एसईसीएल क्षेत्र में व्याप्त लापरवाही, ओसीपी बना भ्रष्टाचार की खदान, प्रबंधन मौन

एसईसीएल क्षेत्र में व्याप्त लापरवाही, ओसीपी बना भ्रष्टाचार की खदान, प्रबंधन मौन

*पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्यवाही हो- श्री कांत शुक्ला*


अनूपपुर/कोतमा

जमुना कोतमा एसईसीएल अंतर्गत जमुना कोतमा क्षेत्र इस समय बीमार महाप्रबंधक के कारण स्वयं बीमार हो गया है, कारण यह है क्षेत्रीय महाप्रबंधक का डायलिसिस प्रत्येक 1 दिन बाद क्षेत्रीय चिकित्सालय में लगभग 4 घंटे होने और स्वास्थ्य खराब होने से क्षेत्र का प्रबंधन वर्ग निश्चिंत और निरंकुश हो चुका है। क्षेत्र का कभी जीवनदायिनी माने जाने वाला खदान आमाड़ांड  ओसीपी इस समय प्रबंधन की तानाशाही और प्रबंधन के भ्रष्टकार्य आचरण के कारण पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। आमाड़ांड ओसीपी के उपक्षेत्रीय प्रबंधक ने तो अति ही कर दिया है। स्वयं के  कंपनी आवास मे 3-3 कंपनी कर्मचारी, जो उच्च वेतन  भुगतान प्राप्त  हैं,जिनमें से दो डंपर ऑपरेटर और एक ईपी फिटर हैँ, तीनों पाली में घर की चौकीदारी में तैनात किए गए हैं।


इनमें से प्रत्येक कर्मचारी का वेतन और अन्य सुविधा मिलाकर प्रतिमाह  कम से कम एक कर्मचारी पर कंपनी औसतन  डेढ़ लाख रुपए खर्च करती है अर्थात चार से साढे चार लाख रूपये  के श्रम शक्ति का नुकसान कर अपने परिवार की सेवा मे उपक्षेत्रीय प्रबंधक कंपनी को आर्थिक क्षति पहुंचा रहे हैं l जब से उपक्षेत्रीय प्रबंधक यहां तैनात हुए हैं तब से इनके घर में यह तीनों कर्मचारी तैनात होकर सेवा दे रहे हैंl इस प्रकार से हिसाब लगाया जाए तो कंपनी को अभी तक उपक्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा  50 से 60 लाख रूपये तक का आर्थिक क्षति पहुंचाया जा चुका है। इन कर्मचारियों के एक साल से बंगले मे काम करने से कंपनी के ओ.बी. और कोयला उत्पादन का  हुये नुक़सान को जोडा जाय, तब कई  करोड का आर्थिक क्षति इनके द्वारा कंपनी को किया गया हैँ।

जिसकी भरपाई उपक्षेत्रीय प्रबंधक करेंगे या या कंपनी करेगी l  एक कोयला श्रमिक जोकि एक संघ का श्रमिक प्रतिनिधि भी है, यदि अपने कार्यस्थल से कार्मिक प्रबंधक के पास किसी श्रमिक के काम से मिलने जाता है तब कार्मिक प्रबंधक द्वारा उसे धमकाया जाता है कि तुम अपना कार्य स्थल छोड़ कर मेरे पास कैसे आए, तुम्हारे विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जावेगी, जबकि स्वयं यह कार्मिक प्रबंधक ना तो खदान समय पर आता और ना ही अपना कार्य समय से करता है।  

कार्य स्थल से स्वयं नादारद  रहने वाला कार्मिक प्रबंधक अक्सर यह कहता कि मैं क्षेत्र में क्षेत्रीय  कार्मिक प्रबंधक के कार्यालय में हूं। उपक्षेत्रिय प्रबंधक और क्षेत्रीय महाप्रबंधक  कार्यालय में लगे सीसीटीवी से प्रमाण लिया जा सकता है कि यह कार्मिक प्रबंधक कितने दिन और  कितने समय उपक्षेत्रीय  प्रबंधक  कार्यालय आता-जाता  है। यह अक्सर बिलासपुर में इसका घर होने के कारण विभागीय कार्य लेकर सरकारी खर्चे पर अपने घर जाता है। खदान के श्रमिकों द्वारा क्षेत्र के जिस भी ईकाई में इसने कार्य किया है इसके समस्त द्वारा समस्त आहरित बिल और इसको हुये भुगतान की जांच की  मांग खान के श्रमिकों  द्वारा की जा रही है।

खदान के कई ऐसे कर्मचारी हैं जो अपनी ड्यूटी तो करते नही हाजिरी लगाकर सीधे घर भाग जाते हैं उनके विरुद्ध प्रबंधन कोई कार्यवाही नहीं करती हैl जबकि जो सीधे-साधे मेहनतकश  श्रमिक है, यदि एक घंटा पहले भी किसी आवश्यक कार्य से घर जाना चाहे तो उन्हें छुट्टी तो दूर उनके विरुद्ध कार्यवाही प्रबंधन शुरू कर देता है। कार्यालय में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को प्रबंधन मुफ्त में प्रतिमाह  8 से 15 घंटे का ओटी  का भुगतान किया जाता है। समय घर में 6 बाबुओं के होते हुए भी प्रतिमाह 15-15 घंटा ओटी  का भुगतान प्रबंधन कर रही है, जो कि  कार्मिक प्रबंधक कीअपने कर्तव्य के प्रति  उदासीनता दर्शाता  है। 

जबकि इतने समय पाल होते हुये भी ओटी लगना ही नहीं चाहिए और ना ही कोई बाबू 8 घंटा समय घर में रुकता है। इसकी भी जांच समय घर में लगे सीसीटीवी से करवाया जा सकता हैl जो कर्मचारी गर्मी धूल,धूप और बरसात में फील्ड में 8 घंटे के कार्य के बाद भी प्रबंधन द्वारा  रोक कर काम लिया जाता हैँ  और जो इमानदारी से खून-पसीना एक कर काम करता है, उसे ओटी देने में प्रबंधन कटौती करता हैl एक तरफ अपनी कमी को छुपाने के लिए प्रबंधन मुफ्त में ऑफिस में काम करने वालों को ओटी  का भुगतान करता है वही फील्ड में कठोर मेहनत करने वालों के लिए ओवरटाइम भुगतान करने में असक्षम होता है।

आमाड़ांड ओसीपी खान के श्रमिक  सामूहिक  हस्ताक्षर कर उपक्षेत्रीय  प्रबंधक और कार्मिक प्रबंधक के कार्य आचरण  एवं भ्राष्टाचार की शिकायत कोयला मंत्रालय से लेकर  केन्द्रीय  सतर्कता आयोग, मुख्य सतर्कता अधिकारी एवं कंपनी के समस्त उच्च अधिकारियों से साक्ष्य के साथ करने जा रहा हैl क्योंकि इनके इस भ्रष्ट कार्य  आचरण से क्षेत्रीय महाप्रबंधक तो बदनाम हो ही रहे हैं साथ ही क्षेत्र की भी बदनामी हो रही है और कंपनी को आर्थिक क्षति जानबूझकर पहुचाया जा  रहा है उक्त पूरे मामले में हिंद कोयला मजदूर सभा एचएमएस के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री कांत शुक्ला ने जानकारी देते हुए उच्चाधिकारियों से उचित कार्यवाही की मांग की है।

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