शंभु के हाथों की कठपुतली बने अध्यक्ष, घटिया मटेरियल की सप्लाई चालू, अधिकारी अनजान
ठेकेदारों के हाथों की कठपुतली बनकर अध्यक्ष ने अपने अस्तित्व को खतरे में डाल कर रखा है। परिषद में अनाधिकृत तरीके से शंभू सिंह नामक व्यक्ति द्वारा कार्यों में हस्तक्षेप से नगर परिषद के कार्य लगातार प्रभावित कर रहे हैं। हालांकि अध्यक्ष के संरक्षण में शंभू सिंह को परिषद का मठाधीश बना दिया है। देखना यह है किस अधिकार के तहत शंभू सिंह को परिषद में बैठने की अनुमति मिलती है।
अनूपपुर
नगर परिषद बंगनवा में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार करते हुए अध्यक्ष और सहयोगीयों ने जनता के विकास के लिए आई हुई राशि की जमकर होली खेली है। महज 6 माह में ही सप्लाई की गई डस्टबिन परिषद के ठिकानों से गायब हो गई। लगभग 5लाख तक का भुगतान मैटेरियल सप्लायर को कर दिया गया महज 5 से 6 माह बाद ही दोबारा से डस्टबिन का कोटेशन बनाकर सप्लाई करवाई जा रही है। कोटेशन की सप्लाई में मुख्य नगरपालिका अधिकारी अपनी अनभिज्ञता दर्शाते हुए हरमन द्वारा की गई सप्लाई डस्टबिन से अनजान बन रहे हैं। मुख्य नगरपालिका अधिकारी का कहना है कि अध्यक्ष ने कोटेशन बना कर उक्त डस्टबिन की सप्लाई ठेकेदार से करवाई है। सवाल उठता है कि बिना मुख्य नगरपालिका अधिकारी के परमिशन के ठेकेदार से सांठगांठ कर अध्यक्ष द्वारा पोर्टल से मनमाने तौर पर खरीदी की जा रही है खरीदी का मकसद ठेकेदार को लाभ पहुंचाना है।
*शंभू के हाथों की कठपुतली बना अध्यक्ष*
नगर परिषद के गठन होने के बाद चुनावी प्रक्रिया से जीत कर आए अध्यक्ष ने जनता के भरोसे में सेंधमारी करते हुए परिषद के मैटेरियल सप्लायर ठेकेदार शंभू सिंह के इर्द-गिर्द घूमना शुरू कर दिया। परिषद में सफाई अभियान के तहत कूड़ेदान की सप्लाई में अध्यक्ष से सांठगांठ कर ठेकेदार द्वारा घटिया मैटेरियल सप्लाई कर जनता को चूना लगाने का कार्य किया जा रहा है। अध्यक्ष शंभू सिंह के हाथों की कठपुतली बन प्रत्येक कार्य में हामी भरते हुए भ्रष्टाचार को अंजाम देने का कार्य कर रहे हैं पूर्व में भी जैम पोर्टल से की गई खरीदी पर परिषद के पार्षदों ने शिकायत कर कार्यवाही की मांग की थी जिसमें घटिया मटेरियल सप्लायर कर फर्म को लाभ पहुंचाने जैसे बातें सामने आई थी। शंभू सिंह के साथ मिलकर अध्यक्ष द्वारा गुणवत्ता विहीन कूड़ेदान की सप्लाई 6 माह में दोबारा की जा रही है जल्द ही कार्यवाही ना हुई तो बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जाएगा।
*आखिर किस अधिकार से परिषद में जमे रहते हैं शंभू सिंह*
नगर परिषद बनगवां में शंभू सिंह नामक व्यक्ति द्वारा नगर परिषद बनगंवा के कार्यों में लगातार हस्तक्षेप देखा जा रहा है। परिषद में ना तो वह कर्मचारी के रूप में पदस्थ हैं और ना ही किसी जनप्रतिनिधि के तौर पर शंभू सिंह परिषद के अंदर कार्यालय के समय में बैठने के पात्र हैं। शंभू सिंह द्वारा सदैव अध्यक्ष के चेंबर में या फिर कर्मचारियों के चेंबर में बैठकर परिषदों के कार्य में हस्तक्षेप करते हुए देखा जाता है सूत्र बताते हैं कि कई गुप्त फाइलों को भी शंभू सिंह द्वारा हस्तक्षेप कर सत्ता पावर केबल पर अपनी मनमानी चलाई जाती है। नगरपालिका अधिनियम के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति नगर परिषद में अनर्गल तरीके से ना तो कार्यों में हस्तक्षेप कर सकता है और ना ही कार्यालय समय पर प्रतिदिन बैठने का पात्र है। नगर परिषद के अगर सीसीटीवी कैमरा को खंगाला जाए तो शंभू सिंह के आवागमन और कार्यालयों में हस्तक्षेप संबंधित सारे राज खुल कर सामने आ जाएंगे।
*6 माह में ही खुल गया भ्रष्टाचार का राज*
नगर परिषद बनगवां में जून में नगर परिषद के द्वारा डस्टबिन मंगवाए गए लेकिन वह डस्टबिन या तो नगर परिषद के जिम्मेदारों द्वारा घटिया मंगवाए गए या ठेकेदारों के द्वारा घटिया मंगवा कर शासन के पैसे की होली खेलने की ये एक सोची समझी साजिश भी कह सकते हैं , नगर परिषद अंतर्गत जून 2022 के महीने में 100 जोड़ा डस्टबिन लगाए गए जो महज एक महीने में ही उखड़ गए जिसकी शिकायत स्थानीय लोगों द्वारा पूर्व में नगर परिषद के प्रशासक से भी की गई थी, लेकिन किसी तरह से कोई कार्यवाही न करना कहीं ना कहीं इन पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है पूर्व में जून में लगाए गए डस्टबिन और अभी जनवरी में पुनः उन्हीं स्थानों पर नगर परिषद के द्वारा डस्टबिन लगवाए जा रहे हैं जिससे यह देखा जा सकता है कि महज 6 से 7 महीने में वह डस्ट बीन टूट जाना और नए डस्टबिन लगाना इससे यह पता चलता है कि नगर परिषद के सीएमओ लेखापाल व जिम्मेदार ठेकेदारों के द्वारा किस तरह कमीशन के खेल में या यूं कहें कि इन अधिकारी और ठेकेदारों के बीच में कोई पार्टनरशिप जैसी जन चर्चा नगर में है
*इनका कहना है*
कोटेशन के माध्यम से अभी डस्टबिन मंगाए गए हैं और यह डस्टबिन अध्यक्ष के द्वारा मंगाए गए हैं मुझे जानकारी नहीं है।
*राजेंद्र कुशवाहा,नगर परिषद बनगवां सीएमओ*
फोन पर मैं नहीं बता सकता आकर मिल लो बता दूंगा।
*राजेश मिश्रा, नगर परिषद बंनगवा लेखापाल*
मुझे पता नहीं है कि मैंने कब डस्टबिन दी है देख ले आप।
*सुनील जैन, ठेकेदार*