लोकप्रिय साहित्यकार पी.यादव 'ओज' का साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि
*('टोही टोकरी' पुस्तक को मिली भारत सरकार की मान्यता व संरक्षण।)*
झारसुगुड़ा
"साहित्य ही साधना और समाज का दर्पण है"- इस अमृत मूलमंत्र को जीवित रखते हुए साहित्य और समाज की सेवा में निरंतर अपना बहुमूल्य योगदान देते हुए देश के लोकप्रिय साहित्यकार श्री पी.यादव 'ओज' की जीवनी और समीक्षा को 'टोही टोकरी' पुस्तक के अंतर्गत मिली भारत सरकार की मान्यता और संरक्षण।ज्ञातव्य हो कि 'टोही टोकरी' पुस्तक राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों की जीवनी और समीक्षा से संबंधित पुस्तक है।इस पुस्तक की भूमिका एवं संपूर्ण समीक्षा देश के अति ओजस्वी,मर्मज्ञ साहित्य मनीषी श्री प्रमोद कुमार जी के द्वारा संपादित है।जिन्होंने अपनी कलम की जादूगरी और विद्वता से देश को कई धार्मिक ग्रंथ,उपन्यास और जीवन को दिशा देने वाली पुस्तकों को समर्पित किया है।
साहित्यकार पी.यादव 'ओज' की जीवनी और समीक्षा को 'टोही टोकरी' पुस्तक के अंतर्गत मिली भारत सरकार की मान्यता और संरक्षण से साहित्य जगत हर्षित है।कई सालों से साहित्य के क्षेत्र में निरंतर सेवा देते हुए श्री पी.यादव 'ओज' जी को कई साहित्यिक और समाज सेवा से संबंधित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।हाल ही में इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक 'अंतर्माद' साहित्य के गलियारों में चर्चा का विषय रही है। मानवतावादी विचारधारा इनकी लेखनी का स्वर है,जो बरबस ही इनके साहित्य में दर्शन होता है।श्री पी.यादव 'ओज' अपनी स्वयं के इस उपलब्धि को बड़े ही विनम्र भाव से स्वीकारते हुए प्रसन्न हैं।वैसे श्री यादव जी! महाप्रभु जगन्नाथ की कृपा से सराबोर ओडिशा प्रांत,चौकीपाड़ा,झारसुगुड़ा शहर के निवासी हैं।इनकी साहित्य की साधना यूं ही निरंतर प्रगति के पथ पर चलती रहे यही शुभकामना कवि संगम त्रिपाठी ने दी।