रुद्रगंगा संत फक्कड़ आश्रम को वन विभाग ने उखाड़ फेंका गया, लोगो मे नाराजगी
*आश्रम की देखभाल करने शिष्य शत्रुधन लापता, यहाँ 60 वर्षों से संत करते आ रहे थे साधना
अनूपपुर
मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक से सटा हुआ जंगलों के बीचों बीच एकांत क्षेत्र में रमणीय स्थल रुद्र गंगा है जन्हा पर ब्रम्हलीन संत फक्कड़ बाबा के नाम से जाने पहचाने जाते थे । संत फक्कड़ बाबा जी इस स्थान पर रह कर साधना , भजन किया करते थे । यह आश्रम लगभग 55 - 60 वर्षो से ज्यादा के समय से बताया जा रहा है । फक्कड़ बाबा के ब्रम्हलीन होने के उपरांत उनके शिष्य शत्रुधन पुरी ने गुरु स्थान को सम्हाल कर रखा हुआ था और अपने गुरु परंपरा अनुसार भजन , साधना के साथ गुरु स्थान पर रह कर पूजा पाठ में लीन रहते थे । शिष्य संत सत्रुधन पुरी ने संतो और नगर वासियों से कई बार वन विभाग द्वारा परेशान करने की सूचना देते रहते थे। रुद्र गंगा आश्रम जाने का रास्ता अधिकारियों द्वारा कई बार बंद भी किया गया है । रुद्र गंगा में 55 - 60 वर्षो से बना फक्कड़ आश्रम से वन विभाग के अधिकारियों को क्या परेशानियां थी उन्हे तक नही पता ।
प्राप्त जानकारी अनुसार फॉरेस्ट विभाग द्वारा रुद्र गंगा में पुराना फक्कड़ आश्रम को ध्वस्त कर दिया गया है । आश्रम में देख रेख करने वाले संत शत्रुधन का भी कोई अता पता नही है । आश्रम में काली प्रतिमा , संत धूनी और आश्रम को वन विभाग द्वारा उखाड़ फेंक दिया गया है। संत आश्रम जो बहुत पुराना था और जिस तरह ध्वस्त कर नस्ट किया गया है उससे अमरकंटक नगर वासी , संत संप्रदाय और आश्रम से जुड़े लोग भारी नाराज और दुखी है । संत समाज पर ये एक आघात जैसी बात है। इसका सभी ने विरोध कर रहे है। एडवोकेट रज्जू सिंह नेताम का कहना है की पुराना संत आश्रम तोड़ना संत विरोधी मानसिकता है । रंग महल की साध्वी शिवानी पुरी भी कहती है की यह आश्रम संत तपस्थली थी । इस आश्रम के जुड़े लोग इस घटना से काफी नाराज है और आगे बडा कदम उठाने की बात कह रहे।