आजादी के 75 साल बाद भी मानसिक गुलामी की जंजीर में जकड़े हुए- आजाद बहादुर
शहडोल
जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष आजाद बहादुर सिंह ने कहा कि आज मन उद्वेलित उन घटनाओं के सामने आने पर जिनके कारण एक दलित बच्चा (छात्र) 9 साल का राजस्थान के जालोर जिले के सरस्वती विद्या मंदिर में कक्षा 3 का छात्र था। उसकी मृत्यु शिक्षक की पिटाई से दिमाग की नसें फट जाने के कारण हुई।
उन्होंने कहा की इसको गंभीरता से देखें तो दलित छात्र का बस इतना ही दोष था कि उसे प्यास लगी और प्यास लगने के कारण उसने वहां रखे घड़े से पानी पी लिया वह घड़ा अलग से उसी शिक्षक के लिए रखा गया था। जिसकी पिटाई से दलित छात्र की मृत्यु हुई। और वह भी जिसे हमने शिक्षा का दायित्व दिया है समाज में शिक्षा देने वाला शिक्षक द्वारा ऐसी मानसिकता अपनाना यह देश की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक है या यूं कहें कि देश की आजादी आज भी खतरे में है हमें इन सब मानसिक परिस्थितियों से आजाद कराने के लिए बड़ी मेहनत और मशक्कत करनी पड़ेगी जिसके लिए हम सबको तैयार रहना चाहिए।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष आजाद बहादुर ने कहा कि आज हम देखें कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने वाले देश की सरकार व इस वर्ष में ऐसा हादसा हुआ जो अत्यंत शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि यह घटना यह भी दर्शाता है कि आज हम मानसिक गुलामी की जंजीरों से कितने जकड़े हुए हैं। आजादी के 75 वर्ष के बाद भी जात,पात, धर्म, ऊंच-नीच के भेद भाव से कितने ग्रसित हैं हम सब। आज इन भावनाओं से ग्रसित होकर समाज में जो बीजारोपण कर रहे हैं। वह इसलिए करते हैं कि उससे अपने निजी स्वार्थों को ताकत मिले शक्ति मिले, राजनीतिक फायदे व निजी स्वार्थों के जहां बिना श्रम के जाति और धर्म का भेदभाव फैलाकर विशेष जाति की अगुवाई से समाज पर अपनी ताकत दिखा सकें। आज जन सेवा की भावना से राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पाते हैं क्योंकि यह रास्ता मेहनत और कठिनाइयों से भरा है अपने वर्ग की या सभी वर्ग के लोगों की सेवा करनी पड़ेगी अतः शॉर्टकट तरीका अपनाकर सफलता अर्जित करना चाहते हैं। इस प्रकार का भ्रम फैलाकर उस विचारधारा संगठन व समूह पर कब्जा करना चाहते हैं, जिसकी विचारधारा समाज के हर वर्ग जाति, धर्म का आदर करते हुए समभाव के जन सेवा से ओतप्रोत प्रजातांत्रिक विचारधाराओं की अगुवाई करता है, उस पर छद्म रूपी तरीके से कब्जा करना चाहते हैं।
जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष आजाद बहादुर ने कहा कि यह हादसा हमें याद दिलाता है की हम सबको ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें इंसान द्वारा इंसानों का शोषण न किया जा सके ना किसी जाति का दूसरे जाति पर, ना किसी धर्म का दूसरे धर्म पर, ना किसी समूह का दूसरे समूह पर, यह विचार थे शहीद ए आजम भगत सिंह के आज उनका नाम लेकर उनकी फोटो लगाकर राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने की नाकाम कोशिश करने वाले लोग मनुवादी सोच के पोषक हैं, जिसकी परिणति है आज इस दलित छात्र की मौत।