उपभोक्ता फोरम ने बिल्डर पर 15 हजार प्रति माह किराया, 25 हजार जुर्माना, 10 हजार ख़र्चा देने का दिया आदेश
भोपाल
जिला उपभोक्ता विवाद व अनुतोष कमीशन भोपाल मध्य प्रदेश में प्रस्तुत आवेदन प्रकरण क्रमांक 463/2022,आवेदक हाफिज नासिर विरुद्ध मै. अमलतास इंडिया लिमिटेड भोपाल मध्य प्रदेश में आवेदक हाफिज नासिर द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत बिल्डर मेसर्स अमलतास इंडिया लिमिटेड भोपाल द्वारा अपने ब्रोशर विज्ञापन में किये गए फ्लैट एवं कॉलोनी का विकास कार्य ना कर, एवं फ्लैट का आधिपत्य प्रदान न किए जाने से दुखी होकर यह आवेदन हाफिज नासिर द्वारा प्रकरण प्रस्तुत की गई। कमीशन के अध्यक्ष गिरी वाला सिंह के निर्देशन में सदस्य अरुण प्रताप सिंह के द्वारा सुनवाई की गई। आवासीय फ्लैट भूखंड एवं मकान बनाए जाने के साथ ही समस्त सुविधाएं यथा कांक्रीट रोड, ओवरहेड टैंक, सीवेज लाइन संपूर्ण विद्युतीकरण ,पर्याप्त पानी की व्यवस्था, कवर्ड बाउंड्री वॉल, प्रवेश द्वार ,पार्किंग इत्यादि की सुविधाओं को पूर्ण उपलब्ध कराए जाने के आधार पर विक्रय की जाने की ब्रोशर ,विज्ञापन जारी की गई। परिवादी आवेदक के द्वारा उक्त प्रोजेक्ट में 1100 वर्ग फीट 2BHK का फ्लैट बुक किया गया ,जिसकी संपूर्ण राशि 10 लाख रुपए थी, जिस पर आवेदक परिवादी स्वयं के द्वारा व बैंक से लेकर उक्त राशि का भुगतान भी कर दिया, किंतु विपक्षी के द्वारा उक्त प्रोजेक्ट में आधिपत्य अनुबंध की तय सीमा से अधिकतम समय बीत जाने के बाद भी विपक्षी द्वारा अमलतास बेस्ट मिनिस्टर प्रोजेक्ट ग्राम रासला खेड़ी तहसील हुजूर जिला भोपाल मध्य प्रदेश में कोई विकास कार्य ब्रोशर विज्ञापन अनुसार नहीं की गई। परिवादी आवेदक व उसका परिवार वर्तमान में किराए के मकान में निवासरत है। वर्तमान दिनांक तक समुचित विकास नहीं कर फ्लैट का भौतिक आधिपत्य नहीं प्रदान की गई विपक्षी का यह कृत्य सेवा में कमी माना गया गया हैं। आवेदन जिला उपभोक्ता विवाद व अनुतोष कमिशन भोपाल में 03 जून 20 22 को प्रस्तुत की गई, जहां सनवाई के विभिन्न चरणों के उपरांत आयोग के सदस्य अरुण प्रताप सिंह, अध्यक्ष गिरी वाला सिंह के निर्देशन में सुनवाई पूर्ण किया जाते हुए आवेदक परिवादी के आवेदन को स्वीकार किया गया। आदेश में आवेदक परिवादी को प्रोजेक्ट में विपक्षी 6 माह में संपूर्ण कार्य पूर्ण कर, भौतिक आधिपत्य प्रदान किए जाने व परिवादी किराए के मकान में रहने पर 15000/- रुपए प्रति माह की आधार से आवेदन प्रस्तुत दिनांक से आधिपत्य सौपने दिनांक तक देना होगा। मानसिक हर्जाना के तौर पर 25000/- व बाद के तौर पर ₹10000/-भी देगा। नहीं दिए जाने पर 7% ब्याज भी देना होगा। निर्णय के पक्ष में आवेदक स्वयं पैरवी की, व विपक्ष की ओर से आदित्य उपाध्याय अधिवक्ता द्वारा पैरवी की गई।