नदी का अस्तित्व खतरे में, रेत माफिया खुलेआम कर रहे हैं रेत का अवैध उत्खनन
*शासन व रेत ठेकेदार को लग रहा है लाखो का चूना, जिम्मेदार विभाग मौन*
अनूपपुर
अनूपपुर जिले के कोतमा क्षेत्र की नदियों का दोहन कोई नया काम नहीं है यह लंबे समय से चलता आ रहा है जब जिसका मन चाहता है वह अपनी गाड़ी लेकर आ जाता है और नदी को खोद कर वहां से रेत उठाकर लेकर चल देता है।ऐसे ही एक मामले में कोतमा क्षेत्र अंतर्गत देवगवा जमुनिहा ग्राम पंचायत क्षेत्र में बहने वाले जोगी नाला से रोज 20 से 30 ट्रेक्टर अवैध रेत क्षेत्रीय माफियाओं द्वारा आसपास के क्षेत्र वा ग्राम पंचायतों में बेचा जा रहा है।अनूपपुर जिला प्राकृतिक संपदा से भरपूर धरती है,जहां धूल,मिट्टी,रेत,गिट्टी से लेकर के काला सोना तक यहां की धरती और नदियां उगलती हैं,लेकिन जिले के प्रशासनिक अधिकारियो ने इस प्राकृतिक संपदा को कभी भी गंभीरतापूर्वक आजतक ध्यान में नहीं लिया।
*जोगीनाला बना रेत माफियाओं का अड्डा*
यहां नदियों के आखिरी अस्तित्व पर हमला कुछ तथाकथित रेत माफिया करने में लग गए हैं और इसका शिकार देवगवा पंचायत अंतर्गत बहने वाला जोगीनाला बन चुका है।सूत्रों के अनुसार सुनहरे रेत की चाह में शुभम, भोलू, रमेश, सुरेश, छोटू, ओपी नामक रेत चोरों के अलावा कुछ और बड़े रेत माफियाओं का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है। जोगीनाला के आसपास के क्षेत्र में रेत माफियाओं का एक बड़ा समूह काम कर रहा है और उनकी इस अनैतिक सक्रियता से जोगीनाला और आसपास के नालों और नदियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।प्रतिदिन 20-30 ट्रैक्टर अवैध रेत का उत्खनन किया जा रहा है,लेकिन इसके बावजूद भी खनिज,राजस्व और पुलिस विभाग इस पर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।अब सवाल यह है कि क्षेत्र की अस्मिता कैसे बचेगी और यहां के नदी और नाले जिंदा रह पाएंगे या नहीं।
*अवैध उत्खनन पर मिलीभगत का आरोप*
जोगीनाला से प्रतिदिन 20-30 ट्रैक्टर अवैध रेत का अवैध परिवहन किया जा रहा है।और जब वहां के स्थानीय लोगो द्वारा ट्रैक्टर चालकों और इन रेत माफियाओं को ऐसा करने से मना किया जाता है तो उन्हें देख लेने की धमकी देते हुए अवैध रेत उत्खनन और परिवहन धड़ल्ले से किया जाता है। क्षेत्रवासियों के मुताबिक प्रशासन की मिली भगत से ही अवैध रेत उत्खननकर्ताओं के हौंसले बुलंद होने से वो ऐसे कामों को अंजाम दे रहे हैं। जबकि जोगीनाला से रेत का अवैध उत्खनन अपने चरम पर है इस अनैतिक कार्य से शासन व रेत ठेकेदाए को प्रतिदिन लाखों रूपये के राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है,परंतु प्रशासन के अफसरान इस हानि को रोकने में अक्षम साबित हो रहे हैं। रेत माफियाओं पर लगाम लगाने की ताकत खनिज अफसरों में दिखाई नहीं दे रही है,जिससे यहां के नदी नाले खोखले होते जा रहे है।
*आदेश से बेपरवाह जिम्मेदार*
जमुना कोतमा क्षेत्र में लगातार बढ़ रही अपराधिक घटनाओं सट्टा, जुआ,अवैध रेत उत्खनन, चोरी, लूटपाट, ठगी के कारण आम जनमानस का पुलिस पर से लगातार ही विश्वास घटता जा रहा है।और हालत यह है कि संभाग में कुछ दिनों पूर्व अवैध रेत के मामले में ही रेत माफियाओं द्वारा पटवारी की जघन्य हत्या के बाद मामले को संज्ञान में लेकर एडीजीपी द्वारा इन घटनाओं पर रोक लगाने हेतु समस्त पुलिस अधीक्षकों तथा थाना प्रभारियों को निर्देशित किए जाने के बाद भी ऐसा प्रतीत होता है कि कोतमा और भालूमाड़ा थाना प्रभारी ने तो एडीजीपी के आदेश को भी दरकिनार कर दिया हैं।यही कारण है कि क्षेत्र के रेत माफिया और जुआरी निर्भीक होकर अपने अवैध कारोबार में लगे हुए है।एडीजीपी के सख्त निर्देश के बाद भी क्षेत्र में संचालित इतने गंभीर मामलों में भी इन दोनों थाना प्रभारियों के द्वारा कार्रवाई ना किया जाना क्षेत्र की पुलिसिया व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़ा करती है।