सिम्मा अवैध कबाड़ कारोबार का बना बादशाह, ठीहा में खपा देता है चोरी का लोहा
बेरोजगार युवकों से कराता है अवैध काम, पुलिस बनी मूकदर्शक, कब होगी कार्यवाही*
शहड़ोल
शहडोल जिले के अमलाई थाने से 200 मीटर की दूरी पर जहां धड़ल्ले से कबाड़ सरगना द्वारा कबाड़ के नाम पर चोरी की वारदातों को ना सिर्फ गुर्गों के माध्यम से अंजाम दिलाया जा रहा है बड़े पैमाने पर चोरी का माल प्लास्टिक और पुट्ठो में के नीचे दबा कर रायपुर तथा जबलपुर भी भेजा जा रहा है। आलम यह है कि इन पर लगाम कसने में बेचारे थाना प्रभारी अमलाई और थाना प्रभारी चचाई बेबस नजर आ रहे हैं, और कथित माफिया अनूपपुर तथा शहडोल मुख्यालय सेटिंग का गाना गुनगुना रहे हैं। हालांकि यह छुटपुट माफिया सिर्फ आन द रिकार्ड गुर्गे ही है। पर्दे के पीछे इन गुर्गों का राजा कोई और ही है। कम शब्दों में कहें तो पर्दे के पीछे से गुर्गों के माध्यम से इन गुर्गों का राजा मोनोपली बना कर कबाड़ के इस अवैध कारोबार का सरगना बन बैठा है। लेकिन बात अगर जमीनी हकीकत की करें तो प्रतीत होता है। कि संयंत्र के तहत छोटा-मोटे कबाड़ियों को रास्ते से हटाकर 4 गुने रफ्तार से अवैध कबाड़ कारोबार को अंजाम सिम्मा द्वारा दिया जा रहा है।
*मुख्य सरगना बना सिम्मा*
बात अगर अब से 6 महीने पूर्व की करें तो शहडोल जिला मुख्यालय सहित जिले भर में अलग-अलग छुटपुट कबाड़ी थे, जो छोटे-मोटे कबाड़ के साथ थोड़ा बहुत चोरी का माल खरीदी बिक्री का काम करते हुए डायरेक्ट अपने माल की सप्लाई रायपुर तथा जबलपुर किया करते थे। लेकिन अचानक से कथित माफिया ने एक फतवा लागू किया कि जिसको भी कबाड़ का काम करना है तो माल सिम्मा को ही देना पड़ेगा नहीं तो कारोबार तो बंद होगा ही जिला बदर और रासुका जैसी कार्यवाही भी की जाएगी, इसी तारतम्य में कई छोटे कबाड़ कारोबारियों को 379 के तहत पीली कोठी का सफर भी कराया गया। कुछ बेचारे शिकायत लेकर आलाकमान के पास भी पहुंचे पर कहते हैं। ना कि सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का और अंततः जिले भर के कबाड़ कारोबारियों ने कथित माफिया के आगे अपने घुटने टेक दिए और कल तक फेरी वालों से कबाड़ खरीद कर जबलपुर भेजने वाले कबाड़ कारोबारी मजबूरी में एफआईआर,जिला बदर एवं अन्य कार्यवाही से बचने के लिए 41 रुपए किलो का माल 31 रुपए किलो में कथित माफिया बंधुओं को देने को मजबूर हैं।
*आखिर कबाड़ माफिया सिम्मा पर कार्यवाही कब*
अगर माफिया मुक्त अभियान की तर्ज पर काम कर रहा है और अवैध कबाड़ कारोबार पर अंकुश लगाने की तैयारी है तो सिर्फ जिला बदर की श्रेणी में और अन्य को ही क्यों शामिल किया गया है, इंदिरा नगर अमलाई के कथित माफिया के ऊपर भारी मात्रा में शराब तस्करी सहित कबाड़ के अन्य मामले दर्ज हैं, फिर भी बदस्तूर कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। निश्चित तौर पर अमलाई पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर कार्यवाही या कबाड़ कारोबारियों पर की गई है । लेकिन अब यही कार्यवाही या यह दिखाती हुई प्रतीत हो रही है क्या किसी एक माफिया के इशारे पर सारे कबाड़ कारोबारियों को एक ही झंडे के नीचे लाने का प्रयास था जिसमें सफलता मिली और अब कांटा और गोदाम नया बनाया गया और माल सीधे रायपुर में पलटी हो रहा है। गौरतलब है कि माल अनूपपुर जिले से होकर गुजरता है जहां की स्थानी पुलिस की भी कार्यशैली पर सवाल उठने लाजमी है।
*इंदिरा नगर बना कबाड़ का हब*
छुटपुट कबाड़ कारोबारियों के पहिए अब उल्टी दिशा की ओर मुड़ चुके हैं क्यों की मरता क्या न करता की तर्ज पर छोटे कारोबारी एक ऐसे माफिया को 10 रुपए प्रति किलो कम रेट पर माल देने को मजबूर है जो तत्काल प्रभाव से किसी भी छोटे कारोबारी के ठीहे पर दबिश दे सकता है। कल तक जो माल शहडोल से जबलपुर बड़े ठीहो में जाया करता था। कम शब्दों में कहें तो 5 साल पहले जैसे सिंडिकेट बनाकर कारोबार गुलजार था वैसे ही अब सरगना बनाकर कारोबार गुलजार हो रहा है।बताया जाता है कि उस गोदाम में ऐसे ऐसे अस्त्र- शास्त्र है कि महज कुछ ही घंटों में हाईवा और पोकलेन जैसी बड़ी गाड़ियों को भी काट -पीट के मिनी ट्रक, 709 में फिट कर दिया जाता है, जहां जाने की आज तक स्थानीय पुलिस ने हिम्मत नहीं जुटाई है लगातार रेलवे तथा बंद पड़ी खदानो और कॉलरी से लोहे की चोरी हो रही है जिस पर सिम्मा पर पूरा जिम्मा बरकरार है। जिस पर स्थानीय पुलिस हाथ मे हाथ धरकर बैठी है।