29 हितग्राही के फर्जी प्रसव मामले मे न्यायालय ने डॉक्टर को ससुनाई 10 वर्ष की सजा
अनूपपुर/राजेन्द्रग्राम
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करपा मे फर्जी प्रसव मामले मे अपर सत्र न्यायाधीश राजेंद्रग्राम ने फैसला सुनाते हुए आरोपी तत्कालीन चिकित्सा अधिकारी को 10 वर्ष की सजा सुनाई प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ उमेन्द्र सिंह तत्कालीन चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करपा के विरूद्ध भा.दं.सं. 1860 की धारा 420, 409 467, 468 एवं 471 के अंतर्गत यह आरोप है कि उसने दिनांक 22 अप्रैल 2008 से दिनांक 07 सितंबर 2010 के अवधि के दौरान थाना करनपठार, जिला अनूपपुर अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करपा में संविदा चिकित्सा अधिकारी के पद पर पदस्थ होते हुये म0प्र0 शासन से प्रबंधना कर कपटपूर्वक या बेईमानी से जननी सुरक्षा योजना से संबंधित 29 हितग्राहियों का फर्जी प्रसव बताकर शासकीय राशि का दुरूपयोग किया गया था जिस पर न्यायालय ने दोषी मानते हुए 57 हजार 7 सौ 50 रुपये की म०प्र० शासन से छल किया तथा लोकसेवक की हैसियत से उक्त राशि का बेईमानीपूर्वक स्वयं के उपयोग में लाकर आपराधिक न्यासभंग किया गया |
अभियुक्त पेशे से चिकित्सक है और वह सुसंगत अवधि में सी०एच०सी० करपा में संविदा चिकित्सक के रूप में पदस्थ था। इसलिये लोक सेवक होने के नाते उससे यह अपेक्षा थी कि वह अपने पद कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करता, लेकिन उसके द्वारा जननी सुरक्षा योजना के तहत फर्जी प्रसव महिलाओं के नाम दर्शाते हुये न केवल उनके नाम से बैंक चैक जारी करवाये गये, बल्कि आहरित राशि भी दुर्विनियोग किया गया। चिकित्सक की समाज में एक विशिष्ट पहचान होती है और यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं है कि ईश्वर के बाद सबसे अधिक सम्मान और विश्वास अगर किसी व्यक्ति में समाज का होता है तो वह चिकित्सक ही होता है। इस प्रकार अभियुक्त ने अपने कृत्य से न केवल भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा दिया है, बल्कि शासन की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया है इसलिये इस न्यायालय के मतानुसार अभियुक्त उदारता बरते जाने का पात्र नहीं है। अतः अभियुक्त को युक्तियुक्त दण्ड से दण्डित करना उचित प्रतीत होता है, जिस पर विभिन्न धाराओं पर चिकित्सक को 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपये से दण्डित किया गया।