लैम्पस में भ्रष्टाचार, ऑडिटर और प्रबंधक पर लगे गंभीर आरोप, आखिर कब होगी जांच..?

 लैम्पस में भ्रष्टाचार, ऑडिटर और प्रबंधक पर लगे गंभीर आरोप, आखिर कब होगी जांच..?

*30 वर्षों से एक ही जगह राज, भ्रष्टाचार में मिला ऑडिटर का साथ*


शहडोल

जिले में भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले सहकारिता विभाग का आलम यह है कि, जिस भी कर्मचारी के नाम के आगे भ्रष्टाचार की सुईयां घूम रहीं हों, ऐसे कर्मियों को विभाग में बैठे जिम्मेदार उपकृत करने कोई भी अवसर नहीं छोड़ रहे। ऐसा ही एक मामला पुनः जिले के धनपुरी लैम्पस से प्रकाश में आया है। जहां प्रबंधक समर बहादुर सिंह को सहायक प्रबंधक के पद पर पदोन्नत किया गया है। जबकि, अगर उक्त लैम्पस प्रबंधक के कारनामों की फेहरिस्त खंगाली जाए, तो इनका भ्रष्टाचार प्याज के छिलकों के मानिंद खुलता जायेगा।

*30 वर्षों से एक ही जगह राज*

बता दें कि, वह लगभग बीते तीन दशकों से यहां पदस्थ हैं। जानकारी के मुताबिक, 30 साल पहले सेल्समैन पद पर भर्ती होने वाले इस शख्स पर कभी भी जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ी। जबकि, यदि नागरिक आपूर्ति विभाग इनसे संबंधित अभिलेखों की जांच करे, तो भ्रष्टाचार की कई परतें खुलेंगी। सूत्रों की मानें तो, सेल्समैन पद पर रह चुके समर बहादुर उचित मूल्य की दुकानों के संचालन में होने वाले भ्रष्टाचार का स्वाद चखते हुए, कहीं घोषित तो कहीं अघोषित तौर पर अपने परिजनों को कई दुकानों के संचालन का जिम्मा सौंपा। बताया गया है कि, इनका सगा भाई आनंद बहादुर सिंह 3 दुकानों का संचालन कर रहा है। वहीं कुछ रिश्तेदार अघोषित रूप से दुकानों का संचालन कर रहे हैं। जबकि, दर्ज अभिलेखों में विक्रेता कोई और हैं।

*भ्रष्टाचार की लंबी है दास्तां*

यह बात भी सामने आई है कि, धनपुरी में पदस्थ सहकारी बैंक के तत्कालीन प्रबंधक सैयद महमूद के साथ मजदूरों की मजदूरी का 56 लाख, नगद आहरण निकासी पर्ची से किया गया था। जिसकी शिकायत भोपाल स्तर तक की गई थी। उक्त जांच में लेन-देन कर उच्च स्तर से मामले को शांत कर दिया गया था। लैम्पस धनपुरी अंतर्गत जितनी भी उचित मूल्य की दुकानें हैं, उनमें अभिलेखों में दर्ज मात्रा और स्टॉक में रखे अनाज में भरी विसंगतियां हैं। अगर खाद्य विभाग स्टॉक का भौतिक सत्यापन करे, तो निश्चित रूप से भ्रष्टाचार सामने आ जाएगा। वहीं यह भी बताया गया है कि, इन्होंने सेल्समैनों से वेतन बढ़ोत्तरी के नाम पर 15-15 हजार की वसूली की। किसानों से ऋण वापसी में भी खयानात किया गया। जमा की गई रकम की फर्जी पावती दी गई। किंतु, रकम बैंक में जमा नहीं किया गया। जिसकी सूचना किसानों ने थाने में भी की थी। हालांकि, मामला सामने आने और कानूनी कार्रवाई के भय से आनन-फानन में कुछ राशि बैंक में जमा की गई।

*भ्रष्टाचार में मिला ऑडिटर का साथ*

ऐसा नहीं है कि, समर बहादुर अकेले ही अपने इन कारनामों को अंजाम दे रहे हैं और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं। बल्कि, यह सारा खेल उपायुक्त सहकारिता शहडोल के दफ्तर में बैठे अमृतलाल गुप्ता नामक ऑडिटर की देख रेख में चलायमान है। बताया गया है कि, लैम्पस धनपुरी के आय-व्यय का ऑडिट वही करते हैं। ऐसे में ऑडिटर पर आरोप लगना लाजमी ही है। जिनके कार्यकाल में तैयार बैलेंस शीटों की भी सूक्ष्मता से जांच किए जाने की आवश्यकता जताई गई है।

*इनका कहना है*

धनपुरी लैम्पस से संबंधित कुछ शिकायतें मिलीं हैं। कुछ प्रकरण एसडीएम कोर्ट में भेजे भी गए हैं। शिकायतों की जांच की जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।

*विपिन पटेल, जिला खाद्य अधिकारी, शहडोल*

मेरी पदस्थापना अभी हाल में ही हुई है। कुछ शिकायतें समिति के कर्मचारियों से मिली है। जिसकी जांच की जाएगी।

*रंजना किशन, प्रशासक, लैम्पस धनपुरी*

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget