चुनावी समीकरण में क्या दागदार प्रत्याशी जीतकर आएंगे नगर परिषद में ?

चुनावी समीकरण में क्या दागदार प्रत्याशी जीतकर आएंगे नगर परिषद में ?


शहड़ोल/बकहो

पूरे प्रदेश में नगरीय चुनाव की घोषणा होने के उपरांत बकहो नगर परिषद में भी प्रथम बार निर्वाचन होना है।मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कहलाने वाली पंचायत बकहो अब नगर परिषद के रूप में अस्तित्व में है,नवीन नगर परिषद में 15 वार्ड बनाए गए हैं,सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया तय की है। ऐसे में कई प्रत्याशी भाजपा कांग्रेश व अन्य दलों से टिकट की जोर आजमाइश में लगे हुए हैं। 

परिषद क्षेत्र में जन चर्चा यह है कि शराब माफिया द्वारा कई वार्डों में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों से अपने अपने रिश्तेदारों,परिवार जनों व अपने शुभचिंतकों को उतारने की तैयारी चल रही है,क्या बकहो नगर परिषद का भविष्य ऐसे माफियाओं के हाथ में होगा जो स्वयं ही भ्रष्टाचार, चोरी व अपराध में गले तक डूबे हुए हैं? चर्चा यह भी है द्वारा क्षेत्रवाद के नाम पर लोगों को उकसाया जा रहा है, और अपने रिश्तेदारों वा करीबियों को चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि संविलियन भर्ती में शामिल प्रमुख व्यक्तियों के घर से भी प्रत्याशी उतरने की तैयारी में हैंजिसमें लगातार पांच बार सरपंच रही फूलमती व उपसरपंच किशोरी मंडल भी वार्ड पार्षद के चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं,जबकि सरपंच और उपसरपंच के घर से संविलियन में भर्ती में लोग शामिल हैं। 

*कहां गई संघर्ष समिति*

बकहो नगर परिषद में संविलियन भर्ती मामले को लेकर एक संघर्ष समिति बनाई गई थी, जिसे स्वच्छ, साफ, ईमानदार छवि के लोग शामिल हैं ऐसा प्रचारित किया गया था,किंतु चुनाव आते ही अब यह समझ में नहीं आ रहा है इस समिति के लोग भाजपा से टिकट मांगेंगे या कांग्रेश से जबकि संघर्ष समिति इस नाम पर बनाई गई थी जी चुनावी भी इसी के बैनर तले लड़ा जाएगा। देखने में यह आ रहा है कि संघर्ष समिति दो फांट में हो गई है, कुछ भाजपा में तो कुछ कांग्रेस में शामिल होते हुए दिखाई दे रहे हैं

*क्या सरकारी भूमि के कब्जा धारी भी आजमाएंगे किस्मत*

नगर क्षेत्र में कई ऐसे प्रत्याशियों का भी नाम आ रहा है जोकि परिषद क्षेत्र के अंतर्गत ही पूर्व से ही शासकीय भूमि पर कब्जा जमाए हुए हैं व अवैध निर्माण कर निवास कर रहे हैं।ऐसे लोग भी चुनाव आते ही पार्षद की दावेदारी जनता के बीच रख रहे हैं।

*महिला नेत्री बनेंगी जनप्रतिनिधि या नेताओ की पत्नियां बनेंगी*

नगर परिषद का आरक्षण महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण यह चर्चा है कि नगर परिषद पार्षद और फिर अध्यक्ष महिला नेत्री बनेंगी या फिर नेताओं की पत्नियों को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा।यह देखा गया है कि परिषद क्षेत्र में कई महिला नेत्री भी विभिन्न राजनीतिक संगठनों में काफी सक्रिय रही हैं किंतु अब दोनों दलों मैं यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि किसी महिला नेत्री को टिकट दी जाएगी या फिर क्षेत्र अंतर्गत राजनीति करने वाले नेताओं की पत्नियों को।

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