खांड़ा की पहाड़ी में बाबा द्वारा बनाई गुफा बना आकर्षण का केंद्र, पहाड़ी में कर्चुली कालीन मूर्तियां
अनूपपुर
जिला मुख्यालय अनूपपुर से आठ कि,मी,दूर स्थित खांड़ा गांव के भिलाईडोंगरी पहाड़ के मध्य लगभग पचास वर्ष पूर्व एक आदिवासी बाबा द्वारा चट्टान को खोद कर बनाई गई गुफा आकर्षण का केंद्र बना रहता है,गुफा की समीप कर्चुली कालीन मूर्ति होने से भक्त जनों द्वारा मंदिर का रूप देखकर महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक वर्ष विशाल मेले का आयोजन करते है,पहाड़ के ऊपर सिद्धबाबा स्थल में आसपास कई गांव के ग्रामीणो के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है गुफा को देखने आसपास के लोगों के साथ अनूपपुर,बुढार एवं अन्य स्थानों के ग्रामीण एवं शहरी नागरिक जाते हैं ,गुफा में समय-समय पर वन क्षेत्र होने के कारण अनेकों वन्यजीव भी अपना अस्थाई रहबास बना कर रहने के प्रमाण मिलते हैं।
विदित है कि अनूपपुर जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर स्थित खांड़ा गांव एवं अनूपपुर वन परिक्षेत्र के पोड़ी बीट अंतर्गत खांड़ा गांव के समीप भिलाईडोंगरी नामक एक पहाड़ जो वन क्षेत्र से घिरा हुआ है में लगभग 50 वर्ष पूर्व शहडोल जिले के ढ़ोलकू(बलबाहरा)गांव के फुल्ली बैगा जिनका विवाह अनूपपुर जिले की खांड़ा गांव में हुआ रहा है के धार्मिक प्रवृत्ति के होने पर पुजारी बाबा बन जाने पर कहा जाता है कि ईश्वर द्वारा स्वपन्न आने पर पैदल भारत यात्रा कर वर्षों बाद वापस लौटने पर खांड़ा गांव में स्थित भिलाईडोंगरी के भीषण जंगल के बीच अपना रहवास बनाकर रहते हुए पहाड़ के बीच की चट्टान खोद कर गुफा बनाई जिसका मुख्य दरवाजा 5 फीट लंबा तथा अंदर 20 से 25 फीट लम्बा है जिसके अन्दर पचास से अधिक व्यक्ति बैठ-खडे हो सकते हैं पुजारी बाबा ग्रामीणों द्वारा दिए गए कच्चे अनाज का ही अपने स्थल पर मिट्टी के बर्तन में खाना बनाकर आहार करते रहे तथा उस समय भीषण जंगल होने पर जंगलों से प्राप्त होने वाले फलो को ग्रहण करते रहे उनके द्वारा एक छोटा सा कुंआ के साथ खांड़ा के आसपास स्थित कर्चुली कालीन मंदिर से एक रेतीले मिट्टी के एक फिट ऊंची एवं चौड़ी नरसिंह देव की मूर्ति एवं दो फीट के लगभग ऊंचे काले पत्थर की शिवलिंग की स्थापना की जिसे ग्रामीण दरबरिहाई पहाड़ी में भक्तजन मंदिर का स्वरूप देते हुए स्थल को धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया।
ग्रामीणों ने बताया कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा कई वर्ष पूर्व नरसिंंह देव की मूर्ति को चोरी कर ले गए रहे जो कुछ समय बाद फिर इस स्थान पर ला कर रख दिए,पुजारी बाबा की विगत 13 वर्ष पूर्व निधन हो जाने पर गुफा के समीप ही समाधि बनाते हुए ग्रामीणो द्वारा उनकी याद में प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन करते है पहाड़ी के ऊपर सिद्धबाबा नमक स्थल ग्रामीणों का आस्था एवं धार्मिक स्थल बना हुआ है,यह क्षेत्र जिला मुख्यालय से आठ कि,मी,दूर जंगल के बीच होने पर अनूपपुर शहर एवं गांव के लोग विशेष अवसरों पर जाकर स्थल के दर्शन करते हुए समय व्यतीत करते हैं वन क्षेत्र से घिरे इस स्थल पर पूर्व से भालू,तेंदुआ एवं अन्य वन्यजीवो का रहवास एवं विचरण का क्षेत्र है विगत शनिवार की शाम अनूपपुर जिला के पर्यटन एवं पुरातत्व समिति के सदस्य एवं सामाजिक कार्यकर्ता शशिधर अग्रवाल ने अपने साथी विशाल चौधरी एवं विकास मिश्रा के साथ बाबा द्वारा खोदे गए गुफा एवं मंदिर की स्थल का भ्रमण किया स्थल के विकास एवं भव्यतापूर्ण बनाए रखने के लिए कुछ प्रयास किए जाने की आवश्यकता महसूस की गई।