सीएम हेल्पलाइन का निकल रहा है दम, न्याय के आस में गरीब जनता, हो रहा है दिखावा

सीएम हेल्पलाइन का निकल रहा है दम, न्याय के आस में गरीब जनता, हो रहा है दिखावा


अनूपपुर

करते हैं एक समीक्षा मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की महत्वपूर्ण योजना सीएम हेल्पलाइन कॉमन मैन हेल्पलाइन की आजकल सीएम हेल्पलाइन अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ती जा रही है। जानकारी अनुसार कभी सीएम हेल्पलाइन एक ऐसी मजबूत व्यवस्था थी कि  मध्यप्रदेश में आकर लापरवाही करने वाले अधिकारियों के सामने एक गाज बनकर गिरती थी। प्राप्त जानकारी अनुसार आज वही योजना फिसड्डी साबित हो रही है दम तोड़ती नजर आ रही है। कहीं न कहीं इस योजना में क्रियान्वयन करने वाले बड़े अधिकारी इसके दोषी हो सकते हैं क्योंकि सीएम हेल्पलाइन में परेशान लोगों की त्वरित कार्यवाही ना होना एक बहुत बड़ा विषय है।

जन सुनवाई के दौरान भी समस्त शिकायतों को सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कर दिया जाता है और हितग्राहियों को सीएम हेल्पलाइन का एक शिकायत नंबर दे दिया जाता है किंतु यदि देखा जाए तो उन शिकायतों पर अमल करना तो दूर अधिकारियों के द्वारा ध्यान भी नहीं दिया जाता है जिससे दूरदराज से आए जनसुनवाई में आवेदक परेशान होते हैं एवं निराश होकर चले जाते हैं मीडिया कि टीम द्वारा जब इस बात की जमीनी समीक्षा की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए जनसुनवाई में आए आवेदक अपनी समस्याएं कलेक्टर अनूपपुर जिला पंचायत सीईओ आदि के सामने रखते हैं और त्वरित कार्यवाही के नाम पर जनसुनवाई का किस प्रकार से मजाक उड़ाया जाता है यह अनूपपुर जिले में देखा जा सकता है।

100 किलोमीटर से ऊपर की दूरी तय करके जनसुनवाई में अपना आवेदन दर्ज कराते हैं किंतु उन्हें न्याय की जगह एक सीएम हेल्पलाइन का नंबर दे दिया जाता है ऐसे परिस्थितियों में आम जनता को न्याय मिलना संभव नहीं है और जिस प्रकार से सीएम हेल्पलाइन का मजाक उड़ाया जाता है मानो ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने ठान ली है मुख्यमंत्री को बदनाम करने की मुख्यमंत्री ने आम जनता को दरबदर की ठोकर न मिलने की स्थिति में सीएम हेल्पलाइन की योजना निकाली थी ताकि आवेदक घर बैठकर अपने साथ हुए अन्याय को अधिकारियों के समक्ष रख सके किंतु बड़े अधिकारियों के द्वारा इस प्रकार से सीएम हेल्पलाइन को मजाक बनाया जा रहा है उससे साफ स्पष्ट होता है कि अब मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के कायाकल्प में गरीब लोगों को न्याय मिलना संभव नहीं है।

जनसूनवाई के दौरान ऐसे आवेदक आ रहे हैं जिन्होंने लगभग दर्जनों बार सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई और फिर उन्हें एक बार सीएम हेल्पलाइन का नंबर मिल जाता है। सीएम हेल्पलाइन में ऐसे आवेदक आ रहे हैं जो एक बार नहीं 10 बार आकर जनसुनवाई में शिकायत दर्ज करा चुके हैं किंतु न्याय तो दूर उन्हें केवल एक नंबर दे दिया जाता है यानी कि सीएम हेल्पलाइन अब केवल एक नंबर मात्र रह गया है कार्यवाही तो दूर अधिकारी ध्यान देना भी उचित नहीं समझते हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार ममला ग्राम पंचायत बसखली के आवेदक को अपशब्द कहे गए थे और साथ ही उन्हें जेल में बंद कराने की धमकी भी दी गई थी साथ ही अपने साथ रखे पुलिसकर्मी को उन्होंने कहा कि इसे जेल में बंद करो बहुत ज्यादा बोलता है। अब बताइए ऐसी परिस्थितियों में आवेदक कैसे शिकायत दर्ज करा पाएंगे खौफ के साए में क्या कोई आवेदक शिकायत दर्ज करा सकता है। यह एक बहुत बड़ा सवाल अनूपपुर की जनता के लिए है।

अधिकारियों की लापरवाही इस कदर हावी है कि आवेदक दर्जनों बार जनसुनवाई में एवं सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करा रहा है किंतु न्याय तो दूर उनसे पूछा तक नहीं जाता है कि आपकी शिकायत कहां तक पहुंची। अब देखना है इस खबर के पश्चात की जिम्मेदार अधिकारी दर्जनों बार जनसुनवाई में शिकायात दर्ज कराने वाले आवेदकों के लिए क्या व्यवस्था बनाते हैं, और इन पर कैसे नजर डालते हैं जो एक बार नहीं दर्जनों बार जनसुनवाई में आकर अपना आवेदन दर्ज करा चुके हैं या फिर ऐसे ही भर्रेशाही चलती रहेगी और आम जनता पिसती रहेगी।

*सीएम हेल्पलाइन में भी चल रही है भर्रेशाही कार्य*

सीएम हेल्पलाइन में किए गए शिकायत कि जानकारी सात दिवस के बाद देने या लेने कि बात कही जाती है और दोबारा शिकायत कि स्थिति जानने पर भी निराकरण नहीं हो पाता है और शिकायत के जल्द निराकरण के लिए एल 1 इत्यादि विभिन्न अधिकारियों को शिकायत फॉरवर्ड कर जल्द ही निराकरण के लिए कहा जाता है किंतु हकीकत में जिस अधिकारी के पास शिकायत फॉरवर्ड होकर जाता है उन्हीं को फुर्सत नहीं है कि इस ओर ध्यान दें या फिर यूं कहा जाय कि जानबूझकर शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति के बारे में न सोचते हुवे उसको परेशान करने को घुमाया जाता है।

अब अगला ऑप्शन जनसुनवाई या उच्च अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करवाकर या आवेदन कर न्याय कि गुहार लगाने के बारे में व्यक्ति सोंचे तो करे क्या क्योंकि जब सीएम हेल्पलाइन में समस्या का निदान नहीं हो पाता तो उसपर निराकरण करने वाले अधिकारी आवेदन पर कैसे निराकरण करेंगे। सवालिया निशान खड़ा करता सवाल और प्रश्न चिन्ह उठना लाजमी है ?

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