गांधी जी के तीन बंदरों वाले सिद्धांत पर कार्य कर कर रहा सिविल विभाग व फायर विभाग

गांधी जी के तीन बंदरों वाले सिद्धांत पर कार्य कर कर रहा सिविल विभाग व फायर विभाग 

*कर्मचारी ठेकेदार पर मेहरबान अधिकारी ठेकेदार को दे रहे आर्थिक लाभ कर्मचारी को बचाने पर लगा विभाग*


अमरकंटक ताप विद्युत गृह के सिविल विभाग और फायर विभाग में भ्रष्टाचार की पटकथा लिखी जा रही है और जिम्मेदार अधिकारी मूक दर्शक बने हुए है। अधिकारी ने तो मानों गांधी जी के तीन बंदरों वाले सिद्धांत पर "बुरा मत देखों, बुरा मत सुनों और बुरा मत करों" के मंत्र को कुछ इस प्रकार अपनाया है कि भ्रष्टाचार की शिकायत मत सुनों, शिकायतकर्ता और भ्रष्टाचार को ना देखों एवं भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही (बुरा) मत करों। लगता है यही कारण है कि  ताप विद्युत गृह के फायर विभाग एवं सिविल विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत पर जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में सोए हुए है।

अनूपपुर/चचाई

जिले के अमरकंटक ताप विद्युत गृह अंतर्गत सिविल विभाग और फायर विभाग  में एक अर्से से पदस्थ लीडिंग फायरमैन और फायरमैन ने फायर विभाग को भ्रष्टाचार का गढ़ बना रखा है और स्थानांतरण नीति के विपरीत अधिकारियों द्वारा इन्हें अघोषित शह दी गई है या कहा यह भी जा सकता है कि हमाम में सब नंगे की तर्ज पर भ्रष्टाचार से प्राप्त मलाई मिलबाट कर खाई जा रही है। इसीलिए तो वर्षों से जमें फायरमैन और लीडिंग फायरमैन सहित सिविल विभाग के कर्मचारी जमकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं सिविल विभाग, फायर विभाग, एम एम जो कि ताप विद्युत गृह के अंदर भ्रष्टाचारियों को भ्रष्टाचार करने पर सहयोग दे रहे हैं वही मंडल के द्वारा लाखों रुपए का वेतन भी दिया जाता है जिससे कि कर्मचारी सहित वरिष्ठ अधिकारियों की आवश्यकता की पूर्ति हो सके और भ्रष्टाचार खत्म किया जा सके लेकिन  वह भी इस भ्रष्टाचार में कही न कही शामिल नजर आ रहे हैं।

*फर्जी हाजरी व आवास किराया में किया गया भ्रष्टाचार*

लंबे समय से भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त होने के बावजूद विभागीय अधिकारियों के द्वारा भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही न करते हुए उन्हें शरण देने का काम कर रहे हैं जिससे ताप विद्युत गृह को सिविल विभाग सहित फायर सेक्शन से लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है जब विभाग के विभागाध्यक्ष ओं से भ्रष्टाचारियों के विषय में शिकायत की जाती है तो शिकायत पर कार्यवाही न करते हुए पुरानी बात का हवाला देते हुए कार्यवाही करने से पीछे हटते हैं जिससे इन भ्रष्टाचारियों का मनोबल और भी बढ़ जाता है और फिर यह और बढ़-चढ़कर भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं।

*मोहित हुए विभाग के अधिकारी*.

लंबे समय से फर्जी अटेंडेंस के खेल को अंजाम दे रहे बाबू साहब की वाणी इस गति में चली की विभाग के विभागाध्यक्ष भी इनके वाणी के मोहित हो गए और इनके द्वारा किए गए लाखों के भ्रष्टाचार को दफ्तर के फाइलों में ही दबा कर रख दिया और नौकरी पर आने से पहले खाने वाली कसम भी चकनाचूर हो गई वही उद्योग को लेकर बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाले और कसमें खाने वाले जो कि उद्योग हित की बात करके लोगों से वाहवाही लेने का काम करते हैं तो वही टेबल के नीचे से भ्रष्टाचारियों को भी संरक्षण प्रदान करते हैं सारे सबूत और प्रमाण देने के बावजूद विभागीय कर्मचारी को बचाने पर लगे हैं अधिकारी।

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