जमकर व्याप्त है भ्रष्टाचार, कैसे होगा कॉलेज चलो अभियान सफल, कागजो में सिर्फ दिखावा

जमकर व्याप्त है भ्रष्टाचार, कैसे होगा कॉलेज चलो अभियान सफल, कागजो में सिर्फ दिखावा

*बाबू रमेश कुमार वर्मा अपने सुपुत्र को केशवाही कॉलेज के आउटसोर्स के बजट से दिलवा रहे है वेतन*


शहड़ोल

शहड़ोल जिले के केशवाही कॉलेज में कैसे होगा कॉलेज चलो अभियान सफल जब केशवाही कॉलेज में व्याप्त है घोर अव्यवस्थाएक ओर उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा व्यवस्था में नित-नवीन सुधार कर नई शिक्षा नीति को सार्थक बनाने का प्रयास कर रही है, वहीं कॉलेज के प्राचार्य व्यवस्था सुधारने की जगह जनभागीदारी की राशि और शासन से प्राप्त बजट का बंदरबाट करने में संलिप्त है । यह आलम है ग्रामीण क्षेत्र बाहुल्य शासकीय महाविद्यालय केशवाही का । यहॉ वर्तमान में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य डॉ. आई. के. बेग जिनकी पदस्थापना शासकीय नेहरु महाविद्यालय बुढ़ार में है और वे नियम विरुद्ध तरीके से शासकीय महाविद्यालय केशवाही के प्रभारी प्राचार्य बने हुए हैं । जाहिर है कि इनके पास नेहरु महाविद्यालय बुढ़ार जिसे अब उत्कृष्ट महाविद्यालय का दर्जा मिल गया है, छात्रावास, आवास, भोज मुक्त विश्व विद्यालय, परीक्षा आदि का भी प्रभार है, तो इनसे केशवाही कॉलेज के विकास की कल्पना कैसे साकार हो सकती है । माह में मुश्किल से 7-8 दिन आकर केशवाही कालेज की जिम्मेदारी की इति श्री कर लेते है । महाविद्यालय में वर्तमान में बोरिंग खराब हो जाने से पेय जल की आपूर्ति ठप्प है, पर प्राचार्य तो नेहरु महाविद्यालय बुढ़ार के आर. ओ. का पानी पी रहें हैं । विद्युत आपूर्ति हेतु न तो इर्न्वटर है और न ही सी.सी. टी.व्ही. कैमरा आदि, छात्रों को न तो निःशुल्क पुस्तक वितरण का लाभ मिलता है अपितु छात्रवृत्ति स्वीकृत कराने के पीछे प्रभारी प्राचार्य डॉ. आई.के. बेक छात्रो से चोरी-छिपे अपने ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे है। उन्हे केशवाही कॉलेज की अव्यवस्थाओं से क्या लेना-देना । शासकीय महाविद्यालय की स्थापना म.प्र.के यशस्वी मुख्यमंत्री रहे शिवराज चौहान ने की थी । महाविद्यालय को नवीन भवन 4 करोड़ रुपये की लागत से तो प्राप्त हो गया है, किन्तु अभी मूलभूत आवष्यकता जैसे फर्नीचर, लाईब्रेरी,गुणवत्ता सुधार हेतु आवष्यक उपकरण सभी का लगभग 15 लाख रुपये का आबंटन प्राप्त होंने के बाद भी महाविद्यालय में गिने-चुने पुराने जीर्ण-शीर्ण फर्नीचर है । प्राप्त बजट नेहरु महाविद्यालय डी.डी.ओ. बुढ़ार से ही निपटा दिया जाता है । जहॉ रमेश कुमार वर्मा बाबू अपने सुपुत्र को केशवाही कॉलेज के आउटसोर्स के बजट से वेतन दिला रहे है  प्राचार्य के प्रतिदिन कॉलेज न आने से घोर अव्यवस्था का आलम है । इन परिस्थितियों में उच्च शिक्षा विभाग का कॉलेज चलो अभियान मात्र एक दिखावा रह जायेगा।

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