सनातन व हिंदु धर्म के गौरव शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सत् सत् नमन- राम भैय्या
अनूपपुर
सनातन धर्म के सबसे बडी गद्दी पीठ द्धारिका एवं बद्रिका मठके शंकराचार्य द्रिपीठाधीश्वर जगत गुरू पूज्य गुरूदेव स्वामी स्वरूपानंद के देव लोक गमन की खबर से मन में अब भी यह विश्वास नही हो रहा है कि बात बात में सनातन धर्म की रक्षा के लिये धर्म दण्ड उठाकर बडी बडी सरकारो से भिड जाने वाले पूज्य गुरूदेव अपने लाखो भक्तो को छोडकर चले गये। यहां पर यह बता दिया जाये कि परम पूज्य सद् गुरूदेव शंकराचार्य जी की दिव्य आलौकिक शानिध्य में जब जब भी सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है तब तब यह लगता था कि गुरूदेव की सेवा में सारा जीवन लगा रहे तब भी मन की शांति नही होती थी। पूज्य गुरूदेव के सूर्य समान आभा मंडल से प्रकाशित प्रकाश पंुज आलौकिक प्रकाशित भारत का सनातन धर्म आज निश्चित ही धर्म के एक ऐसे योद्धा से वंचित हो गया जिनके लिये सनातन धर्म का रक्षा ही एक मात्र जीवन था। राम मंदिर का आंदोलन रहा हो या सिरडी के सांई भगवान का मामला पूज्य गुरूदेव सरकारो से डटकर अपनी बात कहते थे। समय समय पर जब सरकार धर्म से विमुख होकर कोई ऐसा आचरण करती थी जिससे सनातन धर्म कहीं न कहीं आहत होता था तो पूज्य गुरूदेव धर्म दंड उठाकर सरकार के विरोध में सडक तक पर उतरकर संघर्ष करते देखे गये हैं।
*सनातन धर्म देश और समाज के लिये अतुल्य योगदान*
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के गौरव के साथ पूज्य गुरूदेव ने राम सेतु की रक्षा के लिये, पतित पावनी गंगा को राष्ट्रीय नदी के साथ-साथ गंगा जल को आचमन योग्य बनाने के लिये, राम जन्म भूमि आंदोलन में लंबा संघर्ष करने वाले पूज्य गुरूदेव के मार्ग दर्शन में ही देश भर में गौ रक्षा आंदोलन की नीव पड़ी। पूज्य गुरूदेव ने राम राज्य परिषर की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य भारत में राम राज्य लाना था, ब्रम्हलीन होने के पहले तक पूज्य गुरूदेव के दैनिक पूजा-पाठ दिन चर्या में कोई बदलाव नही आया था धन्य है मध्यप्रदेश की सिवनी की वह पावन धरा जहां पर सनातन धर्म के सबसे बडे धर्म ध्वजावाहक ने जन्म लिया था उस मां को सत् सत् नमन के साथ पूज्य गुरूदेव स्वामी स्वरूपानंद के श्री चरणो में सत् सत् नमन और प्रार्थना की अपने करोड़ो भक्तो पर दिगदिगांतर तक अपनी कृपा बरसाये रखना।