नागपुर ट्रेन सांसद ने जनता से किया छलावा, साधन का आभाव जिले को नही मिला लाभ

नागपुर ट्रेन सांसद ने जनता से किया छलावा, साधन का आभाव जिले को नही मिला लाभ - अरविंद साहनी एडवोकेट की कलम से


अनूपपुर

शहडोल से नागपुर पहुँच हेतु ट्रेन (11201-11202) के रूप में सौगात तो मिली। लेकिन अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़, कोतमा, बदरा, जमुना, कोठी, निगवानी इधर चचाई, अमलाई, बुढ़ार, धनपुरी, की लगभग 9 से 10 लाख की आबादी उक्त ट्रेन के परिचालन से लगभग वंचित दिख रहे हैं। 

ज्ञात होकि कोतमा से शहडोल के लिए ट्रेन चिरमिरी-रीवा (11752) वो भी सप्ताह में मंगल, गुरु व शनिवार को जो कि अनूपपुर से शहडोल पहुँच का उपयुक्त साधन है। जोकि कोतमा से रात्रि 8:45 बजे छूट कर शहडोल 10:30 बजे रात्रि में पहुँचती है। तथा दूसरी शहडोल-अंबिकापुर (11752) जोकि शहडोल-नागपुर (11201-11202) को पकड़ने निर्धारित समय से लगभग 6 घंटे पहले। साथ ही इस रूट की ट्रेन अधिकांशतः घंटे-दो-घंटे लेट ही चलती है। व शहडोल से कोतमा की दूरी भी लगभग 72 किलो मीटर है। अगर कोतमा व कोतमा से सटे क्षेत्र की आबादी शहडोल-नागपुर (11201-11202) का लाभ उठाना चाहते हैं, तो उन्हें 72 किलोमीटर अतिरिक्त का सफर तय करना पड़ सकता है। व उक्त ट्रेन के लाभ के लिए 4 से 6 घंटे अतिरिक्त स्टेशन में प्रतीक्षा करना पड़ सकता है। साथ ही बस व निजी साधन भी हो सकते हैं लेकिन कोतमा से शहडोल के लिए बस की सुविधा भी राम भरोसे है एवं बस स्टैंड भी रेलवे स्टेशन के दूर स्थित है। और रेलवे स्टेशन के लिए अतिरिक्त किराया के रूप में भार बढ़ेगा। व निजी साधन से हर कोई शहडोल नही पहुँच सकता है। अतः इस संदर्भ में कहा जाए तो कोतमा व कोतमा से सटे क्षेत्र की आबादी शहडोल-नागपुर (11201-11202) ट्रेन के परिचालन से पूर्णतः वंचित हो जायेंगे। अब बात करें पुष्पराजगढ़ क्षेत्र की तो शहडोल के सीधा साधन तो है लेकिन डेढ़ से दो घंटे का सफर अतिरिक्त तय करना होगा। यानि 62 से 63 किलोमीटर शहडोल पहुँच हेतु अतिरिक्त सफर तय करना होगा। वहीँ अगर अनूपपुर आकर ट्रेन के माध्यम से शहडोल स्टेशन पहुंचना होगा, तो उन्हें अनूपपुर के रहवासियों के साधन से ही तलब होना पड़ेगा। और पुष्पराजगढ़ व इससे सटे ग्रामीण क्षेत्र भी साधन का आभाव कई दशकों से झेल रहे हैं। ऐसे में शहडोल-नागपुर (11201-11202) ट्रेन के लाभ उठाने के लिए पुष्पराजगढ़ की आबादी को जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। जबकि उक्त ट्रेन का अनूपपुर से परिचालन होता तो पुष्पराजगढ़ व इससे सटे गाँव की आबादी कम दूरी की यात्रा में लाभ उठा सकते थे। इसी संदर्भ में अनूपपुर से शहडोल पहुँच हेतु साधन भी राम भरोसे ही है। क्योंकि अनूपपुर से शहडोल की दूरी महज 50 किलोमीटर ही है लेकिन शहडोल-नागपुर पहुँच हेतु ट्रेन के जो भी साधन है वह या तो उक्त ट्रेन के बिलासपुर-रीवा (18247) रात्रि 10:15 से चलकर शहडोल 11:10 में पहुँचने का टाइम है। एवं दूसरा है उत्कल (18477) जोकि नागपुर पहुंच हेतु शहडोल पर या तो 6 घंटे पहले पहुंचा देगी या लेट-लतीफ़ की वजह से शहडोल-नागपुर ट्रेन के लाभ से वंचित हो सकते हैं, जोकि किसी भी लंबी यात्रा के लिए अनूपपुर से शहडोल पहुँच हेतु यात्रा आपा-धापी में जोखिम से कम नही होगा। वहीँ अंबिकापुर-शहडोल मेमू (08750) का समय 4:50 बजे और पहुँच 6:00 बजे के आसपास है। यानि इस ट्रेन से अगर गए तो तकरीबन 5 से 6 घंटे पहले पहुँच कर शहडोल स्टेशन में प्रतीक्षा करना पड़ सकता है। वहीँ उत्कल का कोई भरोसा नही रहता कि वह निर्धारित दिन में ही स्टेशन पहुँच जाएगा। शहडोल-नागपुर ट्रेन परिचालन से सीधा स्पष्ट होता है कि यह ट्रेन या सांसद-विधायक के लिए चल रहा है या फिर सांसद-विधायक के प्रतिनिधि या फिर आगे पीछे घूमने वाले कार्यकर्ताओं के लिए चलाया जा रहा है। क्योंकि आम जनमानस के लिए निजी साधन से शहडोल पहुंचना आसान नही है। व बस की सुविधा भी कुछ इसी प्रकार है। क्योंकि शहडोल बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन दूर स्थित होने से जनता के ऊपर किराए का भार अतिरिक्त बढ़ सकता है। साथ ही बुढ़ार, धनपुरी, अमलाई, चचाई के रहवासियों की यात्रा अनूपपुर जिले रहवासियों जितना ही कष्टप्रद व अतिरिक्त ख़र्चा भार के साथ है। जबकि बुढ़ार स्टेशन धनपुरी की एक बड़ी आबादी को कैप्चर करता है। तथा चचाई-अमलाई वालों के लिए भी या तो 40 किलोमीटर अतिरिक्त जाना होगा या फिर उन्हें भी अनूपपुर आकर अनूपपुर के साधन से तलब होना होगा तथा शहडोल स्टेशन पहुँच कर पुनः ट्रेन बदलने का कार्य करना होगा। जबकि अनूपपुर के परिचालन से बुढ़ार, अमलाई सहित स्टेशन में 3 किलोमीटर के अंदर की समस्त आबादी इसका लाभ कम दूरी में उठा सकते थे।

गौरतलब है कि शहडोल-नागपुर (11201-11202) ट्रेन का लाभ उठाने के लिए यह ट्रेन अगर प्रतिदिन होता तो सम्भवतः अनूपपुर की 22 से 23 हजार आबादी इसका लाभ सीधा उठा सकते थे। अब चूँकि सांसद महोदया को यह बोध कराने की आवश्यकता है कि किड़नी, फेफड़ा, गुर्दा, टीवी, कैंसर, लंग्स आदि इंफेक्शन बीमारी न तो डॉ. को बता के आता है और ना ही किसी व्यक्ति को। तथा मरीज को लेकर पहले शहडोल जाना फिर ट्रेन बदलना वो भी सप्ताह में एक दिन यानि मरीज, लगेज सहित ट्रेन बदलने का बोझ और खर्चा वहन करने का सामर्थ्य अनूपपुर जिले की आवाम के क्षमता से बाहर जान पड़ता है। तथा किसी को अगर त्वरित जाना हो तो ऐसे में उक्त ट्रेन का परिचालन निर्थक ही सिद्ध होगा। एवं उस पर भी सप्ताह में एक दिन ट्रेन का परिचालन करवाना वो भी जंक्शन से दूर तो यह बेहद हास्यास्पद तो है ही साथ ही बेहद शिथिल निर्णय भी लगता है। तथा अनूपपुर, कोतमा, बदरा, जमुना, कोठी, निगवानी, जैतहरी, पुष्पराजगढ़, बुढ़ार, धनपुरी, चचाई, अमलाई, क्षेत्र व इनसे सटे गाँव की आबादी को इलाज हेतु नागपुर आना जाना होता है। अगर नागपुरी संतरे खाने या कैरेट में संतरा लाना होता तो संभवतः उक्त ट्रेन 9 से 10 लाख की आबादी के लिए उपयुक्त साधन है। जोकि हास्य का नही गहन मंथन का विषय है।

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