एक पुलिस दो कानून, नो एंट्री में निकल रहे भारी वाहन, कलेक्टर के आदेश को जड़ा चांटा
अनूपपुर
जिले के पुलिस विभाग में काम कर रहे पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली को लेकर आए दिन नित नए सवाल उठते देखे जा रहे हैं, जिलेभर की पुलिस इन दिनों इनकम को लेकर परेशान देखी जा रही विगत वर्षों से नगर की बढ़ती आबादी को मध्य नजर रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा नगर के बीचो बीच से भारी वाहन निकाले जाने मैं प्रतिबंध लगाकर वाहनों को नगर की सीमा के पहले ही खड़े रखने का आदेश जारी किया गया था लेकिन यातायात विभाग एवं पुलिस विभाग के अन्य अधिकारी कर्मचारियों के मिलीभगत के कारण सेटिंग बनाकर कई वाहनों को नो एंट्री के बाद भी निकाल दिया जाता था यह कोई पहली बार नहीं मौका देख कर पुलिस प्रत्येक दिन 10,20 वाहन को नो एन्ट्री से निकालने में सफलता हासिल कर लेती है, कई बार यह भी देखा गया कि कर्मचारियों के द्वारा 100 ₹200 लेकर वाहनों को नोटरी से बाहर निकाल दिया जाता रहा लेकिन पुलकित और बीआरएल रोड लाइंस के वाहन को रोक पाना अनूपपुर जिले की यातायात पुलिस ही नहीं बल्कि कई जिलों के एडिशनल एसपी पुलिस अधीक्षक सहित एडीजीपी तक को बड़े चुनौती से कम नहीं है कारण की पुलकित एवं बीआरएल रोड लाइंस के संचालकों द्वारा जब कलेक्टर पदेन सचिव के आदेश को झन्नाटेदार तमाचा जड़ते हुए, दिनदहाड़े नो एंट्री होने के बावजूद भी एक साथ शहर के बीचो-बीच से दर्जनभर भारी वाहनों को निकाल दिया जाता है क्या उस वक्त नगर के अंदर पुलिस विभाग द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरे फेल कर दिए जाते हैं या की उन कैमरों से नगर की सुरक्षा नहीं की जाती, या फिर मुंह देखकर गरीबों के साथ कार्यवाही एवं अन्य को अभयदान देते हुए कोरम पूरा किया जाता है।
*कौन है पुलकित एवं वीआरएल रोड लाइंस का संचालक*
जन चर्चा है कि पुलकित एवं वी आर एल रोड लाइंस के संचालक पुलिस विभाग में कुछ जिले के तो कुछ जिले से बाहर के पदस्थ कर्मचारी हैं जिनमें किसी एक का नाम क्लाइमेंट जॉन के नाम से जाना जाता है उन दोनों कर्मचारियों को मिलाकर लगभग दो दर्जन वाहन सड़कों पर नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए खर्राटे मार कर ओवरलोड चलाए जा रहे हैं जिसकी जानकारी यातायात पुलिस ही नहीं बल्कि जिले एवं संभाग भर के पुलिस विभाग में पदस्थ कर्मचारी अधिकारियों को है लेकिन उन वाहनों को रोक पाना उनके बलबूते नही।
*....तो क्या माइक टू के जानकारी में चल रही गाड़ियां*
पूरे मामले की जनसंख्या है की इन दोनों कंपनियों के वाहनों की निकासी को लेकर कई वर्षों से पुलिस विभाग के कर्मचारियों द्वारा उच्चाधिकारियों को जानकारी दी गई जिसमें अनूपपुर जिले में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक राजन के जानकारियां सारे वाहनों की निकासी नो एंट्री के बावजूद भी कराई जा रही है जब किसी कर्मचारी के द्वारा उन वाहनों को नो एंट्री के पहले रोक दिया जाता है तो माइक टू से दिखवा लेने की धमकी तक दे दी जाती है। वह अलग बात है कि माइक टू की छत्रछाया उन दोनों रोड लाइंस के संचालकों पर है या नहीं लेकिन लोगों द्वारा धमका जरूर दिया जाता है।
*एक शहर में दो कानून चला रही जिले की पुलिस*
जनचर्चा यह भी है कि अनूपपुर जिले के विभिन्न थानों की पुलिस के साथ ट्रैफिक पुलिस के द्वारा शासन,प्रशासन,के साथ उच्चतम न्यायालय को ठेंगा दिखाते हुए एक ही नगर में 2 तरह के कानून बनाकर कार्यवाही की जा रही है। जिसमें पुलिस द्वारा चेहरा देखकर कार्यवाही किया जा रहा, धन्ना सेठों की गाड़ियों को पुलिस विभाग के ही कर्मचारियों द्वारा नो एंट्री होने के बावजूद भी शहर से निकाला जा रहा है वही कार्यवाही के नाम पर गरीबों सब्जी व्यापारियों छात्र-छात्राओं के वाहनों को रोककर बाल मजदूरी करने जा रहे मजदूर का चालान बनाकर खानापूर्ति किया जाता है।
*पुलिस अधीक्षक के लिए है बड़ी चुनौती*
अनूपपुर जिले के पुलिस एवं पुलिस विभाग में पदस्थ अधिकारी, कर्मचारियों के द्वारा जिस तरह से मनमानी पूर्वक कार्य किया जा रहा है ,उस कार्य में सुधार करवा पाना पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र सिंह पवार के लिए बहुत बड़ी चुनोती होगी कारण की यहाँ पदस्थ कुछ लोग ऐसे हैं जो सुबह से लेकर शाम तक केवल धनलक्ष्मी के पीछे दौड़ते रहते हैं। क्योँ न उन्हें निजीस्वार्थ हित को लेकर बेगुनाहों की बलि चढ़ाना पडे।
*जिले भर की यातायात व्यवस्था चौपट ,पुलिस वसूली में मस्त*
अनूपपुर जिले में यातायात पुलिस की और अगर नजर उठा कर देखा जाए तो अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा सुबह 5:00 बजे से लेकर देर शाम 7:00 बजे तक केवल वसूली का काम किया जा रहा है, ज्ञातव्य है कि इनके द्वारा नगर की व्यवस्थाओं को लेकर अनदेखी करते हुए 1 सूत्री कार्यक्रम के तहत जिला मुख्यालय के बॉर्डर क्षेत्रों मैं मुख्य मार्ग पर जाकर चालानी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करते हुए10, से 05 वाहनों की कार्यवाही कर गरीबों से मोटी रकम ऐंठकर कमाई की जा रही है। बता दें कि जिले के शहरीय क्षेत्र की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चौपट होने के बाद भी सुधार कर पाने के लिये समय नही मिल पा रहा।
*पुलिस का भारी वाहन बना बहाना*
जन चर्चा यह भी है कि ट्रैफिक पुलिस के कुछ कर्मचारियों द्वारा पॉइंट ड्यूटी के दौरान साइन मंदिर से सोन पुल अंडर ब्रिज के बीच सौ दो सौ रुपये लेकर बीच-बीच मे मौका देख वाहनों को नो एंट्री के बावजूद भी क्रास भी करा दिया जाता है। और जिन वाहन चालको से सेटिंग्स नही बन पाती तो उनकी लम्बा 5 से दस हजार का चलान ठोंक दिया जाता है। आखिरकार बहाना तो है ही कि प्रत्येक दिन पुलिसकर्मियों के भारी वाहन मौका देखकर निकाले जा रहे हैं जिन्हें जिम्मेदार रोक पाने में स्वयँ असमर्थ रहते हैं तो उसी बहाने अगर कुछ अन्य गाड़ियों को भी निकाल दिया गया तो सब्जी भाजी,पेट्रोल का खर्च ही निकल जायेगा।