कलेक्टर के निर्देश के बाद भी जिला अस्पताल की भर्रेशाही, कार्यालय से गायब रहते है कर्मचारी

कलेक्टर के निर्देश के बाद भी जिला अस्पताल की भर्रेशाही, कार्यालय से गायब रहते है कर्मचारी 

*पीड़ित महीने भर से कार्यालयों के लगा रहा चक्कर, अभी तक नही मिला प्रमाण-पत्र*


अनूपपुर

मनमाने तरीके से चल रही जिला चिकित्सालय की अव्यवस्था सुधारने लगातार जिला प्रशासन द्वारा औचक निरीक्षण समेत समय समय पर आवश्यक निर्देश देकर व्यवस्था सुधारने की कोशिश की जा रही है, परंतु जिला चिकित्सालय मे पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों की कार्यशैली पर कलेक्टर के निरीक्षण व स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कोई सुधार होते नही दिख रहा है जिससे एक ओर जहां आम जनता कार्यालय के चक्कर लगा लगाकर घनचक्कर हो रही है वही कुर्सी से नदारद कर्मचारियों की अभद्रता का भी शिकार हो रही है।

*12 बजे तक लटका रहा कार्यालय मे ताला*

सप्ताह के पहले कार्य दिवस सोमवार 16 अक्टूबर को जिला चिकित्सालय कार्यालय के जननी सुरक्षा योजना कक्ष मे दोपहर 12.18 बजे तक कोई भी कर्मचारी उपस्थित नही थे। इस दौरान देखा गया कि कक्ष के बाहर लोगों की भीड़ समस्या के समाधान के लिए जमा थी, परंतु जननी सुरक्षा योजना कक्ष मे पदस्थ न तो पूजा दाहिया अपनी सीट पर मौजूद थी वही एनएचएम की एकाउंटेंट कक्ष मे ताला जड़ा था और एकाउंटेंट नेहा सिहारे नदारद थीं। जिससे परेशान आम जनता लगातार दोनों कर्मचारियों की राह तक रही थी। दोपहर 12.18 बजे के बाद आने पर दोनो के द्वारा कर्मचारियों से अभद्रता करते हुये उन्हे अपमानित किया जा रहा था।

*आवेदन के माह भर बाद भी नही हुई कार्यवाही*

नसबंदी प्रमाण पत्र, ग्रीन कार्ड, डिलीवरी पेमेंट तथा प्रेरक पेमेंट के लिए प्रसूता के पति संदीप द्विवेदी आशा कार्यकर्ता के साथ 14 सितंबर 2023 को नोटरी व आवेदन के साथ जिला अस्पताल कार्यालय के जननी सुरक्षा योजना कक्ष मे पहुंचे, लेकिन यहां बैठी पूजा दाहिया ने यह कहकर आवेदन लेने से इंकार कर दिया गया कि एकाउंटेंट नेहा सिहारे नही हैं तथा आप अमरकंटक रोड स्थित सीएमएचओ कार्यालय जाइये जिसके बाद लगभग 4 किलो मीटर का सफर तय कर वहां पहुंचने पर कहा गया कि यह सभी कार्य जिला चिकित्सालय से ही हो रहे हैं इसलिए आप वहीं संपर्क करें। दोबारा वहां से जिला चिकित्सालय आने व पूरी बात बताने के बाद भी पूजा दाहिया ने आवेदन लेने से इंकार कर दिया गया जिसके बाद एक अन्य कर्मचारी के हस्तक्षेप के बाद आवेदन स्वीकार कर कहा गया कि आप 10 दिन बाद आना। जिसके बाद लगातार दो बार चक्कर लगाने के बाद उक्त प्रमाण पत्र नही मिल पाया। हालांकि इसकी षिकायत व्हाट्सएप् के माध्यम से कलेक्टर को की गई है।

*खुद लेकर आईये फार्मेट*

आवेदन के एक माह बाद 16 अक्टूबर को तीसरी बार जननी सुरक्षा योजना कक्ष मे नेहा सिहारे से बात करने पर कहा गया कि आपका काम अभी नही हो पाया है। यदि आपको जल्दी है तो आप स्वयं सीएमएचओ कार्यालय जाकर वहां से फार्मेट लाकर हमें दीजिये और तीन दिन बाद आकर ले जाइये। जिसके बाद आवेदनकर्ता संदीप द्विवेदी स्वयं सीएमएचओ कार्यालय से नसंबदी प्रमाण पत्र व प्रेरक पेमेंट फार्मेट लाकर नेहा सिहारे को देने पर सिविल सर्जन डॉ.एसआर परस्ते के सामने कहा गया कि आपको कुछ दिन बाद ही प्रमाण पत्र मिल पायेगा। तब डॉ. ने स्वयं मोर्चा संभालते हुये संबंधितों से बात की।

*तालाबंदी मे कैसे होगा समस्या का समाधान*

कलेक्टर द्वारा जिला चिकित्सालय की व्यवस्था दुरूस्त करने लगातार औचक निरीक्षण कर यहां पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों को समय पर व ईमानदारीपूर्वक ड्यूटी की सख्त हिदायत दी जा रही है, किन्तु यहां की लचर व्यवस्था पटरी पर नही आ पा रही है। रजिस्टेªेशन कक्ष से लेकर यहां के विभिन्न कार्यालयों मे कर्मचारियों की भर्रेशाही से लोग परेशान हो रहे हैं इधर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार एक ही रटा रटाया शब्द समझाइश दे दी गई है अब ऐसा नही करंेगे कहकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर लेते हैं। ऐसे मे जिला चिकित्सालय की बेजार व्यवस्था सुव्यवस्थित होना जिलेवासियों के लिए सिर्फ सपना ही रह जायेगा।

*पहले भी दिखा चुके अमानवीयता*

इससे पहले शालिनी द्विवेदी के प्रसव मे भी डॉक्टर अलका तिवारी द्वारा लापरवाहीपूर्वक ऑपरेशन किया गया था जो आज भी इलाजरत है जिसकी शिकायत कलेक्टर से हुई थी जो आज भी प्रक्रियाधीन है वही कुछ दिन पहले इलाज मे डॉक्टरों की लापरवाही ने ममता पाण्डेय की जान ले ली थी। इसके अलावा यहां लगभग हर दिन डॉक्टरों व स्टापफ की अमानवीयता देखी जा सकती है।

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