भोजन व्यवस्था को लेकर भड़के छात्र- छात्राएं विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कैम्पस में की नारेबाजी
*वाइस चांसलर ऑफिस का किया घेराव, छुट्टी में घर जाने पर भी मेस जमा करना पड़ता रुपया*
अनूपपुर
अनूपपुर जिले के इंदिरा गांधी जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक में बीती रात होस्टल में रह रही छात्राओं ने भोजन व्यवस्था को लेकर कैंपस में जमकर नारे बाजी की। इस दौरान प्रशासन की जा रही मनमानी के खिलाफ नारेबाजी भी की। सैकड़ों की संख्या में कुलपति के बंगले के बाहर भी छात्राएं काफी देर तक मौजूद रही। बच्चों को आरोप है कि मैस कैंटीन में दिए जा रहे भोजन की गुणवत्ता ठीक नहीं है। इसके साथ ही छुट्टी के दिनों में भी उनसे खाने का पैसा मांगते है। इस बात को लेकर बच्चों ने जमकर आक्रोश दर्ज कराया। घटना देर रात की बताई जा रही है।
*यह है मामला*
विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक आदेश जारी किया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि छात्रावास के मैस का संचालन आजीविका व्यापार एवं प्रशिक्षण केंद्र ने किया है। यहां प्रत्येक विद्यार्थियों को माह दिसंबर 2023 के लिए 2 हजार देना अनिवार्य हैं। यह शुल्क 1 दिसंबर से 22 दिसंबर तक के लिए लिया जा रहा है। इसमें दो बार चाय, नाश्ता, दोपहर का भोजन एवं रात्रि का भोजन शामिल है। प्रत्येक विद्यार्थियों को माह दिसंबर के लिए 2 हजार देना अनिवार्य है। विद्यार्थियों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनका शुल्क दिसंबर माह की 5 तारीख तक जमा हो। शुल्क जमा नहीं होने की स्थिति में विश्वविद्यालय प्रशासन कार्रवाई करेगा। इसकी जवाबदारी स्वयं विद्यार्थी को होगी।
इस आदेश के बाद छात्र भड़क गए एवं विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जबरदस्ती मैस में छात्रों को खाना खाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। वाइस चांसलर ऑफिस का भी घेराव किया। बच्चों का आरोप है कि विश्वविद्यालय मैं जो मैस संचालित हो रहा हैं, उसके खाने की गुणवत्ता सही नहीं है। ऐसे में सभी छात्रों को मैस में खाने के लिए मजबूर किया जा रहा हैं। छात्रों ने यह भी आरोप लगाए कि कई बार हम विश्वविद्यालय से बाहर अपने घर चले जाते हैं। उसके बाद भी मैस का फीस भरना पड़ता है। जब हम खाना ही नहीं खाते तो फिर मैं इसका फीस क्यों भरे।