चरमराई यातायात व्यवस्था, शहर में लगता हैं जाम, विभाग एंट्री वसूली में मस्त

चरमराई यातायात व्यवस्था, शहर में लगता हैं जाम, विभाग एंट्री वसूली में मस्त

ट्रांसपोर्टरों को मिला अभयदान, नो एंट्री मे घुसते भारी वाहन, जिम्मेदार मौन


अनूपपुर

जिला मुख्यालय में शहर के अंदर सड़क के किनारे खड़े आड़े, तिरछे वाहनों से लगातार जाम की स्थिति निर्मित होती हैं, हादसे भी होते रहते है, उसके बाबजूद भी यातायात विभाग की कुम्भकर्णी नींद नही खुल रही हैं। विभाग केवल खानापूर्ति में लगा रहता हैं। जिला मुख्यालय जहां पर जिले के आला अधिकारियों के कार्यालय व निवास है यहाँ यह हाल है तो बाकी जगह क्या होगा से सभी समझ सकते है। नवागत यातायात प्रभारी विनोद दुबे के कार्यभार सम्भालने के बाद यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई हैं। केवल जिला मुख्यालय की यातायात व्यवस्था सुधार पाने में नाकाम साबित हो रहे है। देखा जा रहा हैं नए यातायात प्रभारी बत्ती जलाकर, सायरन बजाकर गाड़ी में बैठकर घूमने से यातायात व्यवस्था नही सुधरेगी बल्कि जमीनी स्तर पर उतरकर व्यवस्था सुधारनी पड़ेगी। लेकिन ऐसा लगता हैं कि इनके बस की बात नही है, किसी नए प्रभारी को जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी।

*राखड़ में चल रहे हाइवा व ट्रांसपोर्ट मालिकों को अभयदान*

जिला मुख्यालय की अगर बात करें तो मोजर वेयर से राखड़ लेकर चल रहे ठेकेदार के वाहन को रोक पाना यातायात पुलिस के बूते नही है क्योंकि उक्त ठेकेदारों व ट्रांसपोर्टरों के द्वारा विभाग को अच्छी सुविधा शुल्क दी जाती है उसी के ताकत में चल रहे हाइवा नियम कानून को ठेंगा दिखाकर बिना सुरक्षा का इंतजाम किए पूरे नगर में डस्ट उड़ाते हुए धमा चौकड़ी मचाकर चल रहे हैं।उन्हें रोकपाने में ये बर्दीधारी असहाय देखे जा रहे है।

*ओवरलोड पशुओं से भरे वाहन में नही है पुलिस का लगाम*

जनचर्चा के मुताबिक देखा गया कि जिला मुख्यालय के अंडरब्रिज तिराहा के पास लग रहे साप्ताहिक पशु बाजार के दिन व्यापारियों द्वारा पशु क्रूरता अधिनियम को ठेंगा दिखाकर एक पिकअप वाहन में कई दर्जन बकरियों को लोडकर  परिवहन करते देखे जा रहे है जिसे रोक पाने के लिए ट्रैफिक पुलिस सहित जिलेभर की स्थानीय पुलिस असहाय है क्योंकि उक्त व्यापार में शामिल दलालोँ द्वारा थाना को बांधकर रखा गया है। अगर ऐसा नही तो फिर आखिर कार्यवाही क्यों नही ? कई बार तो वहां पुलिस कर्मियों को वसूली करते भी देखा गया है।

*ट्रैफिक में कौन है जो ट्रांसपोर्ट मालिकों से करता है वसूली*

जिला मुख्यालय में संचालित कुछ ट्रांसपोर्टरों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि कोई है जो अपने शहडोल के रिश्तेदार के माध्यम से गाड़ियों को नो एंट्री में पार कराने हेतु 3 से 5 हजार रुपये महीने की दर पर महीने के प्रथम व आखिरी तारीख को वसूल ले जाते हैं जिस वजह से महीने भर गाड़ियों को नही रोक जाता बल्कि विशेष परिस्थितियों में भी पर कर दिया जाता है।

*नगर में बढ़ रही दुर्घटनाऐं*

इन दिनों शादी ब्याह के चल रहे सीजन के मद्देनजर लोगों द्वरा गाजे बाजे एवं डीजे की धुन के साथ बारात निकाली जा रही उस वक्त यमराज बनकर दौड़ रहे वाहनो के द्वारा सड़क पर चल रहे छोटे वाहनों को चींटी की तरह मसल दिया जाता है जिसे विभाग का कोई जिम्मेदार व्यक्ति  के द्वारा क़ाबू नही किया जा रहा कारण की नवागत यातायात प्रभारी को केवल दिन भर के वसूली की राशि से मतलब रहता है।वैसे भी साहब की अगर बात करें तो वे अपने कमरे के अंदर घुसकर थाना एवं विभाग चला रहे हैं। लोगों की माने तो प्रभारी शहर में केवल निकलते हैं सुबह वसूली दल को रवाना करने या शाम को वसूली की राशि गिनने इतना करने के बाद वो अंडरग्राउंड हो जाते हैं।

*रोज लगता हैं जाम*

जिला मुख्यालय से होकर प्रतिदिन लगभग 1 हजार वाहनों का आना जाना होता है इनके आने जाने का मार्ग बीच शहर से होकर गुजरने के कारण सुबह से रात 8 बजे तक भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित किया गया हैं। कुछ भारी वाहनों को रात 8 बजे तो कैप्सूल वाहनों को रात 10 बजे नो एंट्री खोल दिया जाता हैं। जैसे ही नो एंट्री खुलता हैं दोनों तरफ से भारी वाहन जल्दी निकलने के चक्कर मे रात में घंटों जाम लग जाता हैं। जाम न लगे यातायात व पुलिस विभाग के कोई भी कर्मचारी चौक चौराहों में मौजूद नही रहता । विभाग की लापरवाही से रात में लोग घंटो जाम में फंसे रहते हैं। घंटो जाम के बाद यातायात विभाग प्रकट होती हैं फिर विनोद दुबे के टीम डंडे के रौब के दम पर जाम को खुलवाने के प्रयास करती हैं। कुछ दिनों पहले रात में 10 बजे 1 घंटे से ज्यादा जाम लगा जिसमे एक आपातकालीन जिला अस्पताल से रेफर मरीज का एम्बुलेंस फंसा रहा जिसमे मरीज घंटो तड़पता रहा। जिला मुख्यालय का यह हाल कब तक रहेगा यह कह पाना मुश्किल है।अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत चरितार्थ हो रही हैं।

*राष्ट्रीय राजमार्ग में देर रात तक वसूलते है एंट्री*

यातायात विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की दादागिरी सुबह होते ही यंहा पदस्थ कर्मचारियों के द्वारा अपने चेकिंग वाहन में खाना पानी रखकर शाम तक के लिए जिले के कोयलांचल क्षेत्र कोतमा ,बिजुरी, रामनगर, बरतराई व्यंकटनगर में डेरा डालकर देर शाम तक वसूली कर सभी कर्मचारी कार्यालय पहुंच प्रभारी को हिसाब देते है हाईकोर्ट के आदेश का बहाना बताकर राष्ट्रीय राजमार्ग 43 में एंट्री वसूली का खेल खेलते हुए गरीब ,मजदूर,किसान के साथ आम पब्लिक का जेब काटकर मुँह देखी कार्यवाही करते हुए अपनी जेब भरने में मस्त देखे जा रहे है। 

*सड़क पर निकलना हुआ मुश्किल*

जिले के ट्रैफिक पुलिस की गुण्डई को लेकर वाहन मालिकों ने बताया कि मध्यप्रदेश ही नही देश भर की अगर बात करें तो जिस तरह सेअनूपपुर जिले की यातायात पुलिस का रवैया है ऐसा कही भी देखने को नही मिल रहा इस जिले में हर 20 किमी की यात्रा के बाद पुलिस व आरटीओ को सड़क पर चलने के लिए मैनेज करना पड़ रहा है उन्होंने कहा कि यंहा की स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा कि लाखों रुपये का वाहन खरीदने के बाद अगर सड़क से निकल रहे है तो कितना बड़ा अपराध कर दिए है।

*क्या है आदेश*

पुलिस मुख्यालय भोपाल व उच्चतम न्यायालय के आदेश को लेकर लोगों ने कहा कि यातायात पुलिस द्वारा जन जागरूकता के माध्यम से लोगों को हो रही दुर्घटनाओं से बचायें जाने का काम किया जाना पहली प्राथमिकता है बारम्बार समझाइश दिए जाने के बाद अगर वाहन चालको द्वारा मनमर्जी की जा रहा है तब अर्थदंड से दंडित किया जाना आवश्यक है जिसे दरकिनार कर विभाग द्वारा आदेश के बहाने जागरूकता की बात दूर नियम विरुद्ध कमाई की जा रही है।

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget