त्याग और समर्पण का पर्व ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का पर्व अमन शांति की दुआ करने मनाई गई
अनूपपुर
ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का पर्व पूरे जिलेभर में परंपरागत तरीके से मनाया गया। त्याग और समर्पण के प्रतीक स्वरूप कुर्बानियां दी गई। बकरीद के नमाज पढ़कर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अमन शांति एवं खुशहाली की दुआएं मांगी। अनूपपुर सहित जैतहरी, भालूमाड़ा, राजनगर, कोत्तमा, बिजुरी, रामनगर, चचाई, वेंकटनगर सहित अन्य स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईदगाहों में नमाज अदा कर विभिन्न धर्मों के बीच शांति एवं भाईचारे बने रहने की कामना की। जिला मुख्यालय अनूपपुर स्थित वार्ड क्रमांक 2 स्थित चंदास नदी के पास बने ईदगाह पर बकरीद की नमाज अनूपपुर मुख्यालय में हाफिज मोहम्मद सलमान रजा मदीना जामा मस्जिद अनूपपुर के द्वारा अदा कराई गई। इस नमाज में हजारों की तादाद में मुस्लिम समुदाय के नमाजियों ने ईदगाह पर शामिल होते हुए अल्लाताला के सजदे में सिर नवाए।
इस्लामी कैलेंडर के अंतिम माह जिलहिज्जा की दसवीं दसवीं तारीख को यह पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि कुर्बानी आत्मा को शुद्ध करने का एक उत्तम साधन है। कुर्बानी में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दिखावे के लिए न हो। उन्होंने कहा कि हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे हजरत इस्माइल अलेही सलाम को कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। अल्लाह को यह अदा काफी पसंद आई। इसके बाद सभी लोगों ने त्याग एवं समर्पण के प्रतीक स्वरूप के अनुसार बकरे की कुर्बानी दी गई। उसके बाद देर शाम तक कुर्बानियों का सिलसिला चलता रहा। सभी धर्मों के लोगों ने इस्लाम धर्मावलंबियों से गले मिलकर बधाई दी।