कौन सी खाई में डूबती जा रही नगरपरिषद? मामला दबाने पत्रकारों पर भी लगने लगा आरोप

कौन सी खाई में डूबती जा रही नगरपरिषद? मामला दबाने पत्रकारों पर भी लगने लगा आरोप

*जनता को बरगलाने निर्दोष सिद्ध हुए मामले पर भी पत्रकार को दिखाया आरोपी*



इन्ट्रो:- राजनगर के पत्रकार विजय जायसवाल द्वारा लगातार भ्रष्टाचार की फाइलें अखबारों के माध्यम से खोले जा रही थी। जिसको लेकर अब द्वंद नगर परिषद द्वारा लगाए गए पत्रकारों के ऊपर आरोपों तक जाकर सिमट गया है, जबकी भ्रष्टाचार नगर परिषद बनगवां में हो रहा, शिकायत बनगवा के पार्षदों ने की जिस पर जांच कार्यालय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास शहडोल द्वारा की जा रही है जिसमे सिर्फ पत्रकार उन मामले को जनता तक ला रहा है तो बौखलाहट में भ्रष्टाचारियों ने पत्रकार पर पुराने समय में लगाए गए मिथ्या व झूठे आरोप को जनता को बरगलाने के लिए पत्रकार पर आरोप सिद्ध कर रहे हैं लेकिन सच्चाई तो यह है कि सारे मामले निराधार और झूठ साबित होकर विजय जायसवाल को न्यायालय ने निर्दोष करार दिया है। 


अनूपपुर/राजनगर

अनूपपुर जिले के नगर परिषद बनगवां में भ्रष्टाचार का बोलबाला इस कदर बढ़ चला है कि सत्ता शासन के लोभ लालच में सत्ता का दामन थामकर पार्टी का चोला ओढ़ लिया है ताकि भ्रष्टाचार के जो दाग वर्तमान नगर परिषद में लगे हैं उसे मिटाने के लिए पार्टी के सहयोग लिया जा सके। वर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष और मुख्य नगरपालिका अधिकारी के ऊपर पार्षदों द्वारा ठेकेदार को लाभ पहुंचाने और भ्रष्टाचार करने जैसे आरोप लगाए थे जिस पर कार्यालय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास शहडोल ने 6 जनवरी 2023 को पत्र जारी कर जैम पोर्टल द्वारा की जा रही खरीदी में ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की मंशा से की जा रही अनियमितता को लेकर खरीदी संबंधित बिल बाउचर की नस्ती को जांच के पत्र लिखकर लिए मंगाया था। जिस पर कार्यालय संयुक्त संचालक द्वारा 80 लाख 73 हजार रुपए के समान क्रय विक्रय पर अनियमितता की बात को लेकर भुगतान रोके जाने के निर्देश दिए थे। 


*अध्यक्ष ने कहा झूठ 40 लाख नहीं करोड़ों का हुआ है भ्रष्टाचार*


जब भ्रष्टाचार की पोल खुलकर सामने आने लगी तो बौखलाहट में अध्यक्ष अनूपपुर के एक समाचार पत्र के संपादक से जा मिले उक्त अखबार के अनुसार उन्होंने कहा कि अब तक 40 लाख का कार्य मेरे द्वारा किया गया है जबकि वास्तव में 80 लाख 73 हजार रुपए के सामग्री का भुगतान व टेंडरों को संयुक्त संचालक शहडोल द्वारा पत्र क्रमांक 12/यां. प्र/2023 दिनांक 09/01/2023 में स्पष्ट उल्लेख करते हुए कहा है कि नगर परिषद बनगवां के उपाध्यक्ष और पार्षद द्वारा की गई शिकायतों की जांच करने के उपरांत संयुक्त संचालक ने अपने पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि उपरोक्त नस्तियों का परीक्षण उपरांत पाया गया कि आपके द्वारा म.प्र. शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग के पत्र क्रमांक / 2022-23 / 87 भोपाल, दिनांक 06.08.2022 तथा म०प्र० नगर पालिका (लेखा एवं वित्त) नियम 2018 के नियम 91 (a ) (ii) का पालन नहीं किया गया है जिसमे स्पष्ट उल्लेख है कि 1 लाख से अधिक एवं राशि 10 लाख तक सामग्री अथवा निर्माण कार्य का प्राक्कलन अधिक परिचालन वाले एक हिंदी समाचार पत्र में किया जावेगा। साथ ही क्रमांक 13 में उल्लेखित सामग्री की बिड जारी नहीं किया जाकर खण्डशः नस्तियां तैयार कर जैम पोर्टल के माध्यम से कांट्रैक्ट आर्डर तैयार किये गये हैं जो कि म०प्र० नगर पालिका (लेखा एवं वित्त) नियम 2018 में उल्लेखित नियमों की धारा 86 एवं 93 के विपरीत है तथा म.प्र. शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग के पत्र क्रमांक / 2022-23 / 87 भोपाल, दिनांक 06.08.2022 की कंडिका 5 का उल्लंघन है। सोलर लाईट क्रय की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त नहीं किया जाकर टेंडर जारी किये गये हैं। अतः आपको निर्देशित किया जाता है कि उपरोक्त उल्लेखित क्रमांक 1 से 13 तक सामग्री क्रय के जैम पोर्टल पर जारी समस्त टेंडरों को निरस्त किया जाता है। आपका यह कृत्य म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 92 तथा म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 एवं म.प्र. नगर पालिका सेवा (कार्यपालन) नियम 1973 के नियम के विपरीत है। क्यों न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जावे, तत्संबंध में आप अपना प्रतिवेदन 7 दिवस के अंदर अधोहस्ताक्षरकर्त्ता के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।


*आखिर क्यों किया गया निरस्त टेंडर, क्यो रोक भुगतान?*


अपने दामन को पाक साफ बताने वाले बनगंवा नगर परिषद के अध्यक्ष द्वारा कही गई बात मिथ्या और झूठ साबित हो रही है । नगर परिषद द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर नगर परिषद के मुख्य नगरपालिका अधिकारी को संयुक्त संचालक नगरी प्रशासन एवं विकास शहडोल  द्वारा पत्र लिखकर प्रस्तावित वस्तु खरीदी और और निर्माण कार्यों के टेंडरों को निरस्त किया गया, जिसके बाद खरीदी किए जाने वाले वस्तुओं के भुगतान को भी पत्र लिखकर उसका भुगतान रोक दिया गया। मुख्य नगर पालिका को आदेश दिया गया कि 7 दिवस के अंदर परिषद में हुए अनियमितता को लेकर अपनी सफाई में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा। या तो स्पष्ट है कि परिषद में भ्रष्टाचार को अंजाम देने का कूट रचित कार्य किया जा रहा था जिस पर उपाध्यक्ष और कुछ पार्षदों ने शिकायत कर रोक तो लगा दी लेकिन सत्ता और भाजपा के दामन थामने के बाद अब तक कार्यवाही शिथिल हो गई है जोकि ठंडे बस्ते में चली जा रही है। अगर पत्रकार भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशित करते हैं तो उन पर और उनके घर पर हमला करवाया जाता है और निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए जनता को बरगलाने के लिए मुद्दा ही परिवर्तित कर दिया जा रहा है। 


*आरोप निराधार, विजय न्यायालय से हुये है निर्दोष साबित*


भ्रष्टाचार की समाचार प्रकाशित करने वाले विजय जायसवाल पर अखबार के माध्यम से साक्षात्कार देकर नगर परिषद के अध्यक्ष ने जो आरोप लगाए थे, उस आरोप पर विजय जायसवाल ने कहा कि न्यायालय द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए मामलों पर मुझे बाइज्जत बरी किया है न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए मेरे पक्ष पर न्याय देते हुए सारे मामलों से मुझे निर्दोष बताया है। वही एक मामला अभी माननीय न्यायालय में विचाराधीन है किसी भी मामले पर मैं अपराधी सिद्ध नहीं हुआ हु, क्योंकि भ्रष्टाचार की खबरें मैं प्रकाशित कर रहा हूं तो जनता और अधिकारियों का ध्यान भटकाने के लिए मेरे ऊपर आरोप लगाकर मुद्दे से भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि आधा दर्जन से अधिक मामले सट्टा के अवैध कारोबार में संलिप्त रहने वाले अध्यक्ष के ऊपर पंजीबद्ध है उसके बावजूद अध्यक्ष नगर परिषद में भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आ रहा है।

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