महिलाओं कि जगह पुरूष संचालित कर रहे हैं स्व-सहायता समूह
*अध्यक्ष और सचिव का कहना है हम पुरुष रखेंगे जिसको जो करना है करे*
अनूपपुर।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिऐ प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश भर में स्व सहायता समूह योजना का संचालन पूर्व में ही किया गया था। जिसके अंतर्गत प्रदेश भर की तमाम महिलाएं इस योजना से जुड़ कर अपने-अपने नगर व ग्राम क्षेत्रों में स्व सहायता समूह का गठन कर प्रदेश सरकार की मदद से भिन्न-भिन्न योजनाओं का लाभ लेकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनी। यह योजना वर्तमान शिवराज सरकार की सबसे सफल योजनाओं में से एक और सफल योजना के रूप में साबित हुई है। क्योंकि इस योजना से जुड़कर महिलाएं ना सिर्फ आत्मनिर्भर और स्वलंबी बनी बल्कि उनके जीने का ढंग और स्तर भी बदल गया।
लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिऐ संचालित यह महत्वपूर्ण योजना पर पलीता तब लग जाता है, जब स्व सहायता समूह का संचालन महिलाओं की जगह पुरुष करने लग जाएं। तब निश्चित तौर पर मान लिया जाए कि शासन की योजनाओं का अनैतिक लाभ लेने वाले यह पुरुष छल कपट से शासकीय राशियों का सिर्फ दोहन मात्र कर रहे हैं।
ऐसा ही नजारा वर्तमान समय में अनूपपुर जिले के जैतहरी जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत मौहरी में देखने को मिल रहा है जहां संचालित जय अम्बे स्व-सहायता समूह का संचालन महिलाओं के स्थान पर पुरूष कर रहा है। और स्व-सहायता समूह के माध्यम से शासन के विभिन्न योजनाओं का लाभ भी उठा रहा है। ग्रामीणों कि मानें तो गांव कि ही कुछ महिलाओं ने मिलकर स्व-सहायता समूह बनाया और उस समूह का अध्यक्ष गांव कि महिला शांति बाई को बनाकर स्व-सहायता समूह का पंजीयन कराने पश्चात अब उक्त समूह का पूरी तरह से संचालन भैयालाल राठौर द्वारा किया जा रहा है। इस सम्बंध में समूह के अध्यक्ष शांति बाई से ग्रामीणों द्वारा समूह पूंछने पर शांति बाई द्वारा स्वयं को असहाय महिला बताते हुए समूह के सारे काम अपने पति द्वारा कराने की बात कहीं जाती है जब ग्रामीणों ने यह कहा कि अगर आप समूह की काम नहीं कर पाती तो अपने स्थान पर किसी अन्य महिला को अध्यक्ष बना दें जिससे महिलाओं का बनाया समूह महिलाओं द्वारा ही सुचारू रूप से संचालित हो सके उस पर उस पर समूह की अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा कहा जाता है कि हम पुरुष रखेंगे और पुरुषों द्वारा ही हमारे समूह का संचालन होगा जिसको जो करना है कर ले। सवाल उठता है की महिलाओं को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन द्वारा संचालित स्व-सहायता समूह योजना में अगर महिलाओं के स्थान पर पुरुष ही समूहों का संचालन करने लग जाए तो फिर शासन द्वारा संचालित महिलाओं के लिए यह योजना आखिर किस काम की है।