पंचायत में लग रहे हैं फर्जी, हो रहा है भुगतान, धुंधले बिलों के जरिए बढ़ा भ्रष्टाचार , पत्नी हैं सरपंच है कार्यभार सम्भालते हैं पति
अनुपपुर/ कोतमा
अनुपपुर जिले की जनपद पंचायत अनुपपुर के ग्राम पंचायत धुरवासीन में भ्रष्टाचार ग़बन चरम सीमा में पहुँच चुका है और जिन्हें रोकने की जबाबदारी दी गई है वह भी पेसो की चमक के आगे नतमस्तक हो चुके है और उन्हें भ्रष्टाचार ग़बन करने की आज़ादी दे दी गई है।देश और प्रदेश की सरकार चाह रही है कि सब कुछ पारदर्शिता हो जो हो रहा वह ऑनलाईन और पोर्टल के जरिये सब देख सके कि क्या कार्य हुए कितना कार्य हुआ बिल किसका लगा कौन सही या गलत सब दिखाई पड़े की सही गलत क्या पर आज सरकारी पोर्टल में खुलके भ्रष्टाचार किया जा रहा है फर्जी बिल लगा रहे है ऐसे ऐसे बिल लग रहे है सीमेंट के दुकान से स्टेशनरी ख़रीदी जा रही है और किराना दुकान से रेत लोहा खरीदने के बिल पोट्रल में लग रहे और भुगतान हो रहे आज कोई इन बिलों की रेख देख नही कि जा रही और इन फर्जी बिलों से बेजा फर्जी भुगतान लिया जा रहा है कुछ बिल ऐसा भी है जो पोर्टल में बिल लगे है वह पढ़ने में भी नही आ रहे है।वही हाल जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों के जहाँ पर फर्जी बिल लगाकर भुगतान किया जा रहा जिसकी समय समय पर शिकायतें होती भी है पर उन शिकायत की फाइल धूल खाती रहती है। वही अनुपपुर, कोतमा, जैतहरी, पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली क्षेत्रों की पंचायतों में धुंधले बिलों को पोर्टल पर अपलोड करना आम बात हो गई है , पंचायत के कर्मचारी द्वारा हजारों के बिलों को धुंधला कर के अपलोड कर आम जनता को भ्रमित किया जा रहा है, परंतु जनपद प्रभ्रष्टाचार छिपाने का प्रयास, आखिर कब तक जिले की जनपद पंचायतों में पंचायत दर्पण के बिल को पूरी तरह धुंधला देखा गया है, कोई भी व्यक्ति पंचायत दर्पण के बिलों का अनुमान नहीं लगा सकता है,सचिव जानबूझ कर धुंधला बिल लगाते है, जिससे किस फर्म में किस सामग्री का बिल लगा है पता न चल पाये,सूत्रों की माने तो ग्रामवासी अगर सचिव से पूछते हैं कि किस सामग्री का बिल लगा है तो सचिव जवाब देते है नेट से निकाल लीजिये, जब पंचायत दर्पण पर लोग बाग देखने पहुंचते है तो वहां बिल ही धुंधला मिलता है, कुल मिलाकर भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए यह खेल खेला जाता है। आला अधिकारी मौन क्यों , क्या है मिलीभगत।
*प्रशासन को चुनौती देते हुये जनपद क्षेत्रों की ग्राम पंचायतें धुंधला बिल लगाती हैं*
धुंधले बिल से यह जाहिर नहीं हो पाता है, कि बिल सही लगा है या गलत आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी इसको रोक क्यों नहीं पा रहे हैं, यह भी एक बडा सवाल है , कि कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है, शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन रहते हैं, उपर बैठे अधिकारी पंचायतों के कर्मचारियों के काले कारनामों या धुंधले बिल की कभी जांच तक नहीं करते है,कुल मिलाकर कार्यवाही न होना अधिकारियों के कमीशन की तरफ इशारा करता है।
*बिलों में हो रही हजारों की हेरा फेरी, जिम्मेदार है मौन*
पंचायतों में लगने वाले बिलों में हजारों रुपए की हेरा फेरी की जा रही है परंतु जिला पंचायत प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं है , जिला पंचायत के प्रशासनिक अधिकारी ग्राम पंचायतों में सिर्फ नाम मात्र की जांच का हवाला देकर चुप्पी साध लेते हैं।
*सरपंच पति पर पंच ने शासकीय कार्यों में दखलंदाजी करने का लगाया आरोप*
ग्राम पंचायत धुरवासिन के सरपंच पद का हो रहा है दुरुपयोग जिससे लेकर वार्ड क्रमांक 04 पंच छत्रपाल चौधरी ने सरपंच पति के ऊपर लगाया आरोप पंच का कहना है की शासकीय कार्यालय पंचायत भवन में बैठकर सरपंच पति द्वारा गुंडागर्दी सरपंच का रूप दिखाते हुए दिनांक 08 जून 2023 को भरी ग्राम सभा में पंचायत भवन में पंच के साथ ग्रामीणों के समक्ष मारपीट करने का प्रयास किया गया व धमकाते हुए बहुत अपमानित किया है जिससे मैं मानसिक रूप से बहुत परेशान हैं। जिसमे वार्ड क्रमांक 04 पंच के द्वारा शिकायत में लेख किया है की ग्राम पंचायत धुरवासिन में सरपंच तेजबती सिंह महिला आरक्षित सरपंच पद पर निर्वाचित है मध्य प्रदेश शासन के पंचायत ग्रामीण विकास मंत्रालय के आदेश अनुसार सरपंच पति अन्य परिजनों को पंचायत बैठक ग्राम सभा का संचालक एवम शासकीय कार्यों वा अन्य कार्यों पर दखलंदाजी करना वर्जित है वा प्रतिबंधित है उसके बाद भी महिला सरपंच की जगह सरपंच पति चेतन सिंह द्वारा कार्यक्रम का संचालन कर पंचायत के कार्यो में दखलदाज़ी कर महिला सरपंच पद का सरपंच पति द्वारा दुरुपयोग कर रहा है ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के तहत पद प्रथक की शिकायत कर कार्यवाही की मांग की गईं हैं।वहीं अगर पति पत्नी के दस वर्ष के कार्यकाल में विकास कार्य पंचायत में आय ब्यय फाइलों की ए यस टी यस की समीक्षा की जाये तो करोड़ों रुपए का गड़बड़ झाला होगा उजागर।
*इनका कहना है*
जनपद सीईओ से बात करके पूरा मामला दिखवा लेता हूँ।
*अभय सिंह ओहरिया जिला सीईओ अनूपपुर*