प्रवासी मजदूर की कंपनी प्रबंधन और डॉक्टर के लापरवाही ने ले ली जान

प्रवासी मजदूर की कंपनी प्रबंधन और डॉक्टर के लापरवाही ने ले ली जान


अनूपपुर/जैतहरी

अनूपपुर के ग्राम पंचायत महुदा निवासी हेतराम राठौर जो विगत ढाई - तीन वर्ष से अपने बाल बच्चों का शिक्षा एवं भरण पोषण के लिए  6 महाजनको पावर प्लांट दीपनगर भुसावल महाराष्ट्र गया था। जहां पर महाजनको पावर प्लांट के ठेकेदार भेल के सब ठेकेदार इन्डोवेल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के पेटी ठेकेदार सिंह कंस्ट्रक्शन में रिगर के पद पर कार्य कर रहा था। दिनांक 18 सितंबर 2023 को काम करते समय सुरक्षा सुविधा के कमी के कारण वह दुर्घटना से गंभीर चोट का शिकार हो गया आनन - फानन में ठेकेदार कोचर हॉस्पिटल आकाशवाणी चौक जलगांव में भर्ती करवाया किंतु वहां से मरीज हेतराम राठौर को राहत नहीं मिलने पर दिनांक 22 सितंबर 2023 को गांधी मेडिकल कॉलेज और हमीदिया हॉस्पिटल रॉयल मार्केट सुलतानिया रोड भोपाल में इलाज के लिए एडमिट करवा दिया गया। जहां पर डॉक्टर ने इलाज के दौरान बारंबार कंपनी प्रबंधन को सुझाव देता रहा कि यहां से मरीज ठीक नहीं हो पाएगा इसे बाहर का अस्पताल में इलाज करवाएं पर प्रबंधन द्वारा डॉक्टर के सुझाव को नजर अंदाज करते हुए बाहर के उपचार के लिए नहीं ले जाया गया और अंततः 4 अक्टूबर को श्रमिक प्रबंधन के लापरवाहियों का शिकार होते हुए दम तोड़ दिया।

श्रमिक हेतराम राठौर की पत्नी पहले ही स्वर्गवास हो चुकी है और श्रमिक हेतराम की मेहनत से उसकी वृद्ध मां एवं बच्चों के साथ उनके परिवार का पेट पल रहा था और आज श्रमिक हेतराम राठौर के वृद्ध मां एवं उसके छोटे-छोटे नाबालिक बच्चों का पालन पोषण करने वाला पालनहार ही इस दुनिया से अलविदा कह गया। ठेकेदार का लापरवाही इससे भी उजागर होता है कि श्रमिक हेतराम राठौर का जब दुर्घटना हुआ तो स्थानीय थाना में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करवाया गया वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के बड़े अस्पतालों को छोड़कर इतना दूर भोपाल भेजा गया और पैसे बचाने के एवज में गरीब परिवार के घर का चिराग बुझा दिया गया।

श्रमिक के परिजनों की मांग है कि उनको क्षतिपूर्ति के रूप में कम से कम 15 लाख रुपए, नाबालिक बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए सुविधा एवं वृद्ध मां नाबालिक बच्चों को मासिक पेंशन तथा बालिक होने पर बच्चा को स्थाई नौकरी देने कि मांग की जा रही है पर प्रबन्धन द्वारा किसी तरह से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और कैसे भी इस केस को दबाने कि कोसिस की जा रही है। वहीं दूसरी ओर अस्पताल परिसर में भी डॉक्टर और स्टॉफ कि लापरवाही साफ देखने को मिली और दबाव बनाते हुए तेज और अभद्र व्यवहार रूप परिजनों से बात कर लापरवाही पूर्वक इलाज किया जा रहा था तो वहीं मरीज को प्रारंभ से ही लापरवाही पूर्वक उपचार कर अंततः गरीब परिवार का चिराग बुझाने कोई कसर नहीं छोड़ी गई।।

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