महिलाओ ने पति की लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रहकर की पूजा अर्चना

महिलाओ ने पति की लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रहकर की पूजा अर्चना


अनूपपुर/अमरकंटक

अनूपपुर जिला मुख्यालय समेत अमरकंटक, राजेन्द्रग्राम, कोतमा, बिजुरी राजनगर, चचाई, जैतहरी पूरे जिले में शाम से रिमझिम बारिश होती रही। महिलाए अपने पति की लंबी आयु के लिए सोलह श्रृंगार करके, कुंवारी युवतियां अपने मनचाहे वर के लिए सुबह से हरितालिका तीज का निर्जला ब्रत रहकर शाम को नहाकर पूजन सामग्री इकट्ठा कर रात्रि में 8 बजे के बाद घरों मंदिरों में विधि विधान से फुलेहरा बनाकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करती की। रात भर महिलाएं जागकर भजन कीर्तन करती रही। सुबह नहाकर भोजन ग्रहण किए। तीज के दिन शाम से बारिश धीरे धीरे गिरकर तीज का त्यौहार को और भी सुहाना बना दिया।

हरतालिका तीज व्रत रखी विवाहित महिलाए और विवाह योग्य युवतियां सभी ने शुभ मुहूर्त में पूजन करने के लिए शाम से ही उत्सुक दिखी और भाद्रपद शुक्ल की तृतीया को व्रती महिलाए हर्षोल्लास के साथ विधि विधान से पूजन किया । पंडितो ने परिवार में एक या अनेक महिलाओ के साथ विधि विधान से पूजन करा हरतालिका व्रत की कथा सुनाई और भोलेनाथ की आरती करवा कर पूजन समाप्त कराया । पूजन में व्रती महिलाए पहले अपने आप को सोलह श्रंगार करती है , पूजन के लिए तैयार होती है । पूजन में सभी  वस्तु इकट्ठा करती है जिसमे मुख्य रूप से सुखा नारियल , कलश , बेलपत्र , शमी , केले का पत्ता , धतूरे का फल , घी , शहद , गुलाल , मंजरी , कलावा , इत्र , फल , सुपारी , अक्षत ,धूप ,दीप , कपूर , गंगाजल , दुर्वा , जनेऊ आदि पूजन में रखती है । सुहाग की सामग्री में बिंदी , सिंदूर , कुमकुम , मेंहदी , बिंदिया , काजल , चूड़ी , कंघी , महावर , आदि सामिल करती है ।

यह व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है । धार्मिक मान्यता अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था । इस व्रत में सुहागिन महिलाए निर्जला व्रत रखते हुए शिव पार्वती की पूजन करती है । गणेश , कार्तिक , की भी पूजन करती है। हरतालिका व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।

हरतालिका व्रत रखने के पीछे जीवन साथी को लंबी आयु प्राप्त हो और उनकी वैवाहिक जीवन सुखमय हो और कुंआरी युवतियां अपने मनचाहे वर की कामना से यह व्रत खास तौर पर करती है । हरतालिका तीज या तीजा व्रत रखने और पूजा करने से सौभाग्य और सुख संवृद्धि की प्राप्ति होती है।

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