राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता - 11 का विवादों से नाता टूटता नज़र नही आ रहा है - अख्तर जावेद
अनूपपुर
11वें वेज बोर्ड समझौता के आदेश को मान.उच्च न्यायालय म.प्र.ने सार्वजनिक उद्यम विभाग भारत सरकार के पास भेजने का निर्णय दिया है। कोयला मजदूर सभा के उप महामंत्री अख़्तर जावेद उस्मानी ने इस आदेश के उपरांत कहा कि राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता 11 का विवादों से नाता टूटता नज़र आ नही रहा है।
रिट पिटीशन क्रमांक 14830/2023 मे मान. उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश ने सुनवाई के बाद यह आदेश दिया कि कोल इंडिया लिमिटेड ने सार्वजनिक उद्यम विभाग भारत सरकार से अनुमति के बिना 11 वां कोयला वेतन समझौता लागू कर दिया है, अत: कोल इंडिया लिमिटेड 60 दिनों मे सार्वजनिक उद्यम विभाग से अनुमति प्राप्त करे। मान.उच्च न्यायालय म.प्र.ने आदेश के पैरा 17,18,19 मे अत्यंत महत्व के तथ्य रेखांकित किया हैं कि केवल एक श्रम संगठन इस पिटिशन मे पार्टी बना जब कि पांच संगठनों के साथ समझौता हुआ था। कोल इंडिया लिमिटेड ने सार्वजनिक उद्यम विभाग से अनुमति नही ली, सार्वजनिक उद्यम विभाग की ओर से कोई पक्ष प्रस्तुत नही किया गया है, इसलिए सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार, सभी श्रम संगठनों और अधिकारियों और कोल इंडिया लिमिटेड से चर्चा करे। कोल इंडिया लिमिटेड ने मान.न्यायालय को बताया कि उन्होंने कोयला मंत्रालय से अनुमति प्राप्त की है और सार्वजनिक उद्यम विभाग/डीपीई भारत सरकार को भी पत्र लिखा है।
प्रश्न यह है कि भारत सरकार ने इस वेज बोर्ड को सहमति क्यों नही दी ? लगभग तीन लाख कोयला मजदूरों का वेतन दो वेज बोर्ड तक नहीं बढ़ाने का पत्र क्यों ज़ारी किया? भारत सरकार की सार्वजनिक उद्यमों के प्रति जो रवैया रखती है वह तो सभी को पता ही है,लेकिन मजदूरों के वेतन पर भी रोक लगाये जाने तक सरकार जायेगी और कैबिनेट मे फ़ैसला लेगी यह तो पराकाष्ठा है। मजदूरों के स्वाभिमान को चुनौती ये सरकार देती आई है लेकिन कोयला मजदूर एक बार फिर खंदक की लड़ाई लड़ेगा, अख़्तर जावेद उस्मानी ने कहा कि हमारा नारा है कि आदर्श पुराने पीछे हैं अधिकार सभी को प्यारा है।
उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की है कि सरकार की मंशा को समझ सभी श्रम संगठनों द्वारा पहल होगी। मान. उच्च न्यायालय म.प्र. के आदेश के अंतिम चार पैराग्राफ मे सभी श्रमिक संगठनों से आपत्तियां न आने का उल्लेख है, आगे अख्तर जावेद उस्मानी ने तो कहा कि हम सभी कोयला मजदूरों को श्रम संगठनों की भूमिका का भी आंकलन करना होगा और संघर्ष की पहली पंक्ति के सिपाहियों को भी पहचानना होगा ,कौन लड़ रहा है और कौन शुभकामनाए दे रहा है। हिन्द मजदूर सभा मजदूरों पर हुये अन्याय को न कभी बर्दाश्त की है और ना आगे करेगी। सभी मजदूर साथी संघर्ष की तैयारी करें,अब याचना नही रण होगा यही हिन्द मजदूर सभा का सभी श्रमवीरों से आहवान है।