महात्मा गांधी बापू की चिट्ठी नरेंद्र मोदी के नाम- कैलाश पाण्डेय
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी-अभी अमेरिका और मिस्र के सफलतम यात्रा से लौटे हैं और 27 जून यानी मंगलवार को शहडोल की जमीन पर उनका आगमन होगा। स्वागत की भव्य तैयारियां की जा रही हैं। आज स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह शहडोल आए और उन्होंने इंतजामों का जायजा लिया। इसी बीच एक खयाल आया कि यदि आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवित होते और पीएम मोदी को चिट्ठी लिखते तो उस खत का मजमून क्या होता। शायद राष्ट्रपिता पीएम मोदी द्वारा चलाए गये स्वच्छता अभियान की प्रशंसा करते,क्योंकि अंतत: स्वच्छता का सपना सर्वप्रथम बापू ने ही देखा था,जिसे मोदी ने पीएम बनने के बाद जमीन पर उतारने का बीड़ा उठाया। लोग भले ही राजनीतिक उद्देश्य से बापू और मोदी को अलग-अलग साबित करें,लेकिन कई बिन्दुओं पर ये दोनों एक दिखाई देते हैं। बापू भगवान रामचंद्र जी के अनन्य उपासक थे। पूरा जीवन उन्होंने रामराज्य की स्थापना के लिये होम कर दिया। बापू के तो अंतिम शब्द भी थे हे राम। तो क्या बापू उस चिठ्ठी में राम मंदिर की कल्पना को साकार करने के लिये उनका उत्साहवर्धन करते। सभी अपने-अपने हिसाब से इस प्रश्न का उत्तर खोज सकते हैं। शहडोल में मंगलवार को जो कार्यक्रम है, वो भी क्या बापू से जुड़ा हुआ नहीं है? शहडोल के वाशिंदों खासकर आदिवासियों को सिकल सेल एनीमिया,थैलीसीमिया से मुक्त कराने का अभियान भी तो बापू के सपनों के भारत का एक हिस्सा है। लगता तो है कि बापू अपनी चिठ्ठी में पीएम को उनके इस अभियान के लिये शुभकामनाएं देते। महात्मा की चिठ्ठी में पीएम मोदी के नौ साल में किये गये कार्यों के लिये कुछ सुझाव और समझाइश भी होती। जो निश्चित तौर पर भारत के उज्ज्वल भविष्य और उत्तरोत्तर प्रगति में संवाहक की भूमिका निभाते।
*मोदी जो कार्ड बांटेंगे, वो है क्या*
प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को जो कार्ड शहडोल के नागरिकों को वितरित करेंगे, उसे विस्तार से समझना बहुत जरूरी है। श्री मोदी राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का शुभारंभ करने आ रहे हैं। आसान शब्दों में समझें तो विवाह पूर्व कुंडली की तरह वर-वधू के जेनेटिक कार्ड का मिलान कर ऐसी जोड़ी बनने से रोका जा सकता है,जिनकी संतान को सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया होने का खतरा हो सकता है। भोपाल के सरकारी होम्योपैथी कालेज के सह प्राध्यापक डॉ. निशांत नांबिशन और उनकी पत्नी डॉ.स्मिता नांबिशन ने तीन वर्ष की मेहनत के बाद जेनेटिक कार्ड तैयार किया है। उन्हें इसका पेटेंट भी मिल गया है। झाबुआ और आलीराजपुर में प्रयोग के तौर पर इसके अच्छे परिणाम मिलने के बाद इसका उपयोग 17 राज्यों में किया जाएगा।
*प्रदेश में दो लाख कार्ड बंटेंगे*
प्रदेश में अभी दो लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से यह कार्ड दिया जाएगा। 27 जून को ही उत्तर प्रदेश में भी इसका वितरण शुरू होगा। डा. निशांत ने बताया कि जिप्की (जेनेटिक इनहेरिटेंस प्रेडिक्शन काउंसलिंग आइडेंटिफिकेशन) कार्ड का उपयोग आनुवंशिक पैटर्न की पहचान और परामर्श के लिए किया जाता है। इसका उपयोग कर दोनों बीमारियों को धीरे-धीरे पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है।
*ऐसे काम करता है कार्ड*
सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया का पता लगाने के लिए रक्त की जांच एचपीएलसी (हाई परफारमेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी) से की जाती है। इससे पता चलता है कि बीमारी है या नहीं। यदि है तो माइनर है या मेजर। कुछ लोगों को बीमारी नहीं होती फिर भी वह वाहक बनते हैं। कार्ड के पीछे तरफ प्रिंट क्यूआर कोड को स्कैन करने पर वीडियो के जरिये बीमारी के बारे में पूरी जानकारी मिलती है।