नाबालिग से दुष्कर्म करने पर न्यायालय ने आरोपी को दी 20 वर्ष की सजा
*पीडि़ता को 4 लाख प्रतिकर राशि देने का न्यायालय ने दिया आदेश*
अनूपपुर
द्वितीय अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अनूपपुर आर.पी. सेवेतिया की विशेष न्यायालय ने थाना जैतहरी का आरोपित 24 वर्षीय रवि सिंह राठौर पुत्र गणेश राठौर निवासी ग्राम अमगवां को धारा नाबालिग अनुसूचित जाति पीडिता के साथ दुष्कर्म का अपराध सिद्ध पाते हुए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376(3) भादवि एवं पॉक्सो अधि. की धारा 5(ठ)/6 के लिए 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास, अनुसचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)5 के लिए 12 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 363,366,368 भादवि के लिए 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। जेल की सभी सजाएं एक साथ चलने के कारण कुल मिलाकर आरोपी को अधिकतम 20 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा तथा प्रतयेक धाराओं में 5000-5000 कुल धाराए 06 जुर्माने की राशि कुल 30 हजार रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई हैं। साथ ही कहा हैं कि जमा होने वाले जुर्माने की राशि में से 25 हजार रूपये एवं अतिरिक्त भी न्यायालय ने न्यायहित में पीडिता की मन: स्थिति को देखते हुए 4 लाख रूपये अतिरिक्त प्रतिकर राशि दिलाए जाने का भी आदेश दिया हैं। पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी एवं विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) रामनरेश गिरि ने की। जिला अभियोजन अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि पीडिता कक्षा नौवीं की छात्रा थी घटना 29 जुलाई 2018 को पीडिता घर के बाहर दिशा मैदान (निस्तार) के लिए जा रही थी तभी गांव के तालाब के पास आरोपी रवि राठौर मिला और बोला कि मैं तुमसे प्याार करता हूं तुमसे शादी करूंगा और जबरन पीडिता का हांथ पकड़कर तालाब के पीछे झाडि़यों में छिपा लिया रात 12.30 बजे तक वहीं पर रखा रहा, इसके बाद गांव के एक सूने घर में ले गया तथा रात में जबरन डरा-धमकाकार उसके साथ दुष्कर्म किया। सुबह जब आरोपित सो रहा था तब पीडिता मौका पाकर भाग गई और घटना जानकारी अपने परिवार वालों को बताई जिसके बाद घटना की रिपोर्ट थाना जैतहरी में की गई। जहां अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। प्रकरण गंभीर एवं अनुसूचित जाति का होने से प्रकरण की विवेचना तत्कारलीन एसडीओपी उमेश गर्ग द्वारा किया गया। संपूर्ण विवेचना पश्चाबत् अभियोग पत्र जिला अभियोजन अधिकारी की समीक्षा उपरांत न्याजयालय में 24 अभियोजन साक्षियों एवं 35 दस्ताअवेजों के माध्यमम से आरोपित के विरूद्ध मामला प्रमाणित कराया। जिस पर न्यायालय ने साक्ष्यो एवं दस्तातवेजों के आधार पर आरोपित के विरूद्ध अपराध सिद्ध पाते हुए सजा सुनाई।