विद्यालय में छात्रों के पढ़ाई के दौरान छत से गिरा प्लास्टर से गिरा प्लास्टर, बाल-बाल बचे छात्र

विद्यालय में छात्रों के पढ़ाई के दौरान छत से गिरा प्लास्टर से गिरा प्लास्टर, बाल-बाल बचे छात्र

*डर के साये में बच्चे करते हैं शिक्षा ग्रहण, कभी भी हो सकती हैं बडी अनहोनी*


अनूपपुर

जिले के कई सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं। बावजूद इसके बच्चों की जान को जोखिम में डालकर बारिश के सीजन में जर्जर हो चले भवनों में पढ़ाया जा रहा है। जहां 12 अगस्त को शनिवार को शासकीय प्राथमिक विद्यालय बाड़ीखार के कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। इस दौरान अचानक भवन का प्लास्टर नीचे गिर गया। उक्त घटना दोपहर लगभग 1 बजे की बताई जा रही है। विद्यालय के शिक्षक ने बताया कि गनीमत रही है की जिस समय छत से प्लास्टर टूटकर गिरा था, उस समय बच्चे एमडीएम भोजन के लिये दूसरे कमरे में थे। इतना ही नही उक्त विद्यालय का पूरा भवन पूरी तरह से जर्जर है। जहां विद्यालय भवन में तीन कमरे, जिसमें एक कमरा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण वहां सिर्फ बच्चों को बैठाकर एमडीएम भोजन कराया जाता है। वहीं दो अन्य कमरों में कक्षा 1 से 5 तक क्लास लगती है, ऐसे में खतरा और बढ़ जाता है। हालत यह है कि जर्जर स्कूल वाले भवनों के मरम्मत की फाइल शिक्षा विभाग के कार्यालयों में घूम रही है।

*कभी भी हो सकती हैं अनहोनी*

जनपद पंचायत अनूपपुर अंतर्गत संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय बाड़ीखार के भवन की जर्जर हालत होने के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी बच्चों की जान से खतरा मोल ले रहे है। स्कूल में कमरों की कमी के कारण दो कमरों में 3 कक्षाएं संचालित की जा रही है। वहीं बारिश के समय सिर्फ एक कमरें मे ही 40 बच्चों को बैठाना पड़ता है। जबकि कक्षा 3 से 5 तक की क्लास वाले कमरे की छत से प्लास्टर गिरने के दौरान वहां 28 बच्चे बैठे हुए थे। शिक्षकों ने बताया कि जर्जर भवन के संबंध में अधिकारियों को फाइल बार-बार  भेजी जाती है पर कोई कदम नही उठाया गया है। अगर विद्यालय संचालित करनी है और बच्चों को पढ़ाना है तो उन्हे कहां पढ़ायें। 

*शिक्षा में भी भय का साया*

जिले भर में ऐसे कई सरकारी स्कूल है, जहां बच्चे डर के साये में शिक्षा ले रहे है। जिसका जीता जागता उदारण शासकीय प्राथमिक विद्यालय बाड़ीखार का है। जहां जर्जर भवन के बीच बारिश के दौरान छत से पानी टपकने के साथ ही कभी भी विद्यालय धरासाई हो सकता है। लेकिन जिले की सरकारी स्कूल के भवनों की बदहाली भी सरकारी तंत्र बन चुका है। इस तंत्र को भवन जर्जर होने की जानकारी तो है, लेकिन उन्हे यह नही पता कि बारिश में स्कूल भवन के कमरों में बच्चे किस तरह बैठकर ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।

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