वनपाल की मौत पर परिजनो ने डीएफओ पर लगाया प्रताड़ना से आत्महत्या का आरोप, थाना में हुई शिकायत
अनूपपुर
वन परिक्षेत्र बिजुरी क्षेत्र अंतर्गत रामनगर डोला बैरियर में पदस्थ डिप्टी रेंजर प्रेमलाल बनवासी ने वनमंडलाधिकारी अनूपपुर सुशील कुमार प्रजापति की प्रताड़ना से तंग आत्महत्या कर लिए जाने का आरोप परिजनों द्वारा लगाये जाने के बाद करनपठार थाना में डीएफओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई थी, मामले को गंभीरता को देखते हुए मध्यप्रदेश शासन वन विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा 12 फरवरी को वनमंडलाधिकारी सुशील कुमार प्रजापति को अनूपपुर से हटाते हुए उनके स्थान पर वन मंडलाधिकारी दक्षिण शहडोल को अपने कार्य के साथ साथ वन मंडलाधिकारी अनूपपुर का अतिरिक्त प्रभारी श्रद्धा पंद्रे को सौंपा गया है।
*क्या है मामला*
डिप्टी रेंजर प्रेमलाल बनवासी 10 फरवरी शनिवार को अपने निजी निवास बसंतपुर में अपने घर के कुएं में कूदकर आत्महत्या कर लिए जाने के बाद परिजनों ने डीएफओं अनूपपुर पर मानसिक प्रताडना का आरोप लगाते हुए करनपठार थाना में शिकायत दर्ज कराई, शिकायत पर परिजनों ने करनपठार पुलिस पर भी लीपापोती किए जाने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि वनमंडलाधिकारी सुशील कुमार प्रजापति द्वारा प्रेमलाल वनवासी डोला रामनगर बैरियर डियूटी में लापरवाही का आरोप लगाते हुए एक तरफा कार्यवाही करते हुए 29 दिसम्बर 2023 को निलंबित कर दिया गया। प्रेमलाल वनवासी आदिवासी होने के बावजूद डीएफओ अनूपपुर द्वारा बिना जांच किये या स्पष्टीकरण के सस्पेंड करते हुए उनपर मानसिक दवाब बनाते हुए आत्महत्या करने को मजबूर किया गया है। जिसके बाद पूरा परिवार न्याय पाने लगातार गुहार लगा रहा है।
*आधा दर्जन कर्मचारी पूर्व में कर चुके थे शिकायत*
कर्मचारियों को प्रताणित करने के आरोप वनमंडलाधिकारी अनूपपुर पर लगातार लग रहे थे। पूर्व में लगभग आधा दर्जन से अधिक अनूपपुर जिले के रेंजरों ने वनमंडलाधिकारी सुशील कुमार प्रजापति के खिलाफ मानसिक रूप से प्रताडित किए जाने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। वनमंडलाधिकारी सुसील कुमार प्रजापति अनूपपुर पर आरोप था कि जब से वे वनमंडल अनूपपुर में पदस्थ हुए है तब से अपने अधीनस्थ कर्मचारियों जिनमें रेंजर बिजुरी, रेंजर कोतमा, रेंजर अनूपपुर एवं रेंजर पुष्पराजगढ़ के वन परिक्षेत्राधिकारियों, सहायक वन परिक्षेत्राधिकारियों, अनुविभागीय अधिकारी वन, वन विभाग के समस्त बीट प्रभारियों को मानसिक रूप से प्रताडित करते रहते हैं। अधिकारियों-कर्मचारियों को अनावश्यक किया जाता था निलंबित