रोजगार अधिकारी का पद खाली, रोजगार हो रहा प्रभावित, कमिश्नर ने नियुक्ति के दिये निर्देश- भूपेश भूषण
शहड़ोल
शहड़ोल जिले के सोहागपुर क्षेत्र के रामपुर बटुरा खुली खदान परियोजना से प्रभावित किसानों की सारी अचल संपत्ति जाने के बाद वर्षों इंतजार के बाद रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ था। इसके बावजूद भी एसइसीएल सोहागपुर क्षेत्र से बिलासपुर मुख्यालय में रोजगार के लिए फाइल भेजा जाता है तब सालों साल बाद निराकरण होकर किसी तरह से उनकी रोजगार प्राप्त करने की राह थोड़ी आसान होती है। किंतु यह कहना अतिसंयोक्ति नहीं होगा की किसानों पर कृपा करते हुए रोजगार मिलने की मंजूरी ति मिल जाती हैं। इसके बाद रोजगार उपलब्ध कराने वेरिफिकेशन के लिए जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त रोजगार अधिकारी के पास मामला जाता है। किंतु उनको भी समय बहुत मुश्किल से ही मिलता है । वर्तमान में यह हालत है कि जिला रोजगार अधिकारी का पद विगत रोजगार अधिकारी के सस्पेंड होने के बाद यह पद खाली हो पड़ा था। इसके लिए एसईसीएल के अधिकारियों के द्वारा लगातार जिला प्रशासन को पत्राचार, फोन एवं मिल बैठ कर बातचीत भी की गई किंतु विगत दो माह से रोजगार अधिकारी की नियुक्ति नही हो सकी। नोट शीट बनकर कलेक्टर के कार्यालय में रखा हुआ है यह कहकर वापस कर दिया जाता है। जिन कृषकों को अपनी समस्त संपत्ति हाथ से जाने के वर्षों के बाद रोजगार मिलने का अवसर आया तो रोजगार अधिकारी के अभाव में वह भी बिखरता नजर आ रहा हैं। आकाश से गिरा खजूर में अटका कहावत चरितार्थ हो रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता भूपेश भूषण आगे कहा की वर्तमान में रामपुर बटुरा परियोजना प्रभावित किसानों के लिए अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। किसान व मजदूरों का कहीं कोई सुनने वाला नहीं । केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो या फिर जिला प्रशासन सब कहते यही हैं किसान हमारे अन्नदाता है, वही इस देश के आधार स्तंभ हैं। लेकिन किसानों की दुर्दशा गांव में आकर देखी जा सकती है। हम हर बार एसईसीएल को कोसते हैं और जवाब सवाल करते हैं, जब कुछ रास्ता नहीं था तो खदान के सामने बैठ सत्याग्रह हमारी मजबूरी हो जाती है। क्योंकि हमारे पास एक ही रास्ता है जो हमारी संपत्ति है जहां से काला हीरा निकल कर ले जा रहे हैं जब तक उसकी भरपाई नहीं होगी हम वहीं बैठेंगे । उल्लेखनीय है कृषक नेता वा वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता भूपेश भूषण लगातार किसानों के रोजगार लिए संघर्षरत हैं। जब कहीं से कुछ आसार नहीं दिखा तो अंततः सुशासन प्रिय संभाग के मुखिया संभाग आयुक्त को निवेदन किया गया। मामला उनके संज्ञान में आते ही उन्होंने रोजगार अधिकारी तत्काल नियुक्त किए जाने जिला प्रशासन को निर्देशित किया ।निश्चित रूप से इतने बड़े अधिकारी इतनी बड़ी जिम्मेदारी के बाद भी हम किसानों मजदूर और गरीबों का सुनते हैं इसलिए हम आखिरी में उनके दरवाजे खटखटाते हैं वह दरवाजा खुलता भी है, और संभाग आयुक्त जनता की सुनता भी है इसी लिए हम सहजता से उनके पास चले जाते हैं। और देखिए उनके द्वारा हमें समस्या का निराकरण करने आश्वासन ही नही जिला प्रशासन को निर्देश भी हो गया है। आशा है अति शीघ्र ही जिला रोजगार अधिकारी मुहैया कराया जाएगा। अन्यथा हम गांधी विचार एवं कार्य पद्धति में आस्था रखने वालों के लिए गांधी का दिया हुआ रास्ता सत्याग्रह है ही। तीन दिवस के अंदर समाधान नहीं हुआ तो सत्याग्रह की रुख अख्तियार करेंगे। और लड़ेंगे जीतेंगे।