विभाग में भ्रष्टाचार का तमगा एक्का और अमन के पास, दोनो से सीखे कैसे होता है गोलमाल
अनुपपुर/पुष्पराजगढ़
यूँ तो ग्रामीण यांत्रिकी विभाग हमेशा ही सुर्खियों में रहा है और सबसे बड़े भ्रष्टाचार का तमगा भी इसी विभाग के पास है एक बार फिर से इसी विभाग ने भ्रष्टाचार को नए तरीके से अंजाम दिया है इस खेल में बिभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री मनोज एक्का व पुष्पराजगढ़ के एसडीओ अमन डेहरिया की भूमिका स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, एक ओर सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात करती है वंही दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी नित नए तरीके से शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं यदि विभाग के द्वारा किए गए ग्रेवल सड़को के निर्माण की निष्पक्ष जांच की गई तो सारा सच सामने आ सकता है।
*जिले में नही है मुरुम खदान फिर कहाँ से आई लाखो की मुरुम*
अनुपपूर जिले में खनिज विभाग के अनुसार मुरुम की एक भी खदान संचालित नही है फिर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा सड़को के निर्माण के लिए मुरुम कहाँ से ली गई यह बड़ा सवाल स्वतः ही खड़ा है, इतना ही नहीं विभाग के जिम्मेदारों ने ठेकेदारों द्वारा लगाए गए बिल का भुगतान भी कर दिया तब सवाल है कि क्या प्रभारी ई को इस पूरे मामले की जानकारी नही थी या एसडीओ अमन डेहरिया के द्वारा विभाग को गुमराह किया गया बहरहाल यह जांच का विषय है।
*आरईएस ने बनाई 8 ग्रेवल सड़क
आरईएस विभाग द्वारा जिले में आठ ग्रेवल सड़को का निर्माण किया गया है जिसमे खोलीया से डालडीह, खांडा से खोलगाड़ी, डिडवापनी से चिरापटपर, क्योटर से रोहिला कछार, हर्रई से मिरिया, जर्रा टोला से दलदल, दोना से रमना आदि जगहों पर निर्माण कार्य कराया गया है।
*ठेकेदारों के बिल की हो जांच*
ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा जारी निविदा और उसकी शर्तो तथा उक्त कार्य करने बाले ठेकेदारों द्वारा विभाग में प्रस्तुत किये गए बिल की यदि जांच की जाए तो सारा मामला उजागर हो सकता है साथ ही विभागीय मिली भगत भी, ऐसा नही है कि ठेकेदारों द्वारा किये गए मुरुम के अवैध खनन की जानकारी विभाग के जिम्मेदारों को न हो किंतु चांदी के चंद सिक्को की खनक ने उनके हाथ बांध डाले हैं।
*तो क्या कर रहा खनिज विभाग*
यूँ तो अवैध खनन के मामले में खनिज विभाग कोरम पूरा करने के लिए यदा कदा कार्यवाही करता ही रहता है किंतु रॉयल्टी चोरी के इतने बड़े मामले में उसकी खामोशी बहुत कुछ बयां कर देती है, आठ ग्रेवल सड़को का निर्माण अवैध मुरुम से हो जाये और खनिज विभाग को जानकारी न हो ये उसकी कार्यप्रणाली पर लगने वाले बड़े सवालिया निशान है।