पुलिस प्रशासन पर भी पड़ गयी भारी, मुख्य नगरपालिका अधिकारी
अनूपपुर-बिजुरी
गत 23 मई की रात्रि अनुविभागीय पुलिस अधिकारी द्वारा बिजुरी सीएमओ पर एफआईआर दर्ज की गई जिसमें आईपीसी की धारा 420, 467, 468 एवं 471 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था। उक्त मामले में एफ आई आर के साथ नंबर कॉलम पर सीधे शब्दों में अंग्रेजी में एक्यूस्ड (आरोपी) लिखकर मीना कोरी सीएमओ नगरपालिका परिषद बिजुरी को आरोपी के कॉलम पर लिखा गया, खबर बाहर आते ही सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के पत्रकारों द्वारा कोतमा एसडीओपी से संपर्क कर उनका वीडियो वर्जन लिया गया। वहीं पुलिस अनुविभागीय अधिकारी कोतमा ने भी बयान में मीना कोरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468 एवं 471 के तहत प्रथम दृष्टया के आरोपी मानते हुए अपराध दर्ज करने की बात मानी। जिसके बाद जिले भर में सोशल मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर यह खबरें तेजी से प्रसारित होने लगी। मुख्य नपा अधिकारी बिजुरी पर अपराध पंजीबध्द होने से नगर भर में लोगों के खुशियों का ठिकाना नही रहा, नगर भर में जगह-जगह पटाखे फोड़ कर, व मिठाईयां बांटकर लोगों ने खुशियों का इजहार करना प्रारंभ कर दिया यह सोच कर की अब मुख्य नगरपालिका अधिकारी बिजुरी नगर से अन्यत्र चली जाएंगी। उसके बाद निश्चित तौर पर नगर के अच्छे दिनों कि शुरूवात पुनः प्रारम्भ हो जाऐगा। लेकिन लोगों को कहां मालूम था की आपराधिक मामला पंजीबद्ध करने वाले पुलिस प्रशासन के ही उच्च अधिकारी देर रात एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लोगों कि खुशियों पर ग्रहण लगा देंगे और उक्त एफ आई आर में मामला संदेही पर पंजीबध्द करने का हवाला देकर खुलेआम इनके द्वारा लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जाएगा। पुलिस विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से पूर्व लोगों को लगने लगा था कि कानून के घर देर है पर अंधेर नहीं, लेकिन उसी देर रात पुलिस कार्यालय अनूपपुर द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी होने के बाद से बिजुरी नगर के लोगों ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली सवाल खड़ा करते हुए इनकी ईमानदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिए।
*जगह-जगह हो रही है पुलिस प्रशासन अनूपपुर कि किरकिरी*
देर रात पुलिस विभाग द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी होने के बाद सुबह से नगर के गली-गलियारों से लेकर चौक चौराहों तक पुलिस विभाग द्वारा मुख्य नगरपालिका अधिकारी बिजुरी को बचाए जाने का आरोप लोगों द्वारा लगाया जा रहा है, लोगों का मानना है कि यह कैसे संभव है कि एफ आई आर में जिसे प्रथम दृष्टया आरोपी मानकर अपराध पंजीबद्ध किया गया है, और पुलिस अनुविभागीय अधिकारी कोतमा द्वारा भी यह बात कबूली गई है, जिसका वीडियो तेजी से वायरल होने के साथ-साथ प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनलों पर भी यह प्रसारित हुआ है उसके बाद भी पुलिस विभाग ने एफ आई आर में आरोपी कि जगह संदेही पर विभिन्न धाराओं में अपराध पंजीबद्ध बताकर अनुविभागीय अधिकारी कोतमा पर भी सवाल खड़ा कर दिए हैं। लोगों का मानना है कि शायद एक आम नागरिक को भी इसी कारण से इंसाफ नहीं मिल पाता क्योंकि जब एक पुलिस अधिकारी कोई कार्यवाही निष्पक्षता से करता है तो यकीनन उसे उच्च अधिकारियों द्वारा निराधार साबित करते हुए उक्त अधिकारी के कार्यवाहियों को बदल दिया जाता है। इसी कारण से संपूर्ण जिले भर में अपराध की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वहीं कानून के जानकार बताते हैं कि मुख्य नगरपालिका अधिकारी पर जिन जिन धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया था। वह एक गंभीर अपराधिक श्रेणी की धाराएं थी उन पर आसानी से जमानत नहीं मिल पाता, लिहाजा मुख्यनपा अधिकारी को अग्रिम जमानत जल्द से जल्द मिल जाए इसके लिए पुलिस विभाग द्वारा उन्हें बचाने का प्रयास किया गया है।ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अगर पुलिस प्रशासन अपराधियों को सजा दिलाने के बजाऐ एफ आई आर को ऐसे ही तोड़-मरोड़ कर पेश करते हुए अपराधियों को बचाने पर उतारू हो जाए तो समझिये कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है।
*इनका कहना है।*
पुलिस विभाग द्वारा हमें एफ आई आर कि जो काॅपी उपलब्ध करायी गयी है, उसमें किनका नाम है यह तो सर्व समक्ष व सार्वजनिक है, अब पुलिस क्या बताती हैं यह उनका विषय है।
*पुरूषोत्तम सिंह अध्यक्ष नगरपालिका परिसद बिजुरी*
नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा श्रीमान एसडीओपी सर के यहां फर्जी हस्ताक्षर से सम्बंधित बयान दर्ज कराने पश्चात प्रथम दृष्टया संदेही पर अपराध पंजीबध्द किया गया है, विवेचना पश्चात जो तथ्य सामने आयेंगे उसमें आरोपियों का नाम जोडा़ जाऐगा।
*राकेश उईके नगरनिरीक्षक बिजुरी थाना*
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं पार्षदों द्वारा जो शिकायत किया गया है, उसकी निष्पक्षता से जांच करते हुये कार्यवाही किया जाना चाहिये। दोषियों को बिल्कुल भी नही बख्शा जाऐ, साथ ही अध्यक्ष के हस्ताक्षर का फाॅरेन्सिक जांच भी कराया जाये।
*दिलीप जायसवाल पूर्व विधायक विधानसभा क्षेत्र कोतमा*