कोयले की ग्रेट सेंपलिंग न होने से कोल इंडिया को करोड़ों का नुकसान
अनूपपुर
कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल जो की कोयले के उत्पादन में नया-नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और देश के विकास में कोयला मेरुदंड की भूमिका निभाता है लेकिन वहीं पर कुछ अधिकारियों की लापरवाही के चलते कोल इंडिया को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है ऐसा ही एक मामला एसईसीएल के जमुना कोतमा क्षेत्र का सामने आया है जहां पर की एरिया के अंतर्गत संचालित भूमिगत खदान बदरा 9/10 के अच्छे क्वालिटी के कोयले को जी -10 ग्रेड से गोविंद रेलवे साइडिंग भेजा जा रहा है जिसके कारण इसईसीएल के माइंस 9/ 10 को 45 से 50 करोड रुपए का सालाना नुकसान हो रहा है यह नुकसान कई महीनो सालों से चल रहा है अगर समय रहते ग्रेट सैंपलिंग करवा दिया जाता और यही कोयला आमाडाड खुली खदान की तरह प्राइवेट स्तर पर बेचा जाता तो निश्चित ही 2000 से ₹2500 प्रति टन का कोल इंडिया को फायदा होता जो की सालाना औसतन 45 से 50 करोड़ रुपए होगा लेकिन अधिकारियों की लापरवाही कहें मिली भगत कहे या सुस्ती के कारण एस एसईसीएल को कई करोड़ का नुकसान हो रहा है और गेट सैंपलिंग ना होने के कारण ऊंचे गेट का कोयला निचले ग्रेट स्तर पर कम दामों पर बिक रहा है कोयला के जानकारो ने क्षेत्र के श्रमिक और श्रम संघ प्रतिनिधियों ने क्षेत्र के महाप्रबंधक हरजीत सिंह मदान से मांग किया है कि कोयले की ग्रेड सेंपलिंग तत्काल कराया जाए ताकि कोयला अधिक और अपने सही दाम पर बिक सके और कोल इंडिया को हो रहे करोड़ों के नुकसान से बचाया जा सके।