांव तक अपना लंबा मछली जैसा जाल फैलाकर जुआँ का बाजार गर्म कर अपनी जेब भरने का काम कर रहे है। इनके द्वारा बाजार सहित आसपास के क्षेत्र में घूम-घूम कर अपनी लंबा नेटवर्क और दलालों के माध्यम से भी जुआँ के माध्यम से फांसने का काम किया जा रहा है। मामा जैसे आसामाजिक तत्व या यूं कहे समाज के दुश्मन जो अपनी जेब भरकर उल्लू सीधा करने के फिराक में लोगों का घर बर्बाद करने में पीछे नहीं हट रहे हैं और ऐसे लोगों को पुलिस भी कुछ नही कर पा रही हैं। खुलेआम जुआँ को संचालित करके युवा बेरोजगार ज्यादा कमाने की लालच में अपनी व अपने घरवालों कमाई हुई पूंजी को गवाने का काम कर रहे हैं। शाम होते ही मामा का जुआँ का फड़ तैयार हो जाता है। पुलिस प्रशासन के द्वारा कार्यवाही न किए जाने के कारण इस तरह के अवैध कारोबारी फर्श से अर्श पर पहुंच जाते हैं। जब लोग अपनी मेहनत की कमाई हुई राशि गवा बैठते हैं तब अनैतिक अन्य बुराइयों का आविष्कार इनके दिमाग में होता है जिससे चोरी डाका शराब का लत इस तरह के प्रभाव बढ़ जाते हैं इस तरह मार्ग से भटक कर इस तरह के नागरिक और ग्रामीण घरेलू व सामाजिक हिंसा की ओर अग्रसर हो जाते हैं और इसका जिम्मेदार कोई नहीं रह जाता अगर समय रहते इन सब चीजों पर प्रशासन बखूबी जिम्मेदारी निभाएं तो समाज में बुराइयां पनपे ही नहीं।