जिले में संचालित कानून के 02 विधान, क्या मौन स्वीकृति दे रखे हैं पुलिस कप्तान
अनूपपुर
जिला क्षेत्रांतर्गत संचालित कानून व्यवस्था 02 तरह के मापदण्डों के अनुरूप कार्य कर रही है। इसमें अतिशयोक्ति नही है कि जिले के पुलिस कप्तान कि जिम्मेदारी समूचा जिला क्षेत्र कि कानून-व्यवस्था को बरकरार व दुरुस्त रखने के लिए निर्भीक एवं निष्पक्षता पूर्ण तरीके से प्रतिपालन कराया जाना आवश्यक है। ताकि जिलेभर के भिन्न-भिन्न भू-भागों में रहने वाले रहवासियों में कानून के निष्पक्ष प्रणाली के प्रति विश्वास कायम रहे। साथ ही सभी में आवश्यक रूप से यह मनोविश्वास भी कायम रहे। कि संविधान द्वारा पृदत कानून व्यवस्था का पालन-प्रतिपालन प्रत्येक नागरिकों के लिए एक जैसा ही होना चाहिए। किन्तु अनूपपुर जिला में संविधान के वर्णित नियमों का पालन यद्दपि हो नही पा रहा है। और शासन के मुलाजिम बने पुलिसिया अमला भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाकर आदीवासी बाहुल्य अनूपपुर जिलाक्षेत्र में दोहरी कानून व्यवस्थाओं का संचालन करते हुए, आम और खास लोगों के मध्य दूरियों का दीवार खडी़ कर दिए हैं। जिस पर शासन सत्ता में बैठे उच्चस्तरीय जनप्रतिनिधि भी आंख मूंदकर तमाशबीन साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि जिला अन्तर्गत भिन्न-भिन्न थानाक्षेत्रों में नियम-कानून का खुलेआम दोहन स्वयं कानून के रक्षकों द्वारा ही किया जा रहा है।
*बीते माह आयोजित हुए डिनर पार्टी में पुलिस कप्तान कि चुप्पी दोहरी कानून व्यवस्था का प्रमाण-*
बीते माह 28 अप्रैल कि शाम बिजुरी थाना परिसर में नगर निरीक्षक विकाश सिंह द्वारा विशाल दावत ए भोज का आयोजन किया गया। जो नियम-कानून के बिल्कुल उलट है। वहीं समूचा देशभर में आदर्श अचार संहिता प्रभावशील होने पश्चात भी भारी तादाद में लोगों को आमंत्रित कर, भीड़ एकत्रित करते हुए। खुलेतौर पर आदर्श आचरण संहिता का भी उल्लंघन किया गया। बावजूद इसके इन कारनामों पर जिला पुलिस अधीक्षक सहित सम्भागीय उच्च शीर्ष पुलिस अमला द्वारा मामले पर किसी तरह का संज्ञानता नही दिखाया गया। जो निश्चिततौर पर साबित करता है। कि जिला व सम्भागीय शीर्षोत्तर पर असीन विभागीय अमला द्वारा आदिवासी बाहुल्य अनूपपुर जिलाक्षेत्र में दो तरह के विधानों का प्रावधान रखा गया है। लिहाजा प्रथम विधान के दायरों में स्वयं के अधीनस्थ कर्मी सहित खास वर्गों को शामिल किया गया है। जिन्हे नियम-कायदों कि अवहेलना के साथ-साथ मनमर्जी का अधिकार कानून के पहरेदारों कि तरफ से खुलेतौर पर दी गयी है। वहीं द्वितीय विधान के दायरे में प्रशासनिक स्तर से निम्न एवं गरीब वर्गों को शामिल कर रखा गया है। जिन्हे संविधान द्वारा वर्णित न्याय व्यवस्था में इन्साफ के लिए काफी जद्दोजहद से गुजरना पड़ता है। एवं नियम-कानून के प्रतिपालन में थोड़ी सी भी चूक होने पर, इन्हे खाखी के धारकों द्वारा ही न्यायदण्ड विधान संहिता के विपरीत मनमानी तरीकों के यातनाओं से जूझना पड़ता है। जिसकी जानकारी दिन-प्रतिदिन सोशल मीडिया सहित स्थानीय व राष्ट्रीय अखबारों एवं टीवी चैनलों में दिन प्रतिदिन देखने-सुनने को मिलता ही रहता है।
*क्या सम्भाग के शीर्ष पुलिस नेतृत्व भी नियम कायदों के दोहरी मानसिकता का बने हैं शिकार-*
जिला के शीर्ष पुलिस नेतृत्व अर्थात पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने विभाग के कारस्तानियों को नजरंदाज करने के एवज में जिले के आम जनमानस कि मानसिकता एवं मनोभावों को नकारकर, कानून कि शाख पर बट्टा लगाने का कार्य तो कर ही रही है। किन्तु सवाल उठता है कि क्या सम्भाग के शीर्ष पुलिस नेतृत्व भी अधीनस्थ पुलिसकर्मियों के नियम विरुद्ध कारनामों पर चुप्पी साध, यह जताने का प्रयास करेगा कि कानून-व्यवस्था का दोहरा मापदण्ड सिर्फ अनूपपुर जिला ही नही अपितु सम्पूर्ण शहडोल सम्भाग में व्याप्त है। और जब तक वर्तमान शीर्ष पुलिस नेतृत्व कि तैनाती अनूपपुर जिला एवं शहडोल सम्भाग में रहेगी। कानून के दोहरे मापदण्डों का पालन अनिवार्यता ही रहेगी। फिर चाहे प्रदेश कि सरकार सबका साथ सबका विकाश एवं सबका विश्वास का दम्भ क्यूं ही ना भरे।