हाई कोर्ट के आदेश के बाद हटाये गए डीपीएम सुनील नेमा, बीपीएम मूल पद पर करेंगे कार्य

हाई कोर्ट के आदेश के बाद हटाये गए डीपीएम सुनील नेमा, बीपीएम मूल पद पर करेंगे कार्य


अनूपपुर

मुख्य चिकित्सक एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अशोक अवधिया ने जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुनील नेमा को 26 जुलाई को कार्यमुक्त का आदेश जारी करते हुये उन्हें उनके मूल पद ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक कुंडम जिला जबलपुर के पद पर चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी जबलपुर के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करने हेतु आदेशित किया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन म.प्र. द्वारा अपने पत्र क्रमांक / एनएचएम/ एचआरटी /2023/15990, दिनांक 25 जुलाई 2023 के से आदेश जारी किया गया कि म. प्र. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 13 नवम्बर 2021 के द्वारा सुनील नेमा को कार्यक्रम प्रबंधक अनूपपुर के पद पर कार्य करने की अनुमति प्रदान की गई थी। 30 जून को उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा याचिका सुनील नेमा बनाम म.प्र. राज्य में पारित अंतिम निर्णय के अनुपालन में सुनील नेमा को संविदा प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक अनूपपुर के प्रभार से मुक्त करते हुये सुनील नेमा को उनके मूल पद ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक कुंडम जिला जबलपुर में तत्काल उपस्थित होकर कार्य करने हेतु आदेशित किया गया था। जिस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अवधिया ने उक्त आदेश के परिपालन में सुनील ने कार्यमुक्त कर दिया है।

*यह था मामला*

बीते वर्ष पूर्व प्रदेश भर में बीपीएम के पद पर पदस्थ कर्मचारियों के द्वारा विभाग एवं अपने उच्चाधिकारियों को झूठी जानकारी प्रस्तुत करते हुए कूट रचित दस्तावेज तैयार कर बीपीएम से डीपीएम बनकर काम करने लगे थे पूरे मामले में जानकारी लगने के बाद लोगों द्वारा शिकायत किया गया शिकायत के आधार पर संचालनालय एनएचएम के माध्यम से पूरे मामले की जांच कराई गई जांच में दोषी पाए जाने के बाद उक्त पद को फर्जी प्रमाण देते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के द्वारा अयोग्य घोषित करते हुए निरस्त कर दिया गया जहां बीपीएम से बने डीपीएम मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय के शरण में स्थगन लेकर अपने मूल पद से हटकर डीपीएम के दायित्व का निर्वहन करते हुए जड़ जमा कर बैठे थे यह मामला केवल अनूपपुर मैं पदस्थ डीपीएम सुनील नेमा के साथ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के कई जिलों में चल रहा था उच्चतम न्यायालय की सुनवाई चलती रही अंततः परिणाम यह आया कि हाईकोर्ट ने समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए आदेश पारित कर फर्जी तरीके से कूट रचित दस्तावेज तैयार कर बीपीएम से बने डीपीएम के विरुद्ध संचालनालय द्वारा की गई कार्यवाही को उचित निर्णय मानते हुए फैसला सुना दिया गया कि उपरोक्त पद के विरुद्ध संचालनालय द्वारा की गई कार्यवाही कोई गलत नहीं बल्कि उचित था निर्णय के मुताबिक अवैध तरीके से बनाए गए बीपीएम से डीपीएम अपने मूल पद में जाकर सेवा दें।

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