नगर परिषद बना मजाक उसी के लेटर से चुप कर दिए पूर्व दैनिक श्रमिक
अनूपपुर/वनगंवा
नगर परिषद बनगवां में आए दिन एक से बढ़कर एक मामलों ने तूल पकड़ा था पर अबकी बार जो नया मामला तूल पकड़ता चल रहा है वो पूर्व नगर परिषद श्रमिको का विरोध है। मामला कुछ यूं है कि पूर्व में नगर परिषद श्रमिको ने अपने 7 सूत्रीय मांगों को लेकर सीएमओ के नाम ज्ञापन दिया था. बदले में जिस कदर नगर परिषद बनगवां के पढ़े लिखे कर्मठ लिपिकों ने जो उलूल जुलूल जवाब तैयार कर के दिया, वह स्वतः ही नगर परिषद बनगवां को एक मजाकिया तंत्र के रूप में स्थापित कर रहा है। नगर परिषद बनगवां के पूर्व श्रमिको ने अपने पहले दिए गए ज्ञापन के जवाब को सिरे से खंडित करते हुए 3 दिवस का अल्टीमेटम देते हुए फिर से ज्ञापन सौंपा है।
*ज्ञापन में 72 श्रमिकों की सूची नहीं मिली*
नगर परिषद श्रमिको की यह मांग थी कि नगर परिषद में कार्यरत कुल 72 श्रमिको की अधिकृत सूची की छाया प्रति प्रदान की जाए जिसके जवाब में नगर परिषद ने उन पूर्व श्रमिको को गुमराह किया व कोई भी सूची प्रदान नहीं की।
*झूठा जवाब लिखकर दिया नगर परिषद बनगवां ने*
नगर परिषद के पूर्व श्रमिको ने यह मांग की थी की जब बाहरी श्रमिको का विरोध है तो बाहरी श्रमिक क्यों कार्यरत है जिसके जवाब में नगर परिषद बनगवां ने झूठा जवाब लिखते हुए कहा कि परिषद में कोई भी बाहर का व्यक्ति कार्यरत नहीं है जिसके एवज में पूर्व कर्मियों ने बाहरी के काम किए जाने के सबूत को अपने ज्ञापन में संलग्न किया है।
*सवाल जारी है: कौन है आखिरी 5*
67 कर्मचारियों के अधिकृत ऐलान होने के बाद 5 कर्मियों के नाम को रोक कर रखा गया है जिसके एबज में 5 से अधिक कर्मचारियों को लॉलीपॉप देकर काम करवाया जा रहा है।
*लेटरहेड का मजाक बना रही नगर परिषद बनगवां*
विदित हो कि किसी भी शासकीय उपक्रम के लेटरहेड की अपनी अहमियत होती है। लेटर हैड का प्रयोग किसी भी आदेश या जवाब को व्यवस्थित और ऑफिशियल तरीके से देने के लिए होता है, जबकि नगर परिषद बनगवां के पढ़े लिखे कर्मठ लिपिकों ने पूरे लेटर हेड का मजाक बना दिया। पूर्व श्रमिको द्वारा दिए ज्ञापन के एक प्रश्न के जवाब में नगर परिषद बनगवां ने एक बेहद ही बचकाना जवाब दिया। नगर परिषद बनगवां ने अपने सरकारी लेटर हेड में जिले के सारे जनप्रतिनिधियों को नाप लिया और उनपर नगर परिषद भर्तियों के लिए दबाव बनाए जाने का आरोप गढ़ दिया साथ ही नगर परिषद बनगवां ने उसी लेटर हेड के मामले में, दबाव में काम करने की बात को भी स्वीकार कर लिया। विदित हो की नगर परिषद बनगवां भाजपा शासित नगर परिषद है एवं राज्य में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इस तरह का बचकाना जवाब आना, नगर परिषद बनगवां के लिपिकों की योग्यता पर सिरे से सवाल खड़ा करता है एवं नगर परिषद बनगवां को पूरी तरह से मजाक का पात्र बना कर रख दिया है।
*आउटसोर्स की कार्यवाही में घोर विलंब*
सीएमओ द्वारा यह बताया जा रहा है कि आउट सोर्स की कार्यवाही की जा रही है जबकि गौरतलब हो कि 18/02/2022 में ही संयुक्त संचालक शहडोल द्वारा कर्मचारियों को आउट सोर्स रखने का आदेश दिया गया था मगर किन कारण बस 1 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी अभी तक आउट सोर्स की कार्यवाही नहीं की गई। सवाल इससे और उठता है कि क्या यह उच्च अधिकारियों के पत्रों की अवहेलना तो नहीं।
*कौन सा राज दफन है पीआईसी रजिस्टर में*
नगर में जन चर्चा का विषय था पी आई सी सदस्यों और अध्यक्ष के बीच खंडन और प्रस्ताव एक साथ कैसे आ रहा है।एक तरफ पी आई सी सदस्यों द्वारा कर्मचारियों संबंधित पी आई सी रजिस्टर में कोई भी प्रस्ताव नहीं दिया गया है और दूसरी तरफ अध्यक्ष द्वारा यह बताया गया था कि कर्मचारी प्रस्ताव पी आई सी प्रस्ताव है, जिनको देख कर पूर्व कर्मचारियों ने पीआईसी प्रस्ताव की छाया प्रति मांगा तो सीएमओ द्वारा इसकी कोई भी जानकारी नहीं दी गई आखिरकार पी आई सी रजिस्टर में ऐसा कौन सा राज है जो सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है?
*सीएमओ द्वारा बताया गया कि कोई भी नया कर्मचारी नहीं रखे गया है*
पूर्व कर्मचारियों ने इसका खंडन करते हुए सीएमओ द्वारा जारी पत्र में 27 कर्मचारियों की स्वीकृति दी गई थी जिनमे पूर्व कर्मचारियों ने सीएमओ के जवाब को खंडन करते हुए नए कर्मचारी का नाम चिन्हित करके दिखाया आखिर कब तक सीएमओ पूर्व कर्मचारियों को भ्रमित करते रहेंगे यह अब देखने वाली बात है?