75 हजार की रिश्वत लेने पर उपसंचालक को न्यायालय ने सुनाई 4 वर्ष की सजा
शहडोल
आमोद आर्य प्रथम अपर सत्र न्यायाधीष (विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988) शहडोल के द्वारा विषेष सत्र प्रकरण क्र. 03/16 शासन विरूद्ध शैलेष विनायक कोहद तात्कालीन उपसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश शहडोल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7,13(1)डी तथा 13(2) दोनों धाराओं में 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000 रू के अर्थदंड से दंडित किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से श्रीमती कविता कैथवास विशेष लोक अभियोजक शहडोल द्वारा सशक्त पैरवी की गई।
*ये है मामला*
संभागीय जनसंपर्क अधिकारी (अभियोजन) श्री नवीन कुमार वर्मा द्वारा जानकारी दी गई कि दिनांक 13 अप्रैल 2014 को शिकायतकर्ता हरीश अरोरा पिता स्व. इंद्रराज अरोरा उम्र 45 वर्ष पाण्डव नगर शहडोल ने एक लिखित शिकायत पत्र पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त रीवा को इस आशय का प्रस्तुत किया कि मैं वह ग्राम कुदरी तहसील सोहागपुर में उसकी पत्नी श्रीमती रज्जी अरोरा के नाम से 21 एकड़ भूमि जिसमें एक कॉलोनी/टाउनसिप का निर्माण करना चाह रहा था जिसके सबंध में उसने आरोपी शैलेश विनायक कोहद उपसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश को टाइनशिप का नक्शा पास करने के एवज में 75 हजार के रिश्वत की मांग की थी। शिकायतकर्ता की उक्त शिकायत पर लोकायुक्त संगठन रीवा द्वारा ट्रेप कार्यवाही के दौरान दिनांक 17 अप्रैल 2014 को आरोपी को कार्यालय उपसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश में 75 हजार रुपए नगद रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत लोकायुक्त पुलिस द्वारा आरोपी के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7,13(1)डी,13(2) के अधीन चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।