पत्रकार पंकज शर्मा, विजय जैसवाल व नरेश पंजवानी को जान से मारने की मिली धमकी

पत्रकार पंकज शर्मा, विजय जैसवाल व नरेश पंजवानी को जान से मारने की मिली धमकी


अनूपपुर

अनूपपुर जिले के राजनगर के 2 पत्रकार व जैतहरी के 1 पत्रकार को धमकी दी जा रही है एक मामले में मामला दर्ज हो चुका है व दूसरे मामले में थाना में शिकायत की गई है।नरेश पंजवानी निवासी जैतहरी जो पेशे से पत्रकार है थाना जैतहरी जिला अनूपपुर पहुँचकर अभद्र गाली गलौज व जान से माने की धमकी दिए जाने इस आशय की लिखित शिकायत की है कि दिनांक 20 फरवरी 2023 को रात्रि को उसका छोटा भाई जो दिन से मोबाईल बंद करके देर रात्रि तक घर वापस नहीं आया उसके गंदे हरकतों के कारण हमारे द्वारा कुछ स्थानीय लोगों के नाम लिखकर कुछ मीडिया व सोशल मीडिया में शेयर कर दिया गया था उसके बाद दिनांक 21.02.2023, मंगलवार की सुबह अग्रवाल भोजनालय जैतहरी के विनय अग्रवाल द्वारा मो.नं. 7089088758 से मेरे मो.नं. 9303060686 में लगभग 56 सेकेंड फोन कर गालीगलौज व जान से मारने की धमकी दी गई जिसका रिकार्डिंग पीड़ित के पास उपलब्ध है उनके द्वारा छोटे व बड़े भाईयों को भी उनके व कुछ स्थानीय लोगों द्वारा जान से मारने की धमकी दी जा रही है।

अनूपपुर जिले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन लगातार करने का प्रयास किया जा रहा है पत्रकार के कलम को बंद करने के लिए नगर परिषद बंगनवा के कर्मचारी भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशन पर आक्रोशित होकर पत्रकारों को डराने धमकाने का कार्य कर रहे हैं। यह दूसरी बार है कि नगर परिषद अध्यक्ष के करीबी द्वारा पत्रकारों को गाली गलौज और जान से मारने की धमकी दी गई है। मौन प्रशासन ने उक्त आरोपियों के हौसले को बुलंद कर रखा है।

अनूपपुर। कहते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारत के मौलिक अधिकारों में से एक हैं जिसके तहत वह अपनी और समाज की बातों को खुले मंच पर रख सकता है लेकिन जब कोई पत्रकार भ्रष्टाचार जैसे काले कारनामे को उजागर किया जाता है तो उसे और उसके परिवार को लगातार धमकियों और गाली गलौज का सामना करना पड़ता है तब संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार कागजों में सिमट कर रह जाता है। अनूपपुर जिले के बनगवां /राजनगर नगर परिषद का हाल ऐसा ही है जहां अध्यक्ष के चहेतों द्वारा सत्ता पक्ष का दुरुपयोग करते हुए नगर परिषद द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को लेकर लगातार समाचार प्रकाशन करने वाले पत्रकार को दूसरे दिन भी गाली गलौज और धमकियों का सामना करना पड़ा। 


*यह है मामला*


बनगवां नगर परिषद में लगातार हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर समाचार पत्रों में क्षेत्रीय पत्रकारों द्वारा भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए खबरों का प्रकाशन लगातार किया जा रहा था। जिसको लेकर अब विजय जायसवाल और पंकज शर्मा दो पत्रकारों को परिषद के करीबियों और कर्मचारियों द्वारा लगातार धमकी और गाली गलौज की जा रहे हैं। विगत दिनों देर रात मिली धमकी के बाद थाने पहुंचकर विजय जायसवाल और पंकज शर्मा ने आरोपियों के विरुद्ध शिकायत कर मामला पंजीबद्ध करवाया था लेकिन लचीले कानून व्यवस्था के कारण अब दोबारा विजय जायसवाल को न्यू राजनगर में सुबह 9:00 बजे दिनांक 21 फरवरी को हनुमान नामक नगर परिषद बनगंवा के कर्मचारी द्वारा धमकी दी गई है। पूर्व में भी वायरल रिकॉर्डिंग के अनुसार हनुमान ने पत्रकारों को अपशब्द कहते हुए धमकी के स्वर पर खबर ना छापने की बात कहते हुए नजर आए थे। अब दोबारा उक्त कर्मचारी ने विजय जायसवाल पत्रकार को डराने धमकाने की मनसा से चौराहों के बीच खुले तौर पर खबरों के प्रकाशन को लेकर धमकी दी जा रही है।


*लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर खतरा प्रशासन मौन*


वैसे तो लोकतंत्र के तीन स्तंभ है लेकिन चौथा स्तंभ पत्रकारिता को कहा जाता है अनूपपुर जिले के बनगवां नगर परिषद के अस्तित्व में आने के बाद सत्ता पक्ष के साथ गठजोड़ करने से अपराधिक तत्वों को अंजाम दिया जा रहा है सत्ता पक्ष का दामन पकड़ कर खुले तौर पर जुआ सट्टा शराब के साथ-साथ पत्रकारों को धमकी देने का कार्य खुलेआम चल रहा है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की अभिव्यक्ति की आजादी का हनन करने का प्रयास गाली गलौज और धमकी से किया जा रहा है। स्थिति यह है कि जल्द ही प्रशासन इसे संज्ञान में नहीं लेता तो कहीं ना कहीं पत्रकारों के ऊपर हमला जैसी घटना को अंजाम भी दिया जा सकता है फिलहाल पत्रकार ने तो शिकायत दर्ज कर अपनी आपबीती पुलिस को बता दी है देखना यह है कि कब तक कार्यवाही पुलिस द्वारा की जाएगी।


*भ्रष्टाचार की गुत्थी ने परिषद और करीबियों को बनाया हिंसक*


जनता के विकास के लिए आए लाखों रुपए का जब बंटाधार करने का प्रयास किया तो पत्रकारों द्वारा खबर प्रकाशित कर प्रशासन को जगाने का कोशिश किया गया लेकिन ना तो प्रशासन जागा और ना किसी प्रकार की कार्यवाही भ्रष्टाचार की गई यही कारण था कि भ्रष्टाचारियों के हौसले इतने बुलंद है की पत्रकारों को जान से मारने की धमकी और गाली गलौज तक परिषद के कर्मचारी और परिषद के करीबियों दी  जा रही है। भ्रष्टाचार की गुत्थी ने परिषद के कर्मचारी और करीबियों को हिंसक बना दिया है और अगर उक्त भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाता है तो परिषद के बहुत से कर्मचारी अधिकारी भ्रष्टाचार की जद में आने से प्रशासन की नजरों में आ जाएंगे।

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