गौरव दिवस के शासकीय आयोजन में व्यवधान उचित नहीं- मनोज द्विवेदी

गौरव दिवस के शासकीय आयोजन में व्यवधान उचित नहीं- मनोज द्विवेदी, नगर सबका, नगरपालिका सभी की....ये उन्हे तय करने दें कि अतिथि कौन होगा ?


अनूपपुर 

28 मई 2022 दिन शनिवार को नगरपालिका परिषद अनूपपुर द्वारा शासकीय उत्कृष्ट उ मा विद्यालय परिसर में मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार प्रथम गौरव दिवस का सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जो कुछ लोगों के विरोध के कारण सम्पन्न नहीं हो सका। इस घटना की जिले भर में कड़ी निंदा की जा रही है। जिला मुख्यालय में भी ऐसे व्यवधान पूर्ण आचरण को अच्छा नहीं कहा जा रहा। जिस मंच पर एसडीएम स्वत: मौजूद थे, उनकी उपस्थिति में मंच दो घंटे तक हाईजैक रहा , स्थानीय प्रशासन आयोजन नहीं कर सका। प्रदेश भर में ऐसी कालिख अनूपपुर नगरपालिका के हिस्से पोत दी गयी।  जिले के वरिष्ठ समाजसेवी पत्रकार मनोज द्विवेदी ने घटना पर गहरा दुख प्रकट करते हुए जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों से अधिक जिम्मेदारी पूर्ण आचरण की अपेक्षा की। 

उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव से ठीक पूर्व पहली बार  अनूपपुर जिला मुख्यालय की नगरपालिका परिषद का प्रथम गौरव दिवस मनाए जाने की कोशिश की गयी। उसे भी विवादित बनाया जाना उचित नहीं कहा जा सकता। यह एक शासकीय आयोजन था। एसडीएम कमलेश पुरी, नगरपालिका की सीएम ओ ज्योति सिंह के साथ तमाम शासकीय, अशासकीय लोग, पत्रकार गण, विभिन्न राजनैतिक दलों के लोग उपस्थित थे। नगर भर में वितरित आमंत्रण पत्रों के माध्यम से गणमान्य जनों को आमंत्रित किया गया। आमंत्रण पत्र में किसका नाम हो....किसका नहीं , किसे मंच पर बैठाना है ...किसे नहीं , ये आयोजकों को ही तय करने देना उचित होता। दीनदयाल अंत्योदय समिति का गठन जिन उद्देश्यों को लेकर किया गया, उनमें ऐसे विवाद , शासकीय कार्यों में व्यवधान का आचरण तो बिल्कुल भी नहीं होगा। शासकीय, अशासकीय पदों पर बैठे लोगों से अधिक जिम्मेदारी, जवाबदेही की अपेक्षा की जानी चाहिए । नवगठित दीनदयाल अंत्योदय समिति के पदाधिकारियो की क्लास लिये जाने की जरुरत है। उन्हे यह पता हो कि उन्हे किस कार्य के लिये दायित्व दिया गया है। वे नगर के ना प्रथम नागरिक हैं और ना ही अंतिम । उन्हे या किसी भी संगठन के पदाधिकारियो को किसी सार्वजनिक ,शासकीय आयोजन को रोकने, बचाल काटने का कोई हक नहीं है।   जिले की प्रभारी मंत्री सुश्री मीना सिंह, जिलाध्यक्ष ब्रजेश गौतम को यह तय करना चाहिए कि संगठन में नियुक्त पदाधिकारियो का सार्वजनिक आचरण कैसा हो। आम जनता में पार्टी की छवि खराब ना हो, यह ध्यान भी रखा जाना चाहिए।

  आयोजक  मुख्य नगरपालिका अधिकारी ज्योति सिंह का यह  कहना कि आयोजन राजनीति की भेंट चढ़ गया , कदापि उचित नहीं है। बिना मंचीय अतिथियों के ऐसा आयोजन हो ही नहीं सकता। यदि उन्हे अन्त्योदय समिति के गठन की सूचना नहीं थी तो पूर्व नगरपालिका अध्यक्षों, पार्षदों या कलेक्टर ,एसडीएम को ही अतिथि के रुप में आमंत्रण पत्र में स्थान देना था। अनिश्चित मंच से अनिश्चय और अराजकता उत्पन्न होने की आशंका रहती है। भविष्य में दोनों पक्षों से मर्यादा और नियम कायदों के पालन की  अपेक्षा आम जनता जरुर करेगी। बहरहाल *प्रथम ग्रासे - मक्षिका पाते* की तरह प्रथम गौरव दिवस को चुनाव के ठीक पूर्व विवादास्पद बनाना नुकसानदेह साबित हो सकता है।

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