13 दिनों से दो हाथियों का समूह मचा रहा आतंक, देर रात 4 साल के बच्चे को लेकर भागा परिवार

13 दिनों से दो हाथियों का समूह मचा रहा आतंक, देर रात 4 साल के बच्चे को लेकर भागा परिवार


अनूपपुर

अनूपपुर जिले के अनूपपुर एवं जैतहरी तहसील तथा वन परिक्षेत्र अंतर्गत अनेकों गांव में विगत 13 दिनों से छत्तीसगढ़ राज्य से आए दो न हाथियों के द्वारा निरंतर आतंक मचाया जा रहा है जो दिन में जंगलों में ठहरने तथा विश्राम करने बाद रात होते ही जंगल से लगे आसपास के 10 किलोमीटर के लगभग परिधि में बसे ग्रामों में पहुंचकर ग्रामीणों के घर, खेत, बाड़ी में लगे एवं रखें अनाजों को अपना आहार बना रहे हैं विगत दिनों मध्य रात दोनों हाथियों का समूह गोबरी गांव के ठाकुरबाबा के पीछे स्थित जंगल में बांस के पेड़ों को अपना आहार बनाते हुए देर रात खोलाड़ी गांव की वार्ड नंबर एक निवासी दिनेश पिता गोरेलाल सिंह के गांव से बाहर में स्थित ईट से बने कच्चे मकान पर हमला बोलकर घर को बुरी तरह तोड़ दिया हाथियों के आने के दौरान पालतू कुत्ते के भौंकने पर आहट मिलने तथा हाथी के दिखने पर दिनेश सिंह अपनी 29 वर्षीय पत्नी विद्यावती एवं 4 वर्ष के पुत्र प्रिंस को गोद में लेकर भागते हुए गांव पहुंचकर अपनी जान बचाई इस बीच हाथियों द्वारा घर में तोड़फोड़ करते हुए घर के अंदर रखे धान, चावल एवं अन्य तरह के खाद्य सामग्रियों को अपना आहार बनाते हुए सुबह गोबरार नाला के जंगल में फिर से पहुंच कर विश्राम कर रहे हैं। हाथियों पर निगरानी रखते हुए ग्रामीणों को सतर्कता बढ़ाने के लिए वन विभाग का मैदानी अमला निरंतर हाथियों पर निगरानी बनाए हुए हैं तथा ग्रामीणों से देर रात अलग-अलग बने कच्चे एवं एकांत वाले घरों में रह रहे ग्रामीणों को हाथियों के दूर होने की सूचना पर भी रात्रि समय बीच गांव एवं बस्ती के साथ पक्के मकान के अंदर एवं छतो में सुरक्षित रहने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन विगत 13 दिनों से निरंतर दो हाथियों के विचरण एवं नुकसान के बाद भी जिला, प्रदेश स्तर पर हाथियों को अनूपपुर जिले से बाहर भेजने की कोई योजना जमीन पर न दिखने से ग्रामीण जन हाथियों के आतंक के कारण रात-रात भर जाग कर बिताने को बाध्य हो रहे हैं वहीं हाथियों द्वारा किए गए कई माह के मध्य नुकसान का राजस्व विभाग की ओर से नुकसान अनुसार मुआवजा राशि न मिलने से ग्रामीण परेशान है निरंतर अनेकों स्तर पर मुआवजा भुगतान कराए जाने एवं हाथियों के समूह को जिले से बाहर किए जाने की मांग किए जाने के बाद भी वर्तमान समय तक कोई ठोस उपाय प्रशासन एवं वन विभाग द्वारा अब तक नहीं किया गया है।

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