खुला बोरवेल, झूलता बिजली का तार, जर्जर विद्यालय पर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर नौनिहाल छात्र

खुला बोरवेल, झूलता बिजली का तार, जर्जर विद्यालय पर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर नौनिहाल छात्र


शहड़ोल

शहड़ोल जिले के एक शासकीय स्कूल से सामने आई है । जंहा जान जोखिम में डालकर नौ निहाल शिक्षा ग्रहण कर रहे है ।  स्कूल प्रवेश करने से लेकर शिक्षा ग्रहण करने तक बच्चो को 5 बार जान को ख़तरे में डालना पड़ता है। 5 बड़ी समस्याओं से बच्चों का सामना करना पड़ता है। विद्यायल में आलम ये है कि बच्चे जैसे ही स्कूल में प्रवेश करते है सबसे पहले जमीन की ओर झूलती बिजली की तार ,  स्कूल के ठीक सामने बंद बोरवेल के खुले गढ्ढे का खतरा, जैसे ही बच्चे स्कूल में प्रवेश करते है  की छत किसी बच्चे पर ना गिर जाए उसका खतरा, शिक्षक इस डर से उबर नहीं पाते और उन्हें मजबूरन सभी बच्चों को एक कमरे में रसोई के साथ बैठकर पढ़ना पढ़ता है। जंहा बच्चे गैस सिलेंडर में बन रहे मध्यान भोजन ( खानां ) बनाने के बीच पढ़ने को मजबूर हो रहे , बच्चो का यंहा भी पढ़ाई में मन नही लगता उन्हें गैस सिलेंडर फटने का डर बना रहता है । यह पूरा मामला सोहागपुर जनपद के ग्राम पंचायत खन्नाथ के पड़रिया टोला प्राथमिक स्कूल का है। इस स्कूल में कक्षा 1 से लेकर 5वीं तक के छात्र दहशत और अव्यवस्था के बीच पढ़ाई कर रहे हैं। इस स्कूल में 5 ऐसी बड़ी समस्या है जिसकी चपेट में आते ही किसी भी छात्र के जीवन पर बात बन आएगी।

शहड़ोल जिले के एक स्कूल में बच्चे मौत के साए में शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। शासकीय स्कूल को हालत खराब है।  सोहागपुर जनपद के ग्राम पंचायत खन्नाथ के पड़रिया टोला प्राथमिक स्कूल  में कक्षा 1 से लेकर 5वीं तक के छात्र दहशत और अव्यवस्था के बीच पढ़ाई कर रहे हैं। इस स्कूल में 5 ऐसी बड़ी समस्या है जिसकी चपेट में आते ही किसी भी छात्र के जीवन पर बात बन आएगी। स्कूल आने के बाद 5 बड़ी समस्याओं से बच्चों में दहशत इस कदर है कि वो खेलकूद और खाने की छुट्टी में भी कमरे के बाहर निकलने के लिए सोचते हैं। छात्र व शिक्षकों को डर सताता है कहीं बच्चे खेल मैदान पर जमीन की ओर झूलती बिजली की तार की चपेट में न आ जाएं। उन्हें डर सताता है कि स्कूल के ठीक सामने बंद बोरवेल के खुले गढ्ढे में कोई बच्चा ना समा जाए। शिक्षकों को डर सताता है की स्कूल की छत किसी बच्चे पर ना गिर जाए। शिक्षक इस डर से उबर नहीं पाते और उन्हें मजबूरन सभी बच्चों को एक कमरे में रसोई के साथ बैठकर पढ़ना पढ़ता है। जंहा बच्चे गैस सिलेंडर में बन रहे मध्यान भोजन ( खानां ) बनाने के बीच पढ़ने को मजबूर हो रहे , बच्चो का यंहा भी पढ़ाई में मन नही लगता उन्हें गैस सिलेंडर फटने का डर बना रहता है । स्कूल प्रबंधन का कहना है कि वो बार बार पत्राचार कर रहे हैं लेकिन उनकी समस्या को दस्तावेजों में दबाकर गुम कर दिया गया है।

*इनका कहना है*

ऐसी स्थिति में बच्चों को नहीं पढ़ने दिया जाएगा। मैं खुद स्कूल का निरीक्षण करूंगी। जल्द ही वहां की सभी अव्यवस्थाओं को दूर किया जाएगा। 

*वन्दना वैद्य कलेक्टर शहड़ोल*

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